कृषि कानून के विरोध में जारी आंदोलन में भाग लेने के लिए भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह के नेतृत्व में मंगलवार शाम को सैकड़ों की संख्या में किसान चिल्ला बॉर्डर पर पहुंचे जहां दिल्ली पुलिस ने अवरोधक लगाकर उन्हें रोक दिया. किसान मुख्य मार्ग पर ही धरने पर बैठ गए हैं. किसानों द्वारा जिला बॉर्डर पर जाम लगाए जाने से लाखों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जहां किसानों ने जाम लगाया है, वहां से होकर प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोग नोएडा में नौकरी करने आते-जाते हैं. चिल्ला बॉर्डर सीधे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे और आगरा एक्सप्रेस-वे को भी जोड़ता है. यह बॉर्डर वाया गोलचक्कर डीएससी रोड को जोड़ता है. शाम तक दिल्ली व नोएडा में करीब पांच किलोमीटर का लंबा जाम लग गया. वहीं, जाम से बचने के लिए पुलिस ने यात्रियों को नोएडा जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेने की सलाह दी है. उधर, टिकरी बॉर्डर, झारुडा बॉर्डर, झटीकरा बॉर्डर को अन्य यातायात आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है. बडूसराय बार्डर केवल दो पहिया वाहनों के आवागमन के लिए खुला है.
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जब से कृषि कानून आए हैं तब से सरकार दुष्प्रचार कर रही है. किसान इस बात को अच्छे तरीके से जानते हैं कि ये कानून किसानों के लिए मौत के फरमान हैं. उन्होंने कहा कि किसान 5 महीने से आंदोलित हैं और इतनी ठंड में आंदोलन कर रहे हैं. किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहाना ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर संवेदनशील नहीं है. उन्होंने कहा कि ठंड में बच्चे और बुजुर्ग किसान सड़कों पर हैं, लेकिन सरकार असंवेदनशील तरीके से व्यवहार कर रही है. किसान नेता हनानमौला ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों से तीसरी बैठक में, कृषि मंत्री के साथ, सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में सार्थक चर्चा की. हमारी सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है एवं सभी विषयों पर चर्चा के माध्यम से समाधान निकालने के लिए तैयार है. पीयूष गोयल ने कहा कि इस बैठक में यह तय किया गया कि सभी विषयों को चिन्हित किया जाएगा और आगामी 3 दिसंबर को उन सभी विषयों पर विस्तार से फिर चर्चा आगे बढ़ाई जाएगी.
नोएडा के सेक्टर 14 चिल्ला बॉर्डर पर 3 किलोमीटर लंबा जाम लगा है. भारतीय किसान यूनियन के कुछ कार्यकर्ताओं के पहुंचने पर जाम लगा है. वे नोएडा से दिल्ली कूच करना चाहते हैं. भारतीय किसान यूनियन के किसान इटावा, अलीगढ़, एटा, ग्रेटर नोएडा दिल्ली कूच करने के लिए बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं. किसानों के दिल्ली कूच को लेकर दिल्ली पुलिस अलर्ट है.
सरकार के साथ बातचीत का हिस्सा रहे किसान नेता चंदा सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा. हम सरकार से कुछ तो जरूर वापस लेंगे, चाहे वो बुलेट हो या शांतिपूर्ण समाधान. उन्होंने कहा कि हम बातचीत के लिए फिर आएंगे. वहीं, अखिल भारतीय किसान महासंघ के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने कहा कि आज की बैठक अच्छी रही. सरकार के साथ 3 दिसंबर को अगली बैठक के दौरान, हम उन्हें समझाएंगे कि कृषि कानून का कोई भी किसान समर्थन नहीं करता है. हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
लंबे घमासान के बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच कृषि कानूनों पर मंगलवार को बैठक हुई. करीब चार घंटे तक चली ये बैठक बेनतीजा रही. दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस बातचीत में कोई फैसला नहीं निकलने के बाद अब अगली बैठक 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजे होगी. आज की बैठक को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अच्छा बताया. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ बातचीत अच्छी रही. हमने 3 दिसंबर को फिर से बातचीत करने का फैसला लिया है. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम चाहते हैं कि छोटे संगठन बनें, लेकिन किसान नेता की मांग है कि हर किसान से बातचीत होनी चाहिए. कृषि मंत्री ने कहा कि हमें हरेक किसान से बात करने में कोई परेशानी नहीं है. नरेंद्र सिंह तोमर ने साथ ही किसानों से आंदोलन खत्म करने की मांग की.
