बंगाल की खाड़ी में मौसम एक बार फिर बदल रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने (IMD) दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में चक्रवात दित्वा (अरबी नाम दित्वाह) की पुष्टि की है. चक्रवात 30 नवंबर की सुबह तक तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों के करीब पहुंच सकता है. यह चक्रवाती स्थिति तब बन रही है, जब पहले से ही मलक्का की खाड़ी में बना 'सेन्यार' साइक्लोन करीब 18 किलोमीटर की रफ़्तार से पूर्व की ओर बढ़ते हुए कमजोर डिप्रेशन में बदल गया.
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, Ditwah और Senyar का संयुक्त असर दक्षिण भारत के कई राज्यों में व्यापक और भारी वर्षा की स्थिति पैदा करेगा. IMD के अनुसार यह नया चक्रवात तेजी से उत्तर-उत्तरी-पश्चिम दिशा में बढ़ रहा है और अभी पोट्टुविल के नजदीक है, जो श्रीलंका के पूर्वी हिस्से के बेहद करीब है. इसके आगे बढ़ते ही तटवर्ती जिलों में तेज हवाओं और भारी वर्षा का खतरा बढ़ेगा. इसी के मद्देनजर चेन्नई, नागपट्टिनम, तिरुवल्लूर, तंजावुर और आसपास के कई जिलों के लिए 27, 28 और 29 नवंबर को ‘येलो’ और ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी किया गया है.
यमन ने दिया है दित्वा नाम
असल में चक्रवात ‘दित्वा’ का नाम यमन की ओर से सुझाया गया है और यह उत्तर हिंद महासागर के चक्रवातों की नामकरण सूची में शामिल है. मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बंगाल की खाड़ी इन दिनों लगातार सक्रिय है और एक के बाद एक दो चक्रवातों का उभरना मौसम की तीव्रता को दर्शाता है. इससे पहले चक्रवात ‘सेन्यार’ ने भी मौसम वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ‘दुलर्भता’ के कारण खींचा था.
अगले 24 घंटे हैं महत्वपूर्ण
अब सभी की निगाहें 30 नवंबर की सुबह पर टिकी हैं, जब ‘दित्वा’ भारतीय तटों के करीब पहुंचेगा. IMD ने कहा है कि अगले 24 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि इसी दौरान इसके मार्ग, तीव्रता और प्रभाव का सबसे सटीक पूर्वानुमान सामने आएगा. फिलहाल तटीय इलाकों में लोगों को सावधानी बरतने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है. तूफान के प्रभाव के मद्देनजर राज्य सरकारों ने भी जरूरी तैयारियां शुरू कर दी हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके.
यमन ने कैसे किया है दित्वा का नामकरण
यमन ने चक्रवात दित्वा का नामकरण अपने शांत-सुंदर और प्राकृतिक द्वीप सोकोट्रा पर मौजूद एक सुंदर रमणीय स्थल पर किया है, जिसका नाम है डेटवा लैगून. अरब सागर के विस्तृत विस्तार में बसे यमन के सोकोट्रा द्वीप पर स्थित डेटवाह लैगून (Detwah Lagoon) दुनिया की चुनिंदा प्राकृतिक धरोहरों में से एक है. अरबी में दीत्वाह लाजोन कहलाने वाला यह लैगून अपने नीले-फिरोजी रंग के पानी, सुनहरी रेत और चारों ओर खड़े ऊंचे पथरीले पहाड़ों की वजह से विश्वभर के प्रकृति–प्रेमियों को आकर्षित करता है.
डेटवा लैगून से आया है नाम
डेटवा लैगून सोकोट्रा द्वीप के उत्तर–पश्चिमी तट पर स्थित क़लंसिया (Qalansiyah) कस्बे के पास है. यह खाड़ी एक संकरी रेत की पट्टी (spit) के जरिये अदन की खाड़ी से जुड़ती है.
10 अगस्त 2007 को इसे यमन के पहले और एकमात्र 'रामसर स्थल' के रूप में मान्यता मिली.
डेटवा लैगून अपनी अनोखी जैव विविधता के कारण विशेष महत्व रखता है. यहां विशाल समुद्री घास के मैदान मिलते हैं जो छोटे मछलियों के लिए प्राकृतिक नर्सरी का काम करते हैं.
किनारे पर केवल सोकोट्रा में पायी जाने वाली क्रोटन सोकोट्रानस (Croton socotranus) और जैट्रोफा यूनिकोस्टाटा (Jatropha unicostata) जैसी विलुप्तप्राय वनस्पतियां मौजूद हैं. यह दुनिया में उन खास जगहों में भी शामिल हैं, जहां मिस्री गिद्ध (Egyptian Vulture) और सोकोट्रा कॉर्मोरेंट प्रजनन करते हैं.
सोकोट्रा द्वीपसमूह पर है डेटवा लैगून
सोकोट्रा द्वीपसमूह अपनी विशिष्ट जैव विविधता और स्थानिकता के कारण विश्व के प्रमुख ‘बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट’ में गिना जाता है. इसी महत्व को देखते हुए साल 2003 में पूरे सोकोट्रा द्वीपसमूह को 'यूनेस्को बायोस्फियर रिज़र्व' घोषित किया गया. 2007 में डेटवा लैगून को यमन का पहला 'रामसर स्थल' घोषित किया गया.
क़लंसिया बीच के किनारे फैला डेटवा लैगून अपने शांत, पारदर्शी पानी और प्राकृतिक गठन की वजह से एक अद्भुत दृश्य सामने लाता है. फोटोग्राफी, पक्षी–अवलोकन और पर्यावरणीय अध्ययन के लिए यह दुनिया भर के शोधार्थियों और पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है.
दरअसल, समुद्री तूफानों को नाम देने की शुरुआत, सबसे पहले अटलांटिक सागर के आसपास के देशों ने वर्ष 1953 में की थी. लेकिन बाद में सिस्टम बनाया गया कि तूफान जिस क्षेत्र में उठ रहा है. उसके आसपास के देश ही उसे नाम देंगे.
कब से रखे जाते हैं चक्रवातों के नाम? यमन 2018 से इस मुहिम में जुड़ा
भारत की पहल पर वर्ष 2004 में, आठ देशों ने अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला शुरू किया. इन आठ देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाइलैंड और श्रीलंका शामिल थे. वर्ष 2018 में इस लिस्ट में ईरान, क़तर, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी जोड़ा गया. इन 13 देशों की तरफ से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार चक्रवाती तूफानों के नाम रखे जाते हैं. इन सभी देशों ने तूफानों के नाम की जो लिस्ट दी है, उसमें भारत ने अग्नि, बिजली, मेघ, सागर और आकाश जैसे नाम दिए हैं.
विकास पोरवाल