केंद्र सरकार ने साफ़ किया है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) से गायब नहीं हुए हैं. यह बयान कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे पर माफी की मांग के बाद आया. संस्कृति मंत्रालय ने विपक्षी दावों को खारिज करते हुए बताया कि पत्र और नोट्स ग़ायब नहीं हुए हैं.
सरकार के अनुसार, 29 अप्रैल 2008 को सोनिया गांधी के प्रतिनिधि एमवी राजन ने एक पत्र में नेहरू के निजी पारिवारिक पत्र और नोट्स वापस लेने का अनुरोध किया था. इसके बाद 2008 में सरकार ने निजी कागजातों के 51 कार्टन सोनिया गांधी को सौंपे.
मंत्रालय ने बताया कि PMML ने इन दस्तावेजों की वापसी के लिए सोनिया गांधी के कार्यालय के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा है, जिसमें जनवरी और जुलाई 2025 में भी पत्र भी भेजे गए.
सांस्कृतिक मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक्स पर लिखा कि नेहरू के दस्तावेज़ 'गायब' नहीं हैं, उनकी जगह पता है. उन्होंने सोनिया गांधी से आग्रह किया कि देश को साफ करें कि क्या छुपाया जा रहा है और इतने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज सार्वजनिक आर्काइव्स में क्यों नहीं लौटाए गए.
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उन्होंने कहा कि ये निजी पारिवारिक कागज नहीं, बल्कि राष्ट्रीय धरोहर का हिस्सा हैं और शोधार्थियों के लिए इन तक पहुंच आवश्यक है.
यह विवाद लोकसभा में बीजेपी सांसद संबित पात्रा के सवाल के बाद सामने आया था, जिसमें पूछा गया था कि PMML के 2025 के सालाना ऑडिट में क्या नेहरू से जुड़े कोई दस्तावेज गायब पाए गए. शेखावत ने साफ कहा कि कोई दस्तावेज गायब नहीं हैं और कागजात परिवार द्वारा 2008 में ही वापस ले लिए गए थे.
कांग्रेस ने इसके बाद केंद्र से माफी की मांग की थी, लेकिन सरकार ने दो टूक कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है और देश को सच बताया जाना चाहिए.
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