लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव के बीच मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक हुई है. पिछले 5 महीने से जारी एलएसी विवाद के बीच ये एक अहम बैठक थी. इस दौरान पांच सूत्रीय सहमति बनी है, लेकिन इस पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ही सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल उठा दिया है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए कहा कि क्या आप कृपया इस संयुक्त वक्तव्य का सरल अंग्रेजी में अनुवाद कर सकते हैं ताकि मैं यह जान सकूं कि क्या चीनी सैनिक 1993 से या फिर 18 अप्रैल, 2020 से लद्दाख में एलएसी के कब्जे वाले इलाकों से हटने को तैयार हो गए हैं? डिसएंगेजमेंट का मतलब यथास्थिति को बहाल रखना नहीं है.
दरअसल, भारत और चीन के बीच इस बैठक में पांच सूत्रीय फॉर्मूले पर बात हुई, जिसके तहत तनाव को कम करने का फैसला लिया गया. चीनी विदेश मंत्री वांग यी की ओर से भी बॉर्डर पर शांति की बात कही गई, जबकि कहा गया कि सीमा पर गोलीबारी, घुसपैठ जैसी घटनाएं माहौल को बिगाड़ने का काम कर सकती हैं.
दोनों देशों ने इस मुलाकात के बाद पांच बिंदुओं का एक साझा बयान जारी किया है.
1. दोनों देशों को अपने नेताओं के मार्गदर्शन में चलकर बातचीत को आगे बढ़ाना चाहिए और मतभेद को विवाद में नहीं बदलना चाहिए.
2. बॉर्डर पर मौजूदा हालात दोनों देशों के पक्ष में नहीं है, ऐसे में सेनाएं बातचीत जारी रखेंगी और सीमा पर हालात को सही करने का माहौल तैयार किया जाएगा.
3. दोनों देश भारत-चीन के बीच सीमा को लेकर मौजूदा समझौतों का पालन करेंगे और शांति बहाल करने का प्रयास करेंगे.
4. बॉर्डर विवाद को लेकर विशेष प्रतिनिधियों के बीच भी बात जारी रहेगी.
5. माहौल में शांति स्थापित होने के बाद दोनों देश अपने संबंधों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे.
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