बाढ़ से पश्चिम बंगाल में भयंकर हालात, आठ दिन बाद मिला पीने का साफ पानी और खाना

बंगाल के तीन जिले हावड़ा, हुगली और पश्चिम मिदनापुर बाढ़ की चपेट में हैं. कुल मिलाकर लाखों लोग अभी भी बाढ़ प्रभावित हैं. करोड़ों की फसल नष्ट हो चुकी है. हजारों मकान अभी भी पानी में डूबे हुए हैं.

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बंगाल में बाढ़ से हालात खराब बंगाल में बाढ़ से हालात खराब

अनुपम मिश्रा

  • घटल,
  • 05 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 8:13 PM IST
  • बंगाल के तीन जिले हावड़ा, हुगली और पश्चिम मिदनापुर बाढ़ की चपेट में
  • घटल शहर में 8 दिनों से फंसे थे लोग, अब मिला साफ पानी-खाना

देश के कुछ राज्य इस वक्त बाढ़ से पीड़ित हैं, जिसमें पश्चिम बंगाल (flood in west bengal) भी शामिल है. वहां हालात इतने खराब हो गए हैं कि कुछ शहरों में आठ दिन बाद लोगों को पीने का साफ पानी और खाना मिल पाया. बंगाल के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बाढ़ का पानी तबाही मचा रहा है.

इस वक्त बंगाल के तीन जिले हावड़ा, हुगली और पश्चिम मिदनापुर बाढ़ की चपेट में हैं. कुल मिलाकर लाखों लोग अभी भी बाढ़ प्रभावित हैं. करोड़ों की फसल नष्ट हो चुकी है. हजारों मकान अभी भी पानी में डूबे हुए हैं.

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बाढ़ प्रभावित घटल (Ghatal flood) शहर में फंसे कई लोग पिछले आठ दिनों से बाढ़ का पानी पीकर जिंदा हैं. ऐसे कई गांव हैं जो चारों ओर से मीलों तक बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं. ऐसे ही एक गांव में जब हम एनडीआरएफ की रिलीफ टीम के साथ पहुंचे तो लोगों में राहत सामग्री लेने के लिए हाहाकार मच गया. हालांकि यहां अब पानी कम होना शुरू हो चुका है. अगर बारिश नहीं हुई तो भी इन इलाकों से पानी निकलने में एक सप्ताह का समय लग जाएगा.

बंगाल में बाढ़ से हालात खराब

यहां लोगों से बात की तो पता चला कि पिछले आठ दिनों से सभी लोग बाढ़ का पानी पी कर जिंदा हैं. खाने को भी कुछ नहीं है. एनडीआरएफ की टीम ने जब स्वच्छ पीने का पानी दिया तो लगा जैसे इनको जिंदगी मिल गई. बच्चे, बूढ़े और जवान सभी पानी के लिए तरस गए थे. 

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दवाई के लिए भी काफी दूर जाना पड़ रहा

हालात इतने खराब हैं कि लोगों को जिंदा रहने के लिए हाथ से बनाई डोंगी यानी मेकशिफ्ट नाव में मीलों दूर जाकर खाना, पानी या दवाई लानी पड़ रही है. मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाए तो सिर्फ घटल ब्लॉक में अभी भी 12 ग्राम पंचायत और 50 से ज्यादा गांव पूरी तरह से पानी में डूबे हुए हैं. 100 से भी ज्यादा गांव आंशिक तौर पर पानी में डूबे हैं. 2 लाख के आसपास लोग बाढ़ प्रभावित हैं. एनडीआरएफ और राज्य प्रशासन की ओर से राहत सामग्री लोगों तक पहुंचाई जा रही है.

दरअसल घटल इलाके में हर साल मॉनसून के वक्त यही हालात होते हैं. समूचा घटल ब्लॉक एक गड्ढे की तरह है और शीलावती नदी के करीब है. ऐसे में बाढ़ के वक्त आसपास का सारा पानी घटल में घुसता है, जिससे हालात बिगड़ते हैं.

वाम मोर्चा के समय में घटल मास्टर प्लान तैयार किया गया था. इस परियोजना में शिलावती नदी के किनारों पर बांध बनाना, नदी में ड्रेनिंग और पंपिंग स्टेशन तैयार करना था. केंद्र और राज्य सरकार के रुपयों से इस प्लान को पूरा करना था. लेकिन आज तक काम पूरा नहीं हो पाया. अब टीएमसी सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार ने रुपये नहीं दिए इसलिए परियोजना पूरी नहीं हुई.

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क्षेत्र के टीएमसी सांसद देब ने तो यहां तक कह दिया है कि ममता को प्रधानमंत्री बनाए बगैर घटल को बाढ़ से नहीं उभारा जा सकता है. जब तक घटल मास्टर प्लान नहीं होगा तब तक यहां के लोगों को हर साल यह त्रासदी झेलनी पड़ेगी.

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