मणिपुर में 16 कुकी गांवों के प्रधानों ने म्यांमार बॉर्डर पर बाड़ लगाने का किया विरोध

मणिपुर और म्यांमार बॉर्डर पर स्थित 16 कुकी गांवों के प्रमुखों ने बॉर्डर फेंसिंग का विरोध किया है. उन्होंने कुकी-जो समुदाय की अलग प्रशासन की मांग पूरी होने और मणिपुर में शांति बहाली तक सरकार के साथ कोई भी बातचीत करने से इनकार किया है.

Advertisement
कुकी-जो ग्राम प्रधानों ने मणिपुर में भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध किया. (File Photo: PTI) कुकी-जो ग्राम प्रधानों ने मणिपुर में भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध किया. (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • इंफाल,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:00 PM IST

मणिपुर-म्यांमार बॉर्डर पर रहने वाले 16 कुकी गांवों के प्रमुखों ने भारत-म्यांमार बॉर्डर पर चल रहे फेंसिंग कार्य के खिलाफ पूर्ण असहयोग की घोषणा कर दी है. उन्होंने भूमि मुआवजा स्वीकार करने और किसी भी बातचीत में भाग लेने से इनकार कर दिया है, जब तक कि कुकी-जो समुदाय की राजनीतिक मांगें पूरी न हों और राज्य में शांति न लौट आए.

Advertisement

गांव प्रमुखों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि सीमा फेंसिंग और फ्री मूवमेंट रेजीम (FMR) को समाप्त करने के प्रस्ताव के खिलाफ पहले ही रैलियां आयोजित की गई हैं और संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं. बयान में कहा गया, 'कुकी-जो लोगों के हित में, हम असहयोग की घोषणा करते हैं. हम भूमि मुआवजा नहीं लेंगे और न ही बातचीत करेंगे, जब तक हमारी राजनीतिक मांगें पूरी न हों और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल न हो.'

कुकी संगठनों की लंबे समय से मांग

यह विरोध बॉर्डर फेंसिंग को आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक, पारंपरिक और ऐतिहासिक अधिकारों पर हमला मानते हुए किया गया है. कुकी संगठन लंबे समय से समुदाय के लिए अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं, जिसका मैतेई समुदाय द्वारा कड़ा विरोध हो रहा है. मैतेई राज्य की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता बनाए रखने पर जोर देते हैं. मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में अब तक 260 से अधिक मौतें हो चुकी हैं और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिससे मणिपुर घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों में गहरा विभाजन हो गया है. कुकी-जो और नागा समुदाय फेंसिंग को पारिवारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बंधनों को तोड़ने वाला मानते हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: मणिपुर: सुरक्षाबलों ने दो उग्रवादियों और एक हथियार तस्कर को किया गिरफ्तार, IED बनाने का सामान बरामद

मणिपुर में बॉर्डर फेंसिंग का वर्तमान

मणिपुर म्यांमार के साथ 398 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जिसमें से केवल 10 किलोमीटर फेंसिंग पूरी हुई है. केंद्र सरकार ने 1643 किलोमीटर लंबी पूरी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का टारगेट रखा है, जिसमें 31,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इसका उद्देश्य विद्रोही गतिविधियों, अवैध प्रवासन, ड्रग्स और सोने की तस्करी रोकना है. हालांकि, कुकी इनपी और कुकी चीफ्स एसोसिएशन जैसे संगठनों ने इसे आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन बताया है.

चेतावनी और भविष्य की आशंका

कुकी गांवों के प्रमुखों ने चेतावनी दी है कि यदि फेंसिंग कार्य जारी रहा, तो इससे क्षेत्र में और गहरी अशांति पैदा हो सकती है. बयान में कहा गया, 'यह केवल मुआवजे का मुद्दा नहीं, बल्कि हमारे राजनीतिक अधिकारों और सीमावर्ती लोगों की रक्षा का सवाल है.' नागा और मिजो समुदायों ने भी पहले इसी तरह का विरोध दर्ज कराया था.

यह भी पढ़ें: नॉर्थ-ईस्ट में PAK-बांग्लादेश फैलाना चाहते हैं अशांति... मणिपुर में असम राइफल्स पर हमले से अलर्ट पर एजेंसियां

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध प्रवासन को जनसांख्यिकीय परिवर्तन का कारण बताया है. यह घटना मणिपुर में जारी जातीय तनाव को और उजागर करती है, जहां शांतिपूर्ण आंदोलन अब सीधी कार्रवाई की शक्ल ले रहे हैं. कुकी संगठनों ने केंद्र से आदिवासी आकांक्षाओं का सम्मान करने की मांग की है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement