प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को दिल्ली, गुड़गांव, कोलकाता, जयपुर और नागपुर में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत बिहार के IAS अधिकारी संजीव हंस और अन्य के खिलाफ 13 जगहों पर छापेमारी की. ये छापेमारी संजीव हंस के करीबी सहयोगियों और रियल एस्टेट और सेवा क्षेत्र में शामिल अन्य पार्टियों के परिसरों पर की गई.
जानें क्या है पूरा मामला
ED की जांच में सामने आया है कि संजीव हंस ने बिहार सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भ्रष्टाचार के जरिए पैसे कमाए. वहीं, गुलाब यादव और अन्य सहयोगियों ने संजीव हंस की मदद की और भ्रष्टाचार से कमाए धन को व्हाइट करने में उनकी मदद की. इसी कारण 3 दिसंबर को 13 स्थानों पर छापेमारी की गई.
60 करोड़ के शेयर की जानकारी मिली
छापेमारी के दौरान संजीव हंस के एक करीबी सहयोगी (जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है) के परिवार के सदस्य के नए खोले गए डिमैट खातों में 60 करोड़ रुपये के शेयर पाए गए. इसके अलावा, उसके परिसरों से 70 बैंक खातों का विवरण मिला, जो प्रतीत होता है कि अपराध की आय को छिपाने के लिए उपयोग किए गए थे. उसने रियल एस्टेट में लगभग 18 करोड़ रुपये का निवेश किया था और इन सौदों में भारी नकदी की छिपाने के सबूत भी मिले.
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ईडी ने फ्रीज किए खाते
छापेमारी के दौरान, डिमैट खातों में 60 करोड़ रुपये के शेयर और 70 बैंक खातों में संतुलन को ED ने फ्रीज कर दिया. इसके अलावा, अन्य स्थानों से लगभग 16 लाख रुपये के अवैध विदेशी मुद्रा और लगभग 23 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई और जब्त की गई. इसके अलावा भ्रष्टाचार से संबंधित कई साक्ष्य भी बरामद किए गए.
बता दें कि इससे पहले इस मामले में PMLA, 2002 की धारा 17 के तहत पटना, दिल्ली, कोलकाता, पुणे, मुंबई, हरियाणा और पंजाब में छापेमारी की गई थी, जिसमें संजीव हंस के परिसरों से 80 लाख रुपये की सोने की ज्वैलरी और 70 लाख रुपये की लक्जरी घड़ियां मिली थीं. उनके सहयोगियों के परिसरों से 87 लाख रुपये की अवैध नकदी, 13 किलोग्राम चांदी (जो लगभग 11 लाख रुपये की है) और 1.5 किलोग्राम सोने की बूलियन और ज्वैलरी (जो लगभग 1.25 करोड़ रुपये की है) भी बरामद की गई और जब्त की गई.
दिव्येश सिंह