दिल्ली में कफ सिरप पर सख्ती, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जाएगी दवा, खरीद-बिक्री पर भी लगाई रोक

केंद्र के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में एक विशेष कंपनी के कफ सिरप की खरीद और बिक्री पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि अब दिल्ली में 5 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी की वह दवा नहीं दी जाएगी, जिसके इस्तेमाल से अन्य राज्यों में दुखद घटनाएं सामने आई हैं.

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दिल्ली पर कफ सिरप की बिक्री पर रोक. (photo: ITG) दिल्ली पर कफ सिरप की बिक्री पर रोक. (photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के इस्तेमाल से बच्चों की मौत के मामलों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज सिंह ने इस मामले को गंभीर बताते हुए केंद्र सरकार की एडवाइजरी को दिल्ली में सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं.

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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि अब दिल्ली में 5 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी की वह दवा नहीं दी जाएगी, जिसके इस्तेमाल से अन्य राज्यों में दुखद घटनाएं सामने आई हैं. ये फैसला बच्चों की जान बचाने और उनकी सेहत को प्राथमिकता देने के लिए लिया गया है. 

इसके साथ ही बाजार में एक विशेष कंपनी के कफ सिरप की खरीद और बिक्री पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है.

मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से जुड़े मामलों के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कफ सिरप के इस्तेमाल और बिक्री पर सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं. इसी का अनुपालन करते हुए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अस्पतालों, फार्मेसियों और स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रतिबंधित कफ सिरप का इस्तेमाल न करें और इसके स्टॉक की बिक्री तुरंत रोक दें. साथ ही अभिभावकों से भी अपील की गई है कि वे अपने बच्चों को कोई भी कफ सिरप देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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कप सिरप के सेवन से कई बच्चों की मौत

दरअसल, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत का सिलसिला गंभीर रूप से उभरा है, जहां अगस्त के अंत से सितंबर तक किडनी फेलियर के कारण 14 बच्चों की जान चली गई. जांच में पाया गया कि तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित इस सिरप में 48.6% डायथाइलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला रसायन मिला था जो औद्योगिक सॉल्वेंट में इस्तेमाल होता है और बच्चों के लिए घातक साबित होता है.

सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी ने निजी क्लिनिक में सिरप का प्रिस्क्रिप्शन दिया, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

प्रशासन ने तत्काल सिरप की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी रोक लगाई गई और विशेष जांच दल (SIT) गठित कर तमिलनाडु फैक्ट्री की पड़ताल शुरू की. केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने छह राज्यों में दवा इकाइयों का निरीक्षण शुरू किया, जबकि बैतूल जिले में भी दो और मौतें दर्ज हुईं. केंद्र सरकार ने 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने की सलाह जारी की जो दवा उद्योग की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है.

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