दिल्ली हाई कोर्ट रेलवे में जमीन के बदले नौकरी घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लालू यादव के करीबी एक व्यवसायी अमित कत्याल की जमानत याचिका पर विचार कर रहा है. अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय की अपर्याप्त दलीलें पेश करने के लिए आलोचना की, जिसमें 18 आरोपियों में से कत्याल की गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी के लिए कोई ठोस वजह होनी चाहिए.
अदालत ने कहा कि अगर कत्याल मुख्य आरोपी के बजाय सिर्फ एक सह-आरोपी है, तो अन्य लोगों के बाहर रहने पर उनकी गिरफ्तारी को सही साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत भी होने चाहिए. कोर्ट ने दोहराया कि कत्याल के बारे में आरोपपत्र में भी स्पष्टता की कमी है. कोर्ट ने ईडी से कहा कि आपके मुताबिक, मामले में मुख्य आरोपी लालू यादव और उनका परिवार है.
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आरोपी के रोल के बारे में आरोपपत्र में नहीं बताया
कोर्ट ने एजेंसी से कहा कि आपको और अच्छी तरह से तैयारी करके आना चाहिए. कोर्ट ने एजेंसी से कहा कि आपने आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें आपको सभी आरोपियों के रोल के बारे में भी बताना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि जहां तक उनकी भूमिका का सवाल है, इसमें समानता नहीं हो सकती, जरूरी ये है कि उनकी दोषीता सिद्ध हो.
गिरफ्तारी अवैध है या नहीं, कोर्ट नहीं तय कर सकता
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा 18 मुख्य आरोपियों में आपने सिर्फ एक को उठाया है, हो सकता है कि वह मामले में सह-साजिशकर्ता हों. कोर्ट ने एजेंसी से कहा कि आपने चार्जशीट में एक शब्द भी नहीं कहा है, जिससे पता चलता कि उन्होंने कुछ गलत किया है. इस तरह से आप बहस नहीं कर सकते.
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कोर्ट ने एजेंसी को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आपको कोर्ट का अटेंशन चाहिए तो आपको कुछ सेन्स का इस्तेमाल करना चाहिए. कोर्ट ने एजेंसी से कहा कि आप सवालों के जवाब दीजिए और ये कि चार्जशीट में ऐसा कोई ठोस पॉइंट नहीं है. बेंच ने कहा कि कोर्ट जमानत याचिका में यह तय नहीं कर सकता कि गिरफ्तारी अवैध है या नहीं.
सृष्टि ओझा