किसानों और सरकार की आज की बातचीत बेनतीजा रही. 3 दिसंबर को एक बार फिर सरकार और किसानों की बैठक होगी. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसानों को आश्वासन देने की कोशिश की. हमने उन्हें समझाने की कोशिश की. कृषि मंत्री ने कहा कि कि हम 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजे फिर बातचीत करेंगे. सरकार किसानों से आंदोलन खत्म करने की मांग करती है. वहीं, किसानों ने कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा.
सूत्रों के मुताबिक, किसानों को समिति पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि जबतक समिति कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती और कुछ ठोस बात नहीं निकलती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. सरकार ने ये भी प्रस्ताव दिया है कि समिति रोजाना बैठकर चर्चा करने को तैयार है, ताकि जल्द नतीजा निकल सके. सूत्रों के मुताबिक, एक किसान प्रतिनिधि ने कहा कि ये नए कानून किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ हैं.
सूत्रों के मुताबिक, किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि आप लोग ऐसा कानून लाए हैं जिससे हमारी जमीने बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे, आप कॉरपोरेट को इसमे मत लीजिए. अब समिति बनाने का समय नहीं है. आप कहते हैं कि आप किसानों का भला करना चाहते हैं, हम कह रहे हैं कि आप हमारा भला मत कीजिए.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में एक किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर हैं. और उन्होंने मांग किया कि सरकार को इसे वापस लेने पर विचार करना चाहिए. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों से बैठक में कहा कि 4 से 5 नाम अपने संगठन से दीजिए, एक समिति बना देते हैं जिसमे सरकार के लोग भी होंगे, कृषि एक्सपर्ट भी होंगे, नए कृषि कानून पर चर्चा करेंगे. लेकिन किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
सूत्रों के मुताबिक, विज्ञान भवन में किसानों के साथ बैठक में APMC Act and MSP पर सरकार की तरफ से प्रेजेंटेशन दिया जा रहा है. सरकार किसानों को MSP पर समझाने की कोशिश कर रही है.
किसानों के आंदोलन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि बिल असंवैधानिक है. सरकार किसानों को क्यों सता रही है. बीजेपी देश को नहीं देख रही है. ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी के अलावा किसी भी राजनीतिक दल ने बिल का समर्थन नहीं किया.
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि किसान यूनियनों को बातचीत के लिए केंद्र का निमंत्रण सही दिशा में एक कदम है, लेकिन बहुत देर हो चुकी है. किसानों के आंदोसन को लेकर न केवल देश में बल्कि अन्य देशों में भी चिंता बढ़ रही है, जहां भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. किसानों की वास्तविक मांगों को पूरा किया जाना चाहिए.
भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार शाम 7 बजे यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड और हरियाणा के किसानों के साथ बातचीत करेगी. सरकार अभी पंजाब के किसान नेताओं से बातचीत कर रही है. नरेश टिकैत ने कहा कि हम मुद्दों पर आखिरी फैसला चाहते हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान नेताओं के साथ बैठक करने के लिए विज्ञान भवन पहुंचे.
