दिल्ली पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा देने वाले सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. दिसंबर 2024 में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने जो ड्राइव शुरू की थी वह पहलगाम में आतंकी हमले के बाद तेज हो गई है. पिछले 6 महीने में दिल्ली पुलिस ने कई ऐसे सिंडिकेट का भी भंडाफोड़ किया है जो अवैध बांग्लादेशियों को देश में अवैध तरीके से घुसाने से लेकर उन्हें राजधानी तक पहुंचाने, यहां उनका जाली दस्तावेज बनवाकर नौकरी दिलाने तक में मदद करता है.
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक पुलिस ने करीब 800 अवैध घुसपैठियों को एफआरआरओ की मदद से बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया है. जबकि करीब 500 अन्य अवैध बांग्लादेशियों की पहचानकर उनके डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. जब पुलिस ने जांच की तो पता लगा कि अवैध घुसपैठिए कहीं एयरलाइन में, तो कहीं प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं. साथ ही इनके बच्चे EWS कोटे से बड़े और नामी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं.
कुछ समय पहले दिल्ली के सभी 15 जिलों के डीसीपी ने अवैध घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें वापस रिपोर्ट करने के लिए विशेष टीमें बनाई थीं. इसके बाद से जानकारी के मुताबिक दक्षिणी दिल्ली से अब तक 67 अवैध-बांग्लादेशों को डिपोर्ट किया गया है जबकि दक्षिण पश्चिम जिला से 60, दक्षिण पूर्वी जिले से 64, उत्तर पूर्वी जिला से 9, बाहरी दिल्ली से 99, नई दिल्ली से 4, रोहिणी से 15, सेंट्रल से 58, उत्तरी से 68, पूर्वी से 7, पश्चिम से 27, शाहदरा से 6, द्वारका से 48, उत्तर पश्चिम से 31, जबकि सबसे ज्यादा उत्तरी बाहरी दिल्ली से 127 अवैध बांग्लादेशियों को अब तक डिपोर्ट किया जा चुका है. हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि इससे कहीं ज्यादा की पहचान की जा चुकी है और उनको डिपोर्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है.
क्या है प्रक्रिया?
दिल्ली पुलिस जब भी ड्राइव चलाती है तो उन जगहों पर पुलिस की टीम रेड करती है जहां पर अवैध-बांग्लादेशों के छिपे होने की जानकारी मिलती है. एक बार जब पुलिस किसी को पकड़ती है तो उसके पास से बरामद दस्तावेजों की जांच की जाती है. कई के दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं और कई के पास से बांग्लादेश का कार्ड भी बरामद होता है. एक बार जब यह तय हो जाता है कि सामने वाले ने अवैध तरीके से देश में एंट्री किया है तो फिर पुलिस उन्हें एफआरओ के हवाले कर देती है जहां से उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया जाता है.
घुसपैठ में जुटे सिंडिकेट दो तरीके से काम करते है. इसका एक तार बांग्लादेश में जुड़ा हुआ होता है. बांग्लादेश का जो मॉड्यूल होता है वह वहां पर उन लोगों से बात करता जो अवैध तरीके से भारत आना चाहते है. फिर उनसे अपना कमीशन लेकर बंगलादेशी मोड्यूल उन्हें बोर्डर पार करवाती है.
अलग-अलग मोड्यूल के जरिए घुसपैठ
मोड्यूल 1- पहला मॉड्यूल बांग्लादेश के अंदर काम करता है जो उनकी पहचान करता है जो अवैध तरीके से भारत आना चाहते हैं. इसके बाद वह उन्हें बॉर्डर पर करवा देता है. ये लोग बांग्लादेश से भारत में जंगल के अलग अलग रास्तों से डंकी रूट से बांग्लादेशियों को घुसपैठ करवाते हैं.
मोड्यूल 2- भारत में एंट्री कर लेने के बाद मोड्यूल 2 सक्रिय हो जाता है. वह अवैध घुसपैठियों को किसी तरीके से पास के रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन पहुंचाता है और लोकल टिकट कटा कर उन्हें आगे भेज दिया जाता है.
मोड्यूल 3- तीसरे पड़ाव कृष्णाय पहुंचने के बाद इन घुसपैठियों को ट्रेन के जरिए या तो कोलकाता ले जाया जाता है या फिर बस के जरिए. आगे फिर दिल्ली की ट्रेन या बस में बिठा दिया जाता है.
मोड्यूल 4- चौथे पड़ाव पर पहुंचने के साथ ही चौथे मॉड्यूल का काम शुरू हो जाता था. चौथे मॉड्यूल का काम. दिल्ली में आते ही रहने के लिए कोई सुरक्षित जगह दिलाना और साथ ही छोटा-मोटा कान दिलाना जैसे कूड़े बीनना या फिर कबड़ी इकट्ठा करना. शुरुआत में ज्यादातर अवैध घुसपैठी यही काम करते हैं. इसके बाद अवैध तरीके से उनके दस्तावेज बनवा दिए जाते है.
अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ यह तेजी तब देखी गई जब 10 दिसंबर 2024 को दिल्ली निजामुद्दीन इलाके के रहने वाले मोहम्मद नौशाद अनवर शाहिद और उनके कुछ साथियों ने अवैध-बांग्लादेशों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर के दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को एक चिट्ठी लिखी थी. लेफ्टिनेंट गवर्नर ने उस चिट्ठी को दिल्ली पुलिस को फॉरवर्ड कर दिया था. उसके बाद से ही दिल्ली में अवैध घुसपैठियों का खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई. अब अवैध बांग्लादेशों को ढूंढ ढूंढ कर डिपोर्ट किया जा रहा है.
हिमांशु मिश्रा