RTI के तहत जानकारी साझा करने के खिलाफ एकजुट हुए SBI, HDFC बैंक, जानें SC में क्या दी दलील

RBI को दी जाने वाली बैंकों की निरीक्षण रिपोर्ट को आरटीआई (RTI) के दायरे में लाने के खिलाफ कई निजी बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. SBI,HDFC, Axis बैंक समेत कई बैंक RTI के तहत जानकारी साझा करने के खिलाफ एकजुट हो गए हैं.

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 सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 3:56 PM IST
  • SG बोले- बैंक ग्राहकों का भरोसा कैसे तोड़ सकते हैं
  • RTI के तहत जानकारी साझा करने के खिलाफ बैंक एकजुट

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को दी जाने वाली बैंकों की निरीक्षण रिपोर्ट को आरटीआई (RTI) के दायरे में लाने के खिलाफ कई बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. SBI, HDFC, Axis बैंक समेत कई बैंक RTI के तहत जानकारी साझा करने के खिलाफ एकजुट हो गए हैं. बैंकों ने बड़े डिफॉल्टर्स की जानकारी आरटीआई के जरिए मांगे जाने का विरोध किया है.

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एसबीआई (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हम ग्राहकों की निजी जानकारी साझा कर उनका भरोसा कैसे तोड़ सकते हैं. याचिका की सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता एसबीआई और मुकुल रोहतगी एचडीएफसी की ओर से पेश हुए.

एसबीआई की ओर से कहा गया कि जस्टिस कलिफुल्ला की दो जजों वाली बेंच ने आरबीआई से डिफॉल्टर्स के निजी जानकारी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि इस मसले को तीन जजों की बेंच को रेफर कर दे, आदेश के खिलाफ अवमानना वाली याचिका पर सुनवाई ना की जाए. हमारे पास ग्राहकों का भरोसा और विश्वास है, हम इसे कैसे तोड़ सकते हैं. लोगों ने आरटीआई को बिजनेस बना लिया है, कोर्ट को इस बात ध्यान रखना चाहिए.हम पारदर्शिता के समर्थन में हैं लेकिन हम किसी ग्राहक की निजी जानकारियां कैसे साझा कर सकते हैं.

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HDFC Bank और Axis Bank ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आरटीआई केवल सरकारी दफ्तरों और संस्थानों पर लागू होती है. प्राइवेट बैंक इसके तहत नहीं आते हैं. आरबीआई के निरीक्षण रिपोर्ट के आड़ में तथाकथित कार्यकर्ता प्राइवेट बैंकों के ग्राहकों की निजी जानकारी मांग रहे हैं. उनका काम जानकारी जुटाना है. हर किसी को पता है कि आरटीआई का इस्तेमाल किस लिए होता है. आरबीआई का अलग-अलग बैंकों के साथ प्रत्ययी संबंध है. जानकारी साझा करने से थर्ड पार्टी के प्रतिस्पर्धी स्थिति को नुकसान होगा.

इसपर वकील प्रशांत भूषण एसजी की दलीलों पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया गया कि निजता की दलील सरकार की तरफ से आ रही है जो लोगों की, जजों की भी जासूसी करा रही है.

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