‘राजद्रोह कानून में संशोधन के लिए अमित शाह ने राज्यों से सुझाव मांगे’, सरकार ने लोकसभा में बताया

सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा कि हमने राजद्रोह कानून में संशोधन के लिए राज्यों से सुझाव मांगे हैं. इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी की रिपोर्ट आने पर संसद में चर्चा की जाएगी.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST
  • कांग्रेस के सवाल पर सरकार का जवाब
  • राजद्रोह कानून पर बनाई गई है कमेटी

राजद्रोह कानून पर उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने इसमें बदलाव करने का फैसला लिया है. सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा कि हमने राजद्रोह कानून में संशोधन के लिए राज्यों से सुझाव मांगे हैं. इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी की रिपोर्ट आने पर संसद में चर्चा की जाएगी.

गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति की अध्यक्षता में 2020 में फौजदारी कानून सुधार पर परामर्श देने के लिए समिति का गठन किया गया है. इस समिति को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों, लॉ इन्स्टीट्यूट को पत्र लिखकर सुझाव मांग रहे हैं. ताकि जो संशोधन किए जाने हैं, कानून में वह किए जा सकें. इसकी रिपोर्ट आने के बाद सरकार सीआरपीसी में बदलाव को लेकर संसद में चर्चा करेगी.

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दरअसल, टूलकिट मामले में जमानत पर रिहा दिशा रवि का मामला लोकसभा में उठा. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने राजद्रोह मामले पर पूरक प्रश्न पूछते हुए इस मामले को सामने रखा. इस पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने मनीष तिवारी को जवाब देते हुए कहा कि राजद्रोह कानून के दुरुपयोग पर कांग्रेस को सवाल पूछने का हक नहीं है.

गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में विपक्ष के नेताओं और अन्य कई लोगों पर इस कानून के तहत मामले दर्ज किए. उन्होंने कहा कि दिशा रवि के मामले अभी जांच चल रही है और कोई आरोप पत्र दायर नहीं हुआ है.

गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में कहा कि 130 करोड़ की जनता के इस देश में राजद्रोह कानून के तहत दर्ज मामले बहुत कम हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हिसाब से 2014 में इस कानून के तहत मात्र 47, 2015 में 30, 2016 में 35, 2017 में 51, 2018 में 70 और 2019 में मात्र 93 मामले ही दर्ज हुए.

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