कांग्रेस 15 जनवरी को 'किसान अधिकार दिवस' मनाएगी, राजभवन का घेराव भी करेगी

कांग्रेस ने कहा, 'कमाल यह है कि 73 साल में यह देश की पहली सरकार है, जो अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा देश के अन्नदाताओं को कह रही है कि ‘सुप्रीम कोर्ट चले जाओ.’सरकार को जनता ने चुना है. फिर उसी जनता और अन्नदाता को सरकार कहीं और क्यों भेजना चाहती है? ये तीनों विवादास्पद कृषि कानून सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बनाए हैं.'

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किसानों के समर्थन में 15 को किसान अधिकार दिवस मनाएगी कांग्रेस (सांकेतिक-पीटीआई) किसानों के समर्थन में 15 को किसान अधिकार दिवस मनाएगी कांग्रेस (सांकेतिक-पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:16 PM IST
  • '40 दिन से 'मीटिंग-मीटिंग' खेल रही है केंद्र सरकार'
  • '73 साल में ऐसी निर्दयी और निष्ठुर सरकार नहीं बनी'
  • नीतिगत फैसले लेने के लिए कौन जवाबदेहः कांग्रेस

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. इस बीच कांग्रेस ने ऐलान किया है कि 15 जनवरी को देशभर में 'किसान अधिकार दिवस' मनाया जाएगा और इस दिन 'राजभवन' का घेराव किया जाएगा. कांग्रेस ने आरोप भी लगाया कि यह भारत की पहली ऐसी सरकार है जो जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा किसान को कह रही कि 'सुप्रीम कोर्ट चले जाओ.'

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार षड्यंत्रकारी तरीके से न्याय मांग रहे देश के अन्नदाता किसानों को 'थकाने और झुकाने' की साजिश कर रही है. काले कानून खत्म करने के बजाए 40 दिन से 'मीटिंग-मीटिंग' खेल रही है और किसानों को 'तारीख पर तारीख' दे रही है.

मोदी सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने आगे कहा कि 73 साल के देश के इतिहास में ऐसी निर्दयी और निष्ठुर सरकार कभी नहीं बनी, जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी और अंग्रेजों के जुल्मों को भी पीछे छोड़ दिया. 40 दिन से अधिक से लाखों अन्नदाता दिल्ली की सीमाओं पर काले कृषि कानून खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं. हाड़ कंपकपाती सर्दी-बारिश और ओलों में 60 से अधिक किसानों ने दम तोड़ दिया.

किसानों की कुर्बानी के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार

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काग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से आज तक किसानों के प्रति सांत्वना का एक शब्द नहीं निकला. साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार 60 किसानों की कुर्बानी के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि ये लड़ाई ‘किसानों की आजीविका’और ‘सरकार की अवसरवादिता’ की है. ये लड़ाई ‘किसानों की खुद्दारी’