कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को चुनाव आयोग से पारदर्शिता की मांग तेज करते हुए डिजिटल मतदाता सूची और महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों की शाम 5 बजे के बाद की सीसीटीवी फुटेज जारी करने का आग्रह किया. उनका यह कदम चुनाव आयोग के साथ चल रहे टकराव के बीच आया है, जिसने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 'मैच फिक्सिंग' के उनके आरोपों को खारिज कर दिया है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा, 'यह बहुत ही अजीब है कि राहुल गांधी चुनाव आयोग को सीधे पत्र लिखने के बजाय, बार-बार अपने निराधार संदेहों का जवाब किसी और प्लेटफॉर्म पर मांगते रहते हैं. इसी तरह के मुद्दों पर 24 दिसंबर, 2024 को चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस को विस्तृत पत्र लिखकर जवाब दिया जा चुका है. यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से चुनाव आयोग को पत्र लिखकर जवाब प्राप्त करने से क्यों कतरा रहे हैं?'
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा, 'प्रिय चुनाव आयोग, आप एक संवैधानिक संस्था हैं. मध्यस्थों को बिना हस्ताक्षर के, टाल-मटोल वाले नोट जारी करना गंभीर सवालों का जवाब देने का तरीका नहीं है. अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो मेरे लेख में पूछे गए सवालों का जवाब दें और महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभाओं के हालिया चुनावों के लिए डिजिटल मतदाता सूची प्रकाशित करके और महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों से शाम 5 बजे के बाद की सभी सीसीटीवी फुटेज जारी करके इसे साबित करें. टाल-मटोल आपकी विश्वसनीयता की रक्षा नहीं करेगा. सच बोलने से आपकी विश्वसनीयता सुरक्षित रहेगी.'
चुनाव आयोग ने शनिवार को पिछले साल के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में धांधली के राहुल गांधी के दावे को अस्पष्ट और पूरी तरह से बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया और कांग्रेस सांसद के मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों का बिंदुवार खंडन किया. निर्वाचन आयोग ने कहा, 'मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद मैच फिक्सिंग का आरोप लगाकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है.' इससे पहले दिन में, राहुल गांधी ने इंडियन एक्सप्रेस में अपने लेख को साझा करते हुए दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे हेराफेरी के जरिए भाजपा के पक्ष में कराए गए और मतदाता सूचियों में फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़े गए.
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन किया गया, ताकि उनके चयन के लिए जिम्मेदार पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटाकर केंद्र को भारी लाभ पहुंचाया जा सके. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के 'मैच फिक्सिंग' के दावों को खारिज करते हुए कहा कि पूरी मतदान प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हुई थी और सभी राजनीतिक दलों के एजेंट मतदान केंद्रों और मतगणना केंद्रों पर मौजूद थे. चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस के अधिकृत एजेंटों ने असामान्य मतदान के बारे में कभी कोई आपत्ति या शिकायत नहीं उठाई.
राहुल गांधी के आरोपों को 'निराधार' बताते हुए, चुनाव आयोग ने दोहराया कि उसने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों के तुरंत बाद कांग्रेस द्वारा लगाए गए इसी तरह के आरोपों का जवाब दिया था, जिसमें कहा गया था, 'चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर, 2024 को ही कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते समय इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है.' कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक को पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें वह 288 सीटों में से केवल 46 सीटें ही जीत पाया था, जबकि कुछ महीने पहले ही उसने महाराष्ट्र के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को पीछे छोड़ दिया था. राज्य के विधानसभा चुनाव में इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच महाराष्ट्र की मतदाता सूची में रहस्यमय तरीके से 70 लाख मतदाता जोड़े गए. जवाब में चुनाव आयोग ने डेटा साझा किया जिसमें दिखाया गया कि दो चुनावों के बीच 5 महीनों में 70 लाख नहीं बल्कि 40.81 लाख मतदाता जोड़े गए.
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राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दिया जवाब
राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए ईसीआई ने अपने बयान में कहा, 'महाराष्ट्र सहित भारत में मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं. कानून के अनुसार, या तो चुनावों से ठीक पहले और/या हर साल एक बार, मतदाता सूचियों को संशोधन किया जाता है और मतदाता सूचियों की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) सहित सभी राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है.' ईसीआई के बयान में आगे कहा गया है, 'महाराष्ट्र चुनाव के दौरान इन मतदाता सूचियों को अंतिम रूप देने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के मुकाबले, प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (DM) के समक्ष केवल 89 अपीलें दायर की गईं और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (CEO) के समक्ष केवल 1 अपील दायर की गई. इसलिए, यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव आयोजित होने से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की वोटर लिस्ट को लेकर कोई शिकायत नहीं थी.'
चुनाव आयोग ने आगे कहा, 'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्र पर पहुंचे 6,40,87,588 मतदाताओं ने मतदान किया. औसतन प्रति घंटे करीब 58 लाख वोट डाले गए. इन औसत रुझानों के अनुसार, पिछले दो घंटों में करीब 1 करोड़ 16 लाख मतदाताओं ने मतदान किया होगा. इसलिए, दो घंटों में मतदाताओं द्वारा 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से काफी कम है. इसके अलावा, हर मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए पोलिंग एजेंटों के सामने मतदान हुआ. कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (RO) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुष्ट आरोप नहीं लगाया.'
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