नकली खोपड़ी, झूठी कहानी... धर्मस्थल केस में आया बड़ा ट्विस्ट, फर्जी सबूत देने वाला व्हिसलब्लोअर गिरफ्तार

पुलिस सूत्रों का कहना है कि जांच में सामने आया है कि व्हिसलब्लोअर की ओर से दिखाई गई खोपड़ी असली नहीं बल्कि नकली थी. इसके खुलासे के बाद उसे झूठी गवाही देने और फर्जी सबूत पेश करने के आरोप में हिरासत में लिया गया. पुलिस ने बताया कि आरोपी को आज शाम मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा.

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यह व्हिसलब्लोअर धर्मस्थल के प्रसिद्ध मंजूनाथ मंदिर में करीब 20 वर्षों तक सफाईकर्मी के रूप में काम कर चुका है. (Photo: ITG) यह व्हिसलब्लोअर धर्मस्थल के प्रसिद्ध मंजूनाथ मंदिर में करीब 20 वर्षों तक सफाईकर्मी के रूप में काम कर चुका है. (Photo: ITG)

नागार्जुन

  • बेंगलुरु,
  • 23 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

धर्मस्थल सामूहिक दफनाने के मामले में नया मोड़ आया है. कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) को झूठी जानकारी देने के आरोप में इस केस के मुख्य व्हिसलब्लोअर को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया. सूत्रों ने आजतक को इसकी पुष्टि की है.

गिरफ्तार शख्स धर्मस्थल मंदिर प्रशासन में पूर्व सफाईकर्मी रह चुका है. उसने दावा किया था कि उसने कई जगहों पर 70–80 शव दफनाए थे. पूछताछ के लिए उसे रातभर हिरासत में रखा गया और आज सुबह 6 बजे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया.

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नकली निकली इंसानी खोपड़ी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच के दौरान पाया गया कि व्हिसलब्लोअर की ओर से पहले दिखाई गई खोपड़ी नकली थी. इसके बाद उसे झूठी गवाही और गलत सबूत पेश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने बताया कि आरोपी को आज शाम मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा. उससे पहले उसका मेडिकल चेकअप कराने के लिए उसे अस्पताल ले जाया गया है.

15 में से सिर्फ एक जगह पर मिले कंकाल के अवशेष

SIT को उसने 15 जगहें बताई थीं, जहां उसने 1998 से 2014 के बीच कई महिलाओं और बच्चों को दफनाने का दावा किया था. लेकिन इनमें से सिर्फ एक जगह (स्पॉट नंबर 6) से एक पुरुष के कंकाल के अवशेष मिले हैं.

पहले जब आजतक ने व्हिसलब्लोअर से पूछा था कि अब तक सिर्फ एक ही जगह से मानव अवशेष क्यों मिले हैं, तो उसने कहा कि कुछ कब्रों के निशान कटाव, जंगल की बढ़त और निर्माण कार्यों के कारण मिट गए होंगे.

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मंदिर की छवि खराब करने की कोशिश?

उसका यह भी दावा था कि शवों को दिनदहाड़े दफनाया गया था और उस समय कई स्थानीय लोग मौजूद थे, लेकिन किसी ने रोकने या सवाल करने की हिम्मत नहीं दिखाई. मंदिर की छवि खराब करने की मंशा से काम करने के आरोपों को उसने खारिज किया और कहा, 'मुझे मंदिर का नाम खराब करके क्या मिलेगा? मैं खुद हिंदू हूं और अनुसूचित जाति से हूं.'

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