लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि एलएसी (LAC) पर भले ही भारत और चीन के सैनिक साउथ पैंगोंग त्सो से लेकर फिंगर 4 से पीछे हट गए हों, लेकिन चीन पर आंख बंद कर के भरोसा नहीं किया जा सकता. जिन फारवर्ड इलाकों में चीन पीछे हटा है. उन इलाकों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियां कड़ी निगरानी रख रही हैं ताकि चीन एक बार फिर से किसी बड़ी साजिश को अंजाम न दे पाए.
उत्तराखंड से लेकर लद्दाख तक चीन से लगी सीमाओं पर NTRO ( National Technical Research Organization) ने अपनी सर्विलांस बढ़ा दी है. वहीं अलग-अलग इलाकों में ड्रोंस से लेकर रडार और सैटेलाइट की मदद से हर वक्त मॉनिटरिंग की जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक भारतीय सुरक्षा बल हेरॉन ड्रोन्स से लेकर P8-I और LORROS (Long Range Reconnaissance and Observation System) के जरिये जमीन से लेकर आसमान पर नजर रख रहे हैं. पिछले महीने खुफिया एजेंसियों की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि चीन ने उत्तराखंड के बराहोती से सटे इलाकों में भारतीय सेना पर नजर रखने के लिए विंड मिल से लेकर सोलर पैनल तक लगाए हैं. जिन पर हाई सिक्योरिटी कैमरे लगे हैं. एलएसी (LAC) से सटे चीनी इलाकों में लगातार ड्रोन्स को उड़ते देखा गया है, जो भारतीय सुरक्षा बलों पर नजर रख रहे हैं.
लद्दाख के साथ-साथ भारतीय समुद्री सीमा पर भी चीन के शिप्स ,सबमरीन्स पर नजर रखने के लिए भारतीय नेवी अमेरिकन सीगार्डियन, अनमैंड एरियल व्हीकल (UAV) का इस्तेमाल कर रही है, जिसे MQ-9B भी कहा जाता है.
सुरक्षा महकमे के सूत्रों के मुताबिक भारत, सर्विलांस और मॉनिटरिंग को बढ़ाने के लिए जल्द ही हेली काइट्स (Heli-Kites), मिनी ऐरोस्टेट मेल (Medium Altitude Long Endurance), (High altitude Long endurance), रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम की खरीद करने की तैयारी में है. जिससे सैन्य बलों के लिए दुश्मन की निगरानी करना और आसान हो जाएगा.
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर, चीन की चालबाजियों पर 24×7 और हर एक मौसम नज़र रखने के लिए आईटीबीपी ने भी पहले ही कमर कस ली थी. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने आजतक को एक्सक्लूसिव जानकारी दी है कि बॉर्डर पर ड्रैगन की किसी भी हरकत और उसकी किसी चालबाज़ी का जवाब देने के लिए बाज की तरह नजर रखी जा रही है. अब भी LAC पर सर्विलांस बढ़ा कर रखा गया है. सूत्रों के मुताबिक भारत चीन सरहद पर वहां की भौगोलिक स्थिति को देखते हुये, "दर्रो" यानी "पास" में सर्विलांस सिस्टम लगाये गए हैं.
आईटीबीपी 3,448 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की निगरानी करती है. ये सीमा लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, अरुणांचल प्रदेश, उत्तराखंड से गुजरती है. भारत-चीन बॉर्डर पर लगभग 23 दर्रे हैं. इन सभी दर्रों की निगरानी के लिए इनके आसपास आईटीबीपी की कई पोस्ट मौजूद हैं.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इन सभी दर्रों पर रात दिन निगरानी की जा रही है, जिससे रियल-टाइम पिक्चर मिलती रहे. जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के लिपुलेख, माणा पास, नीति दर्रा, मंगसा धुरा, टी सांग चोकला, मुलिंगला, तुंजुन ला, हिमाचल प्रदेश के बरालाचा, देबसा पास, शिपकी ला, सिक्किम के नाथुला, नाकुला, जेलेप ला, अरुणाचल प्रदेश के बोमडिला, दिहंग, लोंगजू, यंग याप, कुंजवंग, तुन्गधारा, जेचाप ला, दिफू ला और लद्दाख में काराकोरम पास है, इन तमाम जगहों पर ITBP ने Lorrie रडार सिस्टम लगा रखा है.
सूत्रों ने आजतक को बताया है कि इस इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम में कई तरीके के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लगाए जा रहे हैं. ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि चीन इन्ही रास्तों पर अपनी पैनी नजर रखता है. अब इन रास्तो पर तीसरी आंख की नजर रहेगी. इस तीसरी आंख में लॉरस रडार सिस्टम, नाइट विजन डिवाइस, ड्रोन, थर्मल इमेजर, लांग रेंज, पीटीजेड कैमरा शामिल होंगे.
जितेंद्र बहादुर सिंह