दुश्मन के एयरक्राफ्ट को मार गिराने का करेगा काम... सेना ने शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए जारी किया टेंडर

भारतीय सेना ने दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को मार गिराने के लिए नए जेनरेशन के एयर डिफेंस सिस्टम्स की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह प्रक्रिया 'मेक इन इंडिया' के तहत होगी और इससे सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा बढ़ेगी

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VSHORADS (फाइल फोटो - X/@DRDO_India) VSHORADS (फाइल फोटो - X/@DRDO_India)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

भारतीय सेना ने दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को मार गिराने के लिए नए जेनरेशन के वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम्स की खरीद की प्रक्रिया शुरू की है. शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम से लॉन्च किए जाने वाले मिसाइलों की मारक क्षमता कम दूरी की होती है, और इससे दुश्मन के विमानों को सटीकता से गिराया जा सकता है. 

इस रक्षा खरीद से सीमावर्ती क्षेत्रों और फ्रंटलाइन के खतरों का मुकाबला करने के लिए सेना की क्षमता बढ़ेगी. इस प्रक्रिया के तहत 48 लॉन्चर, 85 मिसाइलें और अन्य जरूरी एक्वीपमेंट्स शामिल होंगी, जिनकी खरीद 'मेक इन इंडिया' के तहत की जाएगी. डायरेक्टोरेट ऑफ आर्मी एयर डिफेंस के डॉक्यूमेंट्स में "Buy (Indian)" कैटगरी में इन खरीद की जानकारी दी गई है.

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डीएपी 2020 में इन खरीद की बनाई गई थी योजना

डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर (डीएपी) 2020 के मुताबिक, सेना ने 48 लॉन्चर, 48 नाइट विजन साइट्स, 85 मिसाइलें और एक मिसाइल टेस्ट स्टेशन खरीदने की योजना बनाई थी. यह कदम देश की रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की सरकार की नीतियों के मुताबिक है, जिससे भारतीय डिफेंस मार्केट को मजबूती मिलेगी.

स्थानीय विक्रेताओं को दिया गया है ये सुझाव

स्थानीय भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, इस आरएफपी में यह फैसला किया गया है कि विक्रेता स्थानीय रूप से डिजाइन किए गए सिस्टम में कम से कम 50% और अगर विदेश से डिजाइन किए गए सिस्टम भारत में निर्मित हो रहे हैं तो उसमें 60% स्वदेशी एक्वीपमेंट्स इस्तेमाल करने को कहा है.

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ओपन टेंड इंक्वायरी के जरिए होगी खरीद प्रक्रिया

खरीद प्रक्रिया एक ओपन टेंडर इंक्वायरी के जरिए की जा रही है. विक्रेताओं को अपने सिस्टम की पूरी क्षमताओं का प्रदर्शन एक सहमति स्थान पर करना होगा. ये प्रदर्शन 'नो कॉस्ट नो कमिटमेंट' आधार पर आयोजित किए जाएंगे और भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय के सदस्यों वाली एक सशक्त समिति द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा.

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