हरियाणा में इस सीजन में पराली जलाने की घटनाओं में 77 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने शुक्रवार को राजेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई एक उच्च-स्तरीय समीक्षा के बाद ये जानकारी दी गई है. उन्होंने कहा कि दो साल के अंदर राज्य को पराली जलाने की घटनाओं से मुक्त बनाया जाएगा.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय समीक्षा के बाद रस्तोगी ने बताया कि राज्य में इस मौसम में पराली जलाने की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. 6 नवंबर तक केवल 171 मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 888 मामले दर्ज किए गए थे.
राजेश वर्मा ने धान के अवशेषों को जलाने में कमी लाने में हरियाणा के अधिकारियों और किसानों, खासकर करनाल और कुरुक्षेत्र जिलों के किसानों के संयुक्त प्रयासों की सराहना की. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अगले दस दिन बेहद अहम हैं और जिला प्रशासन को कड़ी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए.
त्रि-आयामी रणनीति का दिखा असर
रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा की तीन-तरफा रणनीति से मजबूत परिणाम मिले हैं. इस रणनीति में खेत के अंदर प्रबंधन (in-situ), खेत के बाहर इस्तेमाल (ex-situ) और चारे के रूप में उपयोग से राज्य के 39.31 लाख एकड़ धान क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिले हैं. इसमें से 44.40 लाख टन अवशेष का प्रबंधन इन-सीटू तरीके से, 19.10 लाख टन का एक्स-सीटू से और 22 लाख टन का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में किया जा रहा है.
किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन
सरकार ने धान की खेती से 19,670 एकड़ का विविधीकरण करके और 1.74 लाख किसानों को धान की सीधी बुवाई (DSR) अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा दिया है. किसानों को अवशेष प्रबंधन के लिए ₹1,200 प्रति एकड़ और फसल विविधीकरण के लिए ₹8,000 के साथ डीएसआर के लिए ₹4,500 का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा रहा है. जिनकी कुल लागत 471 करोड़ रुपये है.
साथ ही केंद्र और राज्य द्वारा साझा किए गए ₹250.75 करोड़ की कुल फंडिंग के तहत फसल अवशेष प्रबंधन योजना 2025-26 के लिए ₹94 करोड़ की 7,781 मशीनें भी स्वीकृत की गई हैं. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पर्यवेक्षण में 2 लाख एकड़ पर मुफ्त बायो-डिकंपोजर पाउडर लगाया जा रहा है.
पराली का औद्योगिक उपयोग बढ़ा
हरियाणा ने धान की पराली के औद्योगिक उपयोग का विस्तार किया है, जिसमें 31 पेलेटीकरण और ब्रिकेटिंग संयंत्र, 111.9 मेगावाट बिजली पैदा करने वाले 11 बायोमास पावर संयंत्र, एक 2जी इथेनॉल संयंत्र, दो संपीड़ित बायोगैस संयंत्र और 16.64 लाख टन पराली का इस्तेमाल करने वाले पांच ताप विद्युत संयंत्र शामिल हैं. गैर-एनसीआर जिलों में ईंट भट्टों को 2025 तक 20 प्रतिशत पराली-आधारित पेलेट का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है, जिसे 2028 तक बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया जाएगा.
फायर डिटेक्शन के लिए राज्य ने 10,028 नोडल अधिकारियों को तैनात किए हैं और रियल टाइम में आग का पता लगाने के लिए हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र से उपग्रह निगरानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. आग के मामलों की पुष्टि के बाद एफआईआर और पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई जा रही है. वहीं, 6 नवंबर तक 87 मामलों में ₹4.60 लाख का जुर्माना लगाया गया है और अब तक 3.35 लाख रुपये की वसूली की गई है.
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