दिल्ली हाई कोर्ट में इंडिगो की फ्लाइट्स रद्द होने के मामले में सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने सरकार से कड़े सवाल किए. हाई कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर संकट है और यह सिर्फ यात्रियों के फंसे होने का सवाल नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का सवाल है.
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई और इसका जिम्मेदार कौन है. यात्री रोजाना परेशान और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं.
हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि यात्रियों को क्षतिपूर्ति देने और उनकी मदद के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. कोर्ट ने सवाल किया कि जो टिकट पहले ₹5,000 में उपलब्ध थे, वे अब ₹35,000 से ₹40,000 तक कैसे पहुंच गए. हाईकोर्ट ने कहा कि अन्य एयरलाइंस को संकट का फायदा उठाने की इजाजत क्यों दी गई.
सरकार पर लापरवाही का आरोप...
सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि वे लंबे वक्त से FDTL (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) लागू करना चाहते थे. उन्होंने बताया कि पहले जुलाई और नवंबर में दो चरणों में इसे लागू करने की अंडरटेकिंग दी गई थी. कोर्ट ने DGCA के वकील से पूछा कि उन्हें छूट किसने दी, और यह स्थिति क्यों उत्पन्न होने दी गई. हाई कोर्ट ने DGCA पर एयरलाइन्स के खिलाफ कार्रवाई न करने का भी आरोप लगाया.
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DGCA ने कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण संकट पैदा हुआ, और अगर छूट नहीं दी जाती तो इसका व्यापक असर होता. हाई कोर्ट ने सवाल किया कि एयरलाइंस ने पर्याप्त संख्या में पायलट्स की भर्ती क्यों नहीं की. कोर्ट ने DGCA पर सही आंकड़े न देने का भी आरोप लगाया. DGCA ने कहा कि उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया जा सकता है.
नलिनी शर्मा