सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में गोवा चुनाव आयोग को 10 दिनों के भीतर पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी करने और 30 अप्रैल तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए, राज्य सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति को चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला गोवा सरकार के सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार देने पर सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो व्यक्ति सरकार में कोई कार्यालय संभाल रहा है, उसे राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य चुनाव आयुक्त को बदला जा सकता है.
जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा कि राज्य चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए और कोई भी राज्य किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त नहीं कर सकता जो सरकार के साथ काम कर रहा हो.
जस्टिस नरीमन ने कहा कि यह एक परेशान करने वाला लक्षण है कि एक सरकारी कर्मचारी, जो सरकार के साथ रोजगार में था, को गोवा में चुनाव आयोग का प्रभार दिया गया था. सरकार के एक अधिकारी ने पंचायत चुनाव कराने के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने का प्रयास किया.
हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने 1 मार्च को शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में मार्गो, मोर्मुगाओ, मापुसा, सांगुम और क्यूपेम की नगरपालिका परिषदों के चुनावों को रोक दिया था. गोवा में 11 नागरिक निकायों के चुनाव 20 मार्च को होने हैं और कम से कम 2.5 लाख लोग इन चुनावों में मतदान करने के लिए पात्र हैं.
हालांकि, पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की गोवा पीठ के फैसले पर रोक लगाने का आदेश दिया, जिसमें पांच नगरपालिका परिषदों में वार्डों के आरक्षण पर राज्य के शहरी विकास मंत्रालय की अधिसूचना को अलग रखा था.
संजय शर्मा