भारतीय रेल ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि ट्रेनों में परोसे जाने वाले भोजन के लिए हलाल-सर्टिफिकेशन की कोई आधिकारिक नीति या प्रावधान मौजूद नहीं है. यह बयान नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) की उस नोटिस के जवाब में आया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि इंडियन रेलवे केवल हलाल-प्रोसेस्ड मांस ही परोसता है, जिससे भेदभाव और मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्थिति पैदा होती है.
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंडियन रेलवे और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) अपने सभी खाद्य उत्पादों में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा, "रेलवे में हलाल-सर्टिफाइड भोजन परोसने का कोई आधिकारिक प्रावधान नहीं है."
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यह मामला हाल ही में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के सामने भी उठा था, जहां एक आरटीआई आवेदक ने पूछा था कि क्या ट्रेनों के नॉन-वेज खाने में हलाल-प्रोसेस्ड मांस अनिवार्य रूप से दिया जाता है. रेलवे ने CIC को बताया कि ऐसी किसी नीति से जुड़ा कोई दस्तावेज, रिकॉर्ड या निर्देश IRCTC के पास उपलब्ध नहीं है. CIC ने अपने आदेश में भी रेलवे के इस पक्ष को दर्ज किया.
रेलवे में सर्वोत्तम फूड प्रैक्टिसेज अपनाई जाती हैं
अधिकारियों के अनुसार, यात्रियों को परोसे जाने वाले भोजन की आपूर्ति प्रक्रिया पारदर्शी है और उसमें गुणवत्ता, सुरक्षा और मानक प्राथमिकता पर होते हैं. अधिकारियों ने कहा, "हम बार-बार स्पष्ट कर चुके हैं कि रेलवे में सर्वोत्तम फूड प्रैक्टिसेज अपनाई जाती हैं और सभी नियमों का अनुपालन होता है."
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किसी भी पक्षपात की नीतिगत अनुमति नहीं
NHRC के नोटिस के बाद मामला एक बार फिर सार्वजनिक चर्चा में आया है. हालांकि रेलवे के आधिकारिक बयान के बाद विवाद को लेकर असमंजस काफी हद तक दूर हो गया है. रेलवे का कहना है कि यात्रियों की धार्मिक पहचान, पसंद या सर्टिफिकेशन से जुड़े किसी भी पक्षपात की नीतिगत अनुमति नहीं है.
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