दिशा रवि: कोर्ट के कमेंट से दिल्ली पुलिस के लिए टूलकिट केस में मुश्किल हुई राह

पुलिस ने देश के खिलाफ साजिश रचने जैसे दावों को सही साबित करने के लिए तमाम दलीलें रखीं लेकिन वो काम नहीं आईं. पुलिस ने टूलकिट को 26 जनवरी की दिल्ली हिंसा से जोड़कर बताया. पुलिस ने अपने दावे में कहा कि यह महज एक 'टूलकिट' (Toolkit Case) नहीं था, बल्कि इसके जरिए असली मंसूबा भारत को बदनाम करना था

Advertisement
दिशा रवि को 23 फरवरी को मिली जमानत (फाइल फोटो-PTI) दिशा रवि को 23 फरवरी को मिली जमानत (फाइल फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST
  • टूलकिट केस में दिशा रवि को कोर्ट ने दी जमानत
  • जमानत देते हुए कोर्ट ने पुलिस को दी सख्त नसीहत

किसान आंदोलन को भड़काने से लेकर इसके खालिस्तानी कनेक्शन तक के संगीन इल्जामों से घिरी दिशा रवि को कोर्ट से बड़ी राहत मिली. पुलिस ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के सामने टूलकिट के असली मंसूबे को लेकर तमाम सवाल उठाए लेकिन कोर्ट को दिशा के इरादों में  कुछ भी ऐसा नहीं लगा कि उसे सलाखों के पीछे रखा जाए. पटियाला हाउस कोर्ट के सत्र न्यायालय ने दिशा को जमानत दे दी. 

Advertisement

पुलिस ने देश के खिलाफ साजिश रचने जैसे दावों को सही साबित करने के लिए तमाम दलीलें रखीं लेकिन वो काम नहीं आईं. पुलिस ने टूलकिट को 26 जनवरी की दिल्ली हिंसा से जोड़कर बताया. पुलिस ने अपने दावे में कहा कि यह महज एक 'टूलकिट' (Toolkit Case) नहीं था, बल्कि इसके जरिए असली मंसूबा भारत को बदनाम करना था, देश में अशांति पैदा करने के खतरनाक इरादे थे. पुलिस का ये भी दावा है कि दिशा ने वॉट्सऐप पर की गई चैट डिलीट कर दी थी, क्योंकि वह कानूनी कार्रवाई से वाकिफ थी, इससे साफ है कि 'टूलकिट' के पीछे नापाक मंसूबा था. 

यानी पुलिस ने अपने स्तर पर दिशा के खिलाफ मजबूत केस बनाया लेकिन कोर्ट ने सारी दलीलें खारिज कर दीं. दिशा रवि को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा-

Advertisement
  •  इन रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं है कि जिससे लगे कि दिशा अलगाववादी विचार रख रही थीं. 
  •  दिशा रवि का प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस से संबंध साबित नहीं हुआ. 

  • नुकसान न पहुंचाने वाली टूलकिट का एडिटर होना अपराध नहीं है.

जागरूक लोग समृद्ध लोकतंत्र की पहचान

सिर्फ इतना ही नहीं, कोर्ट ने कुछ ऐसी टिप्पणियां भी कीं जिनमें पुलिस के जांच और केस दर्ज करने के तरीके को लेकर गंभीर सवाल थे. जज धर्मेंद्र राणा ने जमानत देने वाले फैसले में कहा कि ''देशद्रोह का मामला सिर्फ सरकार के टूटे गुरूर पर मरहम लगाने के लिए नहीं थोप सकते, किसी लोकतांत्रिक देश में नागरिक सरकार को राह दिखाते हैं, उनको इसलिए जेल में नहीं डाल सकते कि वो सरकार की नीतियों से असहमत हैं. विचारों में मतभेद और असहमति, सरकार की नीतियों में निष्पक्षता लाते हैं और जागरूक नागरिक हां में हां मिलाने वाले लोगों के मुकाबले समृद्ध लोकतंत्र की पहचान है."

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

दिशा रवि के केस में पहले से विरोधी दलों और तमाम सामाजिक संगठनों की आलोचना का सामना कर केंद्र की बीजेपी सरकार और दिल्ली पुलिस के लिए कोर्ट की टिप्पणियां झटका देने वाली मानी जा रही हैं. ऐसी टिप्पणियों के बाद अब दिल्ली पुलिस पर नैतिक दबाव बढ़ना तय है, ऐसे में पुलिस अगर टूलकिट केस को आगे बढ़ाएगी, तो किस तरह, ये देखना अहम होगा, क्योंकि दिल्ली पुलिस दिशा रवि को ही इस पूरे मामले के लिए मास्टरमाइंड के तौर पर पेश कर रही थी. 
 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement