'दुनिया स्लोडाउन की बात करती है, भारत तभी ग्रोथ की कहानी लिखता है...', GDP आंकड़ों पर PM मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम में कहा कि भारत आज वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच स्थिरता और भरोसे का स्तंभ बनकर उभरा है. उन्होंने बताया कि देश की GDP वृद्धि 8 प्रतिशत से अधिक रही है, जबकि सुधार अब दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुरूप किए जा रहे हैं. PM मोदी ने गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने, पूर्वी भारत और छोटे शहरों में क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा और मोबाइल निर्माण जैसे क्षेत्रों में तेजी से हुई प्रगति पर भी जोर दिया.

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तेजी से बदलते वैश्विक माहौल में भारत के आत्मविश्वासी उदय और सुधारों की दिशा को PM मोदी ने समझाया (Photo: PTI) तेजी से बदलते वैश्विक माहौल में भारत के आत्मविश्वासी उदय और सुधारों की दिशा को PM मोदी ने समझाया (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:04 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश और दुनिया के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में भारत न सिर्फ़ विकास के नए रिकॉर्ड बना रहा है, बल्कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भरोसे और स्थिरता का स्तंभ बनकर उभरा है. 

प्रधानमंत्री ने संविधान के मुख्य निर्माता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि बीते पच्चीस वर्षों में दुनिया ने वित्तीय संकट, वैश्विक महामारी और तकनीकी व्यवधान देखे, पर भारत ने इन अनिश्चितताओं के बीच भी आत्मविश्वास और गति बनाए रखी. हाल के तिमाही GDP आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि देश की वृद्धि दर 8 फीसदी से अधिक रही जो कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलनात्मक कमजोर स्थिति के बावजूद मजबूती का संकेत है.

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प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि आज के सुधार पहले जैसी प्रतिक्रियात्मक नीतियों पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप निर्देशित व दीर्घकालिक हैं. उन्होंने अगली पीढ़ी का जीएसटी, प्रत्यक्ष कर में सुधार (12 लाख तक इनकम पर शून्य कर), छोटे कंपनियों की परिभाषा में बदलाव व अनेक उत्पादों को अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण से बाहर करने जैसे कदमों का उल्लेख किया. इन बदलावों को उन्होंने “मंच पर निरंतरता” बताया, जो देश की क्षमता को खोल रहे हैं.

‘गुलामी की मानसिकता’ पर प्रहार - आत्मविश्वास की बहाली

भाषण का एक प्रमुख भाग गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पर केंद्रित था. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लंबे ब्रिटेनी शासन ने भारतीयों से आत्मविश्वास छीनने की कोशिश की पारिवारिक संरचना, पोशाक, त्योहार, आयुर्वेद, आविष्कार सब पर उपहास किया गया. 

यह मानसिकता अनेक क्षेत्रों में विकास का रोड़ा बनी. आज भारत इसी मानसिकता से निकलकर निर्माण, विज्ञान और उद्यमिता की राह पर है. उन्होंने अगले दस वर्षों को ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने’ का समय-संदर्भ बताया और देशवासियों से इसमें साथ देने का आग्रह किया.

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अविकसित क्षमता और नए अवसर

प्रधानमंत्री ने पूर्वी भारत, उत्तर-पूर्व, गांव, टियर-2/3 शहरों, महिला शक्ति, नवाचारशील युवा और ब्लू इकॉनमी जैसी क्षेत्रों में छिपी क्षमताओं को उजागर करने की दिशा में चल रहे बड़े निवेशों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अब छोटे शहरों में स्टार्ट-अप और MSME केंद्र बन रहे हैं, किसान FPO के माध्यम से सीधे बाजार से जुड़ रहे हैं और कई FPO वैश्विक बाजारों से कनेक्ट करने लगे हैं.

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स्पेस, मोबाइल और ऊर्जा में बदलाव का उदाहरण

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पेस सेक्टर में विकास के परिणामों का उदाहरण दिया - हैदराबाद में स्काईरूट के इनफिनिटी कैंपस का उद्घाटन और प्राइवेट स्पेस कंपनियों के रॉकेट/फ्लाइट-रेडी प्लेटफॉर्म पर काम का जिक्र करते हुए उन्होंने इसे ‘वास्तविक परिवर्तन’ बताया.

ऊर्जा क्षेत्र में उन्होंने बताया कि 2014 में देश की सोलर क्षमता सिर्फ 3 GW थी, जो अब ~130 GW के करीब पहुंच चुकी है, और रूफटॉप सोलर से 22 GW जुड़ी है. पीएम सूर्यगृह मुक्त बिजली योजना के जरिए उदाहरण स्वरूप बनारस में हजारों घरों में सोलर प्लांट लगने और इससे होने वाली बचत व कार्बन-इमिशन में कमी का जिक्र भी उन्होंने किया.

मोबाइल निर्माण के क्षेत्र में भी उन्होंने कहा कि 2014 तक लगभग 75 फीसदी मोबाइल इम्पोर्ट होते थे, अब भारत मोबाइल्स का बड़ा निर्माता व निर्यातक बन चुका है.

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गवर्नेंस, भरोसा और अनक्लेम्ड संपत्तियों की वापसी

प्रधानमंत्री ने सरकारी प्रक्रियाओं में अविश्वास घटाने और जनता पर भरोसा बढ़ाने के प्रयासों पर बात की. उन्होंने बताया कि बैंकों, बीमा और म्यूचुअल फंड्स में बड़ी राशियां अस्वामिक पड़ी हैं. सरकार विशेष कैंप चला कर वास्तविक हकदारों तक यह धन पहुंचा रही है और अब तक कई जिलों में अरबों रुपये लौटाए जा चुके हैं. 

प्रधानमंत्री मोदी ने इसे केवल संसाधन की वापसी नहीं बल्कि लोगों के विश्वास को बहाल करने का काम बताया.

डिफेंस, शिपबिल्डिंग और मैन्युफैक्चरिंग - ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से पुनर्जीवन

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व-उपरांत भारत का रक्षा और शिपबिल्डिंग ईकोसिस्टम मजबूत था, पर बाद में ‘गुलामी मानसिकता’ के कारण इन सेक्टर्स में गिरावट आई. अब इन्हें पुनर्जीवित करने का अभियान जारी है ताकि भारत आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन और समुद्री कारोबार में फिर से सशक्त बने.

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नागरिकों से 10 साल की साझेदारी की अपील

प्रधानमंत्री मोदी ने आने वाले दस साल का समय-सन्दर्भ देते हुए देशवासियों से अपील की कि वे सरकार के साथ मिलकर ‘गुलामी की मानसिकता’ से देश को पूरी तरह मुक्त करने में साथ दें. उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन सिर्फ सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि जनभागीदारी, आत्मविश्वास और मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण से आएगा.

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