7 डेलिगेशन, 32 देश... पाकिस्तान को बेनकाब करने वाली 'डिप्लोमैटिक स्ट्राइक' के होंगे ये 5 एजेंडे

भारत के प्रतिनिधिमंडलों का यह वैश्विक दौरा 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में हो रहा है. इसका उद्देश्य सीमा पार आतंकी ठिकानों को समाप्त करना और प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाना है. इस कूटनीतिक प्रयास का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मौजूदा सदस्य देश हैं. भारत इन देशों के साथ सुरक्षा चुनौतियों, सीमा पार आतंकवाद, खुफिया जानकारी साझा करने और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर केंद्रित बातचीत कर रहा है.

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रविशंकर प्रसाद (L), सुप्रिया सुले (M) और असदुद्दीन औवेसी (R). (PTI Photo) रविशंकर प्रसाद (L), सुप्रिया सुले (M) और असदुद्दीन औवेसी (R). (PTI Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 9:46 PM IST

भारत ने एक अभूतपूर्व और आक्रामक कूटनीतिक पहल की शुरुआत की है जिसके तहत सात संसदीय प्रतिनिधिमंडल अगले कुछ सप्ताहों में 32 देशों का दौरा करेंगे. इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व वरिष्ठ सांसद और पूर्व मंत्री करेंगे और वे अफ्रीका, खाड़ी क्षेत्र, यूरोप, अमेरिका और पूर्वी एशिया जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की यात्रा करेंगे. इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य भारत के सहयोगी देशों के साथ गहरे संवाद स्थापित करना और पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका को वैश्विक मंच पर उजागर करना है. 

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यह वैश्विक दौरा 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में हो रहा है. इसका उद्देश्य सीमा पार आतंकी ठिकानों को समाप्त करना और प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाना है. इस कूटनीतिक प्रयास का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मौजूदा सदस्य देश हैं. भारत इन देशों के साथ सुरक्षा चुनौतियों, सीमा पार आतंकवाद, खुफिया जानकारी साझा करने और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर केंद्रित बातचीत कर रहा है.

हालांकि चीन और पाकिस्तान जैसे दो महत्वपूर्ण देश भारत की इस लोकतांत्रिक पहल का हिस्सा नहीं हैं. अतीत में दोनों ने बार-बार संयुक्त राष्ट्र में भारत की आतंकवाद विरोधी पहलों को बाधित किया है. हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद चीन ने न सिर्फ पाकिस्तान का समर्थन किया बल्कि उसे सैन्य सहायता भी दी. ऐसे में भारत का यह प्रयास विशेष महत्व रखता है जिसमें वह आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है.

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भारत की 5 सूत्रीय रणनीति

1. UNSC के साथ समन्वय: स्थायी सदस्यता की मांग नहीं, बल्कि मौजूदा सदस्यों को तत्काल और गंभीर कार्रवाई के लिए प्रेरित करना.

2. पाकिस्तान की भूमिका उजागर करना: आतंकवाद, फंडिंग, और वैश्विक सुरक्षा को खतरे से संबंधित प्रमाण प्रस्तुत करना.

3. ऑपरेशन सिंदूर को आगे बढ़ाना: इसे एक वैध, संप्रभुता-सम्मानजनक और प्रभावी आतंकवाद विरोधी मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना.

4. वैश्विक सहमति बनाना: कानूनों में बदलाव, आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति विकसित करना.

5. ग्लोबल साउथ में नेतृत्व मजबूत करना: भारत को एक जिम्मेदार, सक्रिय और अग्रणी शक्ति के रूप में स्थापित करना.

जानें, किस देश में संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का क्या है लक्ष्य

अफ्रीका: आतंकवाद के ठिकानों के खिलाफ़ वैश्विक दक्षिण को एकजुट करना

अफ्रीका में भारत का फोकस दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, अल्जीरिया, डीआर कांगो, लाइबेरिया और सिएरा लियोन पर है. इनमें से अल्जीरिया और सिएरा लियोन इस समय UNSC के गैर-स्थायी सदस्य हैं. भारत अफ्रीका में अपनी शांति स्थापना की भूमिका और आतंक के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. 

खाड़ी: आतंकवाद के वित्तपोषण और रणनीतिक कमजोरियों को उजागर करना

कतर, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत और बहरीन में भारत का प्रतिनिधिमंडल वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण तंत्र में खाड़ी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है. भारत का फोकस है सुरक्षा संबंधों को गहरा करना, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों से जुड़े वित्तपोषण चैनलों को खत्म करना और वैचारिक कट्टरपंथ का मुकाबला करना.

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ये देश वर्तमान में यूएनएससी में नहीं हो सकते हैं, लेकिन ओआईसी और इस्लामी दुनिया के आख्यानों में उनका रणनीतिक प्रभाव आतंकवादी प्रायोजकों को अलग-थलग करने के लिए आवश्यक है. साथ ही, पाकिस्तान खाड़ी क्षेत्र में अपने समर्थन का दावा करता है. और इस प्रकार भारत के लिए इन देशों के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण हो जाता है.

यूरोप: रणनीतिक बातचीत में यूएनएससी के दिग्गज

फ्रांस, रूस, यूके, जर्मनी, इटली, स्लोवेनिया, डेनमार्क, ग्रीस, स्पेन और लातविया के साथ यूरोपीय चरण महत्वपूर्ण है. इनमें से पांच देश (फ्रांस, रूस, ब्रिटेन) यूएनएससी के स्थायी 5 सदस्य देशों का हिस्सा हैं. स्लोवेनिया और डेनमार्क वर्तमान में 2025 में यू.एन.एस.सी. में अस्थायी सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं.

ये सहभागिताएं वैश्विक आतंकवाद, उभरते खतरे के मैट्रिक्स और पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी तत्वों को समर्थन दिए जाने के विरुद्ध भारत के साक्ष्य-आधारित मामले पर यूएनएससी के मौजूदा सदस्यों के साथ समन्वय पर केंद्रित हैं. बातचीत स्थायी सदस्यता के लिए पैरवी करने के बारे में नहीं है, बल्कि यूएनएससी को विश्वसनीयता और तत्परता के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करने के बारे में है.

अमेरिका: खुफिया भागीदारी और रणनीतिक संरेखण

अमेरिका और लैटिन अमेरिका में भारत की पहल में अमेरिका, ब्राज़ील, गुयाना, पनामा और कोलंबिया जैसे देश शामिल हैं. अमेरिका UNSC का स्थायी सदस्य है और गुयाना इस समय अस्थायी सदस्य है. भारत इन देशों के साथ खुफिया साझेदारी, साइबर सुरक्षा सहयोग और आतंक-फंडिंग पर नियंत्रण जैसे विषयों पर विचार-विमर्श कर रहा है.

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पूर्व एशिया: समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक आतंकवाद निरोध

पूर्वी एशियाई क्षेत्र में भारत जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया से संवाद कर रहा है. जापान और दक्षिण कोरिया UNSC के अस्थायी सदस्य हैं. यह बातचीत भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी कदमों को सशक्त करने पर केंद्रित है.

किस ग्रुप में कौन-कौन है शामिल

- जय बैजयंत पांडा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में निशिकांत दुबे, फंगनन कोन्याक, रेखा शर्मा (सभी भाजपा), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), सतनाम संधू (मनोनीत), पूर्व मंत्री गुलाम नबी आजाद और पूर्व विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला शामिल हैं. यह प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया की यात्रा करेगा.

- रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में दग्गुबत्ती पुरंदेश्वरी (भाजपा), प्रियंका चतुर्वेदी (एसएस-यूबीटी), गुलाम नबी खटाना (मनोनीत), अमर सिंह (कांग्रेस), समिक भट्टाचार्य (भाजपा), पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और पूर्व राजनयिक पंकज सरन शामिल हैं. यह प्रतिनिधिमंडल यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली और डेनमार्क की यात्रा करेगा.

- जद (यू) नेता और राज्यसभा सांसद संजय झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में अपराजिता सारंगी (भाजपा), यूसुफ पठान (तृणमूल), बृज लाल (भाजपा), जॉन ब्रिटास (सीपीआई-एम), प्रदान बरुआ (भाजपा), हेमांग जोशी (भाजपा), पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद और पूर्व राजनयिक मोहन कुमार शामिल हैं. यह प्रतिनिधिमंडल इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा करेगा.

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- तीन बार के शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में बांसुरी स्वराज (भाजपा), ई.टी मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल), अतुल गर्ग (भाजपा), सस्मित पात्रा (बीजेडी), मनन कुमार मिश्रा (भाजपा), पूर्व मंत्री एसएस अहलूवालिया और पूर्व राजनयिक सुजान चिनॉय शामिल हैं. यह प्रतिनिधिमंडल यूएई, लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन की यात्रा करेगा.

- कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में शांभवी चौधरी (एलजेपी-आरवी), सरफराज अहमद (जेएमएम), जीएम हरीश बालयोगी (टीडीपी), शशांक मणि त्रिपाठी (बीजेपी), भुवनेश्वर कलिता (बीजेपी), मिलिंद देवड़ा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (बीजेपी) और पूर्व राजनयिक तरनजीत संधू शामिल हैं. यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, पनामा, गुयाना, कोलंबिया और ब्राजील की यात्रा करेगा.

- डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में राजीव राय (सपा), मियां अल्ताफ अहमद (एनसी), बृजेश चौटा (भाजपा), प्रेम चंद गुप्ता (राजद), अशोक कुमार मित्तल (आप) और पूर्व राजनयिक मंजीव पुरी और जावेद अशरफ शामिल हैं, जो स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया और रूस की यात्रा करेंगे.

- एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में राजीव प्रताप रूडी (भाजपा), विक्रमजीत साहनी (आप), मनीष तिवारी (कांग्रेस), अनुराग ठाकुर (भाजपा), लावु श्रीकृष्ण देवरायलू (टीडीपी), पूर्व मंत्री मुरलीधरन और आनंद शर्मा और पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन शामिल हैं, जो मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करेंगे.

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(रिपोर्ट: प्रणय उपाध्याय)

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