रेलवे के 'हलाल-ओनली' मेनू पर विवाद, NHRC सदस्य ने बोर्ड को भेजा नोटिस, पूछा- 'लिस्ट में क्यों नहीं है झटका मीट?'

भारतीय रेलवे के खाद्य मेनू में केवल हलाल-प्रमाणित मीट परोसने के विवाद पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य Priyank Kanoongo ने रेलवे बोर्ड को नोटिस जारी किया है. इसमें रेलवे से पूछा है कि झटका मीट को मेन्यू से क्यों हटाया गया है और दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि इससे हिंदुओं और सिखों के साथ भेदभाव होता है और भोजन के विकल्प सीमित होते हैं.

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NHRC ने ओनली हलाल मेनू को लेकर रेलवे बोर्ड को जारी किया नोटिस. (photo: ITG) NHRC ने ओनली हलाल मेनू को लेकर रेलवे बोर्ड को जारी किया नोटिस. (photo: ITG)

पीयूष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:08 PM IST

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की तरफ से Priyank Kanoongo ने भारतीय रेलवे के मेन्यू में केवल हलाल प्रमाणित मीट परोसने की शिकायत पर सख्त रुख अपनाते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार को नोटिस जारी किया. आयोग ने रेलवे से पूछा है कि आखिर क्यों केवल हलाल मीट परोसा जा रहा है और झटका मीट को क्यों बाहर रखा गया है? NHRC ने रेलवे से दो हफ्ते के अंदर जवाब और कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.

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आयोग के अनुसार, NHRC को शिकायत मिली थी. जिसमें आरोप लगाया गया है कि हलाल-ओनली नीति हिंदुओं और सिखों के खिलाफ भेदभाव है, जो यात्रियों की खाद्य पसंद को सीमित करती है और अन्य समुदायों के मीट विक्रेताओं की आजीविका पर असर डालती है. इसी शिकायत के आधार पर रेलवे को नोटिस जारी किया गया है, जिस पर रेलवे को दो हफ्ते के अंदर आयोग को जवाब देना होगा.

इंडिया टुडे/आजतक से बातचीत में रेलवे बोर्ड ने स्पष्ट किया कि भारतीय रेलवे और IRCTC अपने खाद्य उत्पादों के लिए FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के दिशानिर्देशों का ही पालन करते हैं.

FSSAI के निर्देशों का पालन करता है रेलवे

रेलवे ने ये भी स्पष्ट किया कि भारतीय रेलवे में हलाल प्रमाणित भोजन परोसने का कोई आधिकारिक प्रावधान नहीं है. रेलवे के सूत्रों ने आगे कहा कि चूंकि रेलवे FSSAI के निर्देशों का पालन करता है, इसलिए रेलवे इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि परोसा गया भोजन हलाल प्रमाणित या झटका है.

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नोटिस का जल्द देंगे जवाब

सूत्रों ने बताया कि बोर्ड जल्द ही NHRC के नोटिस का जवाब देगा. इस पूरे मामले में NHRC ये देख रहा है कि क्या ये नीति वास्तव में यात्रियों के लिए खाद्य विकल्पों के चयन में किसी भी प्रकार के भेदभाव या अस्वीकृति के समान है.

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