कांग्रेस को Delhi HC से फिर लगा झटका, टैक्स असेसमेंट केस में याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि कांग्रेस के खातों में कई बेहिसाब लेनदेन थे. आयकर अधिकारियों के पास उनके पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत मौजूद थे. इनके आधार पर कार्रवाई शुरू की गई.

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सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी (File Photo) सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी (File Photo)

सृष्टि ओझा / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST

कांग्रेस को दिल्ली हाईकोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है. अदालत ने आयकर विभाग की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस की याचिका खारिज कर दी है. दरअसल कांग्रेस ने चार सालों के लिए इनकम टैक्स की टैक्स पुनर्मूल्यांकन प्रोसिडिंग के खिलाफ याचिका दायर की थी. 

दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि कांग्रेस के खातों में कई बेहिसाब लेनदेन थे. आयकर अधिकारियों के पास उनके पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत मौजूद थे. इनके आधार पर कार्रवाई शुरू की गई.

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दरअसल कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में साल 2014-15,16 और 17 तक के आयकर विभाग द्वारा पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती दी गई थी. इसमें आयकर विभाग का कहना था कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि पार्टी की बची हुई आय 520 करोड़ रुपये से अधिक है.

हाईकोर्ट ने इससे पहले भी की है कांग्रेस की याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने इससे पहले तीन साल के लिए आयकर विभाग की टैक्स पुनर्मूल्यांकन प्रोसिडिंग के खिलाफ याचिका खारिज की थी. इससे पहले कांग्रेस ने पुनर्मूल्यांकन कार्रवाई का विरोध किया था. कांग्रेस के वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि कर पुनर्मूल्यांकन कार्रवाई पर समयसीमा लागू होती है. आयकर विभाग ज्यादा से ज्यादा छह मूल्यांकन वर्षों तक ही किया जा सकता है. पुनर्मूल्यांकन प्रोसिडिंग आयकर कानून के प्रावधानों के विपरीत की जा रही है.

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हालांकि, आयकर विभाग ने दावा किया कि किसी वैधानिक प्रावधान का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है. बरामद सामग्री के अनुसार पार्टी द्वारा छिपाई गई आय 520 करोड़ रुपये से ज्यादा है. हाल ही में हाई कोर्ट ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के बकाया टैक्स वसूली के लिए आयकर विभाग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.

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