नए कृषि बिल को लेकर राजस्थान के किसान भी केंद्र सरकार से नाराज हैं. इनका कहना है कि नए किसान बिल लागू होने के बाद मंडिया खत्म हो जाएंगी और उद्योगपति सस्ते दामों में किसानों की फसल खरीदकर भंडारण करने लगेंगे. इनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि सरकार ने भंडारण की सीमा खत्म कर दी है. जयपुर के निमेड़ा गांव के ओंकार लांबा का कहना है कि यह बिल काला कानून है और किसानों की खेती खत्म कर देगी. रामस्वरूप लांबा बता रहे हैं कि सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद का कानून इसमें बनाए तभी जाकर किसानों की हित की रक्षा हो पाएगी. बाजरा मूंग और मूंगफली जैसी फसलें अभी किसानों ने उन्हें अपने भाव में बेची है, जबकि समर्थन मूल्य पर इनकी खरीद नहीं हुई है. किसानों ने कहा कि सरकार और पंजाब के किसानों के बीच समझौता नहीं हुआ तो राजस्थान के किसान भी दिल्ली जाएंगे.
किसान संगठन और केंद्र सरकार के बीच बैठक शुरू हो गई है. विज्ञान भवन में राजनाथ सिंह की अगुवाई में सरकार बैठक कर रही है, अमित शाह, नरेंद्र सिंह तोमर भी बैठक में शामिल हैं. इस मीटिंग में कुल 35 किसान संगठन के नेता हिस्सा ले रहे हैं.
किसान संगठनों और सरकार के बीच अब से कुछ देर में बातचीत शुरू हो गई है. 32 किसान संगठनों के लोग मीटिंग के लिए सिंधु बॉर्डर से निकल चुके हैं. कुल तीन लोगों के ग्रुप में करीब 35 लोग बातचीत के लिए जाएंगे. गौरतलब है कि सरकार की ओर से किसानों के साथ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में बातचीत होगी. एक तरफ किसान संगठन के नेता सरकार से बात करने के लिए रवाना हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर गाजीपुर बॉर्डर पर एक बार फिर किसान सड़कों पर आ गए हैं. यहां भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भी पहुंचे हैं.
ये नेता होंगे शामिल:
इन किसान नेताओं का कहना है कि सरकार के साथ बातचीत का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो रहा है और बिना शर्त के हो रहा है. क्योंकि पहले तो सरकार बातचीत के लिए शर्त लगा रही थी. पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष जगजीत सिंह का कहना है कि हम बातचीत के लिए जरूर जा रहे हैं, लेकिन अपनी मांगें मनवाए बिना नहीं मानेंगे.
किसानों के प्रदर्शन के बीच हरियाणा में मनोहर खट्टर सरकार को झटका लगा है. निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने प्रदेश सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. विधायक ने कहा कि किसानों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया है, उसको देखते हुए मैं सरकार से अपना समर्थन वापस लेता हूं.
कृषि कानून के मसले पर जारी उत्तर भारत में किसानों का आंदोलन अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोर रहा है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत में जारी इन प्रदर्शनों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों का समर्थन करता है.
किसान संगठनों ने आखिरकार ये तय कर लिया है कि वो आज होने वाली बैठक में हिस्सा लेंगे. दिल्ली में सुबह सिंधु बॉर्डर पर 32 किसान संगठनों की बैठक हुई, जिसमें सरकार के प्रस्ताव पर मंथन हुआ. किसानों की ये बैठक तीन घंटे चली, जिसमें सरकार के साथ वार्ता करने पर सहमति बनी है.
चंद्रशेखर आजाद की भीम आर्मी ने भी मंगलवार को किसान आंदोलन में हिस्सा लिया. गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों के साथ भीम आर्मी के लोगों ने प्रदर्शन किया.
टिकरी बॉर्डर पर मौजूद पंजाब किसान यूनियन के प्रमुख रुलदू सिंह का कहना है कि वो लोग सरकार से बातचीत करेंगे और आज होने वाली बैठक में शामिल होंगे. बता दें कि कुछ संगठनों ने चिन्हित संगठनों को बुलाने का विरोध किया था.
आज शाम होने वाली बातचीत के बीच किसानों का प्रदर्शन जारी है. मंगलवार सुबह किसानों ने गाजियाबाद-गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन किया और यहां लगे बैरिकेड को ट्रैक्टरों से हटाने की कोशिश की.
दोपहर को किसानों के साथ होने वाली बातचीत से पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर बैठक चल रही है. इस बैठक में राजनाथ सिंह, अमित शाह, नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल जैसे बड़े नेता शामिल हैं. जहां शाम को किसानों संग होने वाली वार्ता पर मंथन जारी है.
किसानों का कहना है कि MSP और मंडी के मुद्दे पर उन्हें लिखित गारंटी चाहिए. किसान संगठनों को डर है कि नया कानून जैसे ही जमीन पर उतरेगा, MSP धीरे-धीरे खत्म होने लगेगी. यही कारण है कि MSP हमेशा के लिए बनी रहे, वो इस बात को कानून में शामिल करवाना चाहते हैं.
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किसान संगठनों से आज दोपहर तीन बजे केंद्र सरकार बात करेगी. सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगुवाई करेंगे. उनके साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत अन्य कुछ मंत्री रह सकते हैं. इनके अलावा कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जो कानून पर विस्तार से बात करेंगे, वो भी मौजूद रहेंगे.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर ट्वीट कर किसानों का समर्थन किया है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि सैकड़ों अन्नदाता मैदानों में धरना दे रहे हैं और ‘झूठ’ टीवी पर भाषण! किसान की मेहनत का हम सब पर कर्ज है. ये कर्ज उन्हें न्याय और हक देकर ही उतरेगा, न कि उन्हें दुत्कार कर, लाठियां मारकर और आंसू गैस चलाकर. जागिए, अहंकार की कुर्सी से उतरकर सोचिए और किसान का अधिकार दीजिए.
पंजाब किसान संघर्ष कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी सुखविंदर एस. सभ्रान का कहना है कि देश में करीब 500 किसान संगठन आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार ने 32 संगठनों को ही बातचीत के लिए बुलाया है. ऐसे में जबतक सभी को नहीं बुलाया जाएगा, हम नहीं जाएंगे. दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि वो सभी संगठनों से बात करने के बाद ही सरकार के निमंत्रण पर सोचेंगे.
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पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री और म्यूजिक इंडस्ट्री लगातार किसानों के हक में आवाज उठा रही है. सिंगर दिलजीत दोसांझ ने मंगलवार फिर किसानों के मसले पर ट्वीट किया, उन्होंने लिखा कि जो लोग किसानों के खिलाफ हैं उनका साफ पता चल रहा है. लेकिन जो अपने ही लोगों को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं, उन्हें अपने-अपने फर्ज को पहचानने की जरूरत है.
कृषि कानून के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली को घेरकर बैठे किसान बॉर्डर से हटने को तैयार नहीं है और अब वो दिल्ली के 5 एंट्री प्वाइंटस को सील करने की तैयारी में हैं.
जानकारी के मुताबिक, जिन किसान संगठनों से सरकार ने कृषि कानून के मसले पर पहले भी बात की है उन्हीं संगठनों को आज की वार्ता के लिए न्योता दिया गया है. इस दौरान कुल 32 प्रतिनिधि कृषि मंत्री के साथ वार्ता करेंगे.
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किसानों के प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से कृषि कानून पर अपनी बात कही. पीएम मोदी ने कृषि कानूनों के फायदे गिनाएं और इसे किसानों के लिए हितकारी करार दिया. साथ ही पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल किसानों को बर्गला रहे हैं और सरकार के खिलाफ उकसा रहे हैं. हालांकि, किसान MSP-मंडियों को जिंदा रखने के भरोसे को लिखित रुप में मांग रहे हैं ऐसा ना होने पर NCR जाम करने की चेतावनी दे रहे हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 1 दिसंबर यानी आज दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं के साथ बैठक बुलाई है. पिछले 6 दिनों से किसान सड़कों पर हैं और लगातार सरकार से आधिकारिक वार्ता की अपील कर रहे थे. पहले सरकार की शर्त थी कि किसान बुराड़ी ग्राउंड में जाएं, फिर बात होगी लेकिन किसानों ने इसे नहीं माना था. इससे पहले अक्टूबर-नवंबर में भी किसान-सरकार के प्रतिनिधियों की बात हो चुकी है.