जाति जनगणना के दांव पर सियासी जंग: कांग्रेस डेडलाइन पर अड़ी तो BJP ने किया नेहरू का जिक्र

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, " मेरा राजनीति में आने का कारण ही बिहार है, मैं अपने राज्य बिहार में वापस जाना चाहता हूं. मुझे केंद्र में नहीं बिहार में राजनीति करनी है. मैं चाहता हूं कि बिहार ऐसी व्यवस्था हो, जिससे पलायन कर चुके बिहारी वापस बिहार लौटें."

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भारत में जातिगत जनगणना (फाइल फोटो) भारत में जातिगत जनगणना (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई CCPA मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना करवाने का फैसला किया है. अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "ये अचानक लिया गया फैसला नहीं था. सबका साथ सबका विकास ही सरकार के मन में है. अभी तक जातिगत जनगणना कभी नहीं हुई थी, लेकिन इस बार जातिगत जनगणना होगी. गृह मंत्री करीब 8 महीने पहले बोल चुके थे कि सरकार इस पर काम करेगी."

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उन्होंने आगे कहा, "कल कुछ लोग बौखला गए. वे बोले- सरकार उनकी है, सिस्टम हमारा है. 1951 में सिस्टम और सरकार किसकी थी? तब तो जवाहरलाल नेहरू थे. जवाहरलाल नेहरू जातिवाद जनगणना के विरोध में थे. कांग्रेस की कुंठा है प्रधानमंत्री के खिलाफ है." 

धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि कांग्रेस हमेशा से आदिवासी, वंचित, OBC और पिछड़ों के खिलाफ रही है. इनके पास मुद्दा नहीं बचा है. खाली बर्तन सबसे ज्यादा आवाज़ करता है, वही हाल राहुल गांधी और कांग्रेस का है.

चिराग पासवान ने क्या कहा?

दिल्ली में मौजूद चिराग पासवान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "एनडीए सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर फ़ैसला किया है. 1960 के दशक में मेरे नेता रामविलास पासवान जी लोहिया जी की सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने. पिछड़ा पावे सौ में साठ के नारा था. प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति ही थी, जिसने सामाजिक न्याय को मज़बूत करने वाला ये फ़ैसला लिया है."

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उन्होंने आगे कहा कि पीएम का आभार, दशकों से इस पर राजनीति हुई. दलों ने इसे राजनीतिक हथियार बनाया, जब चुनाव आते हैं तो विपक्ष ने जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाया. कांग्रेस, राजद और सपा ने इस पर बोला लेकिन इसे करने के लिए कुछ नहीं किया.

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'मुझे केंद्र में राजनीति नहीं करनी है...'

चिराग पासवान ने आगे कहा, "आज़ादी के बाद सबसे ज़्यादा सत्ता में कांग्रेस थी. ईमानदारी से चाहते तो ये करवा देते. जहां सीएम थे वहां सर्वे भी नहीं करवाया, कुछ राज्यों में पारदर्शिता नहीं थी. राहुल गांधी श्रेय लेने में जुटे हैं कि मैंने करवाया. आपने पहले क्यों नहीं करवाया, आपने राजनीतिक हथियार बनाकर लोगों की भावनाओं को भड़काया."

चिराग़ ने आगे कहा कि अब मैं सीना चौड़ा करके बोल सकता हूं, हर बार मुझसे ये सवाल पूछा गया, सही समय पर मोदी जी ने फ़ैसला लिया. विपक्ष भ्रम फैला रहा है कि फ़ैसला बिहार चुनाव से पहले लिया गया है. ऐसा होता तो लोकसभा के पहले लेते. यही सही वक्त है जातिगत जनगणना का.

उन्होंने आगे कहा कि मेरा राजनीति में आने का कारण ही बिहार है, मैं अपने राज्य बिहार में वापस जाना चाहता हूं. मुझे केंद्र में नहीं बिहार में राजनीति करनी है. मैं चाहता हूं कि बिहार ऐसी व्यवस्था हो, जिससे पलायन कर चुके बिहारी वापस बिहार लौटें.

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यह भी पढ़ें: कांग्रेस की OBC पॉलिटिक्स में सेंध लगाने की कोशिश, बिहार पर निशाना... क्या BJP ने राहुल गांधी का 'जाति जनगणना' का मुद्दा हाईजैक कर लिया?

'बीजेपी को जवाब देना चाहिए...'

AIMIM पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "हमारी पार्टी मांग करती रही है कि देश में जाति जनगणना की जाए. यह जानने के लिए कि कौन सी जाति विकसित है या कम विकसित. सकारात्मक कार्रवाई के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है. ओबीसी आरक्षण को 27 फीसदी पर रोकना पर्याप्त नहीं है. बीजेपी को यह साफ करना चाहिए कि यह कब किया जाएगा, क्या यह 2029 के चुनावों से पहले होगा."

उन्होंने आगे कहा कि तेलंगाना में रेवंत रेड्डी सरकार ने जाति जनगणना की है. बीजेपी को जवाब देना चाहिए कि यह जनगणना कब की जाएगी. प्रधानमंत्री और भाजपा को जवाब देना चाहिए कि क्या वे वास्तव में 'पसमांदा' के प्रति सहानुभूति रखते हैं.

 

'उद्देश्य और मंशा क्या है? केवल हेडलाइन?'

जाति जनगणना कराने के केंद्र के फैसले पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश कहते हैं, "जैसा कि राहुल गांधी ने कल कहा, 'हेडलाइन तो दे दिया, लेकिन डेडलाइन कहां है? हमारे पीएम बिना डेडलाइन के हेडलाइन देने में माहिर हैं." 

#WATCH | Delhi | On Centre's decision to conduct caste census, Congress MP Jairam Ramesh says, "Like Rahul Gandhi said yesterday, 'headline toh de diya, lekin deadline kaha hai? Our PM is an expert in giving headlines without deadlines... In 2025-26, the census commissioner's… pic.twitter.com/g5kYM4hOVK

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— ANI (@ANI) May 1, 2025

उन्होंने आगे कहा कि 2025-26 में गृह मंत्रालय में जनगणना आयुक्त कार्यालय को बजट में 575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इसी को जनगणना की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन 24 दिसंबर 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय जनगणना के लिए 8254 करोड़ रुपये की जरूरत है. उद्देश्य और मंशा क्या है? केवल एक हेडलाइन?"

 

(एजेंसी के इनपुट के साथ)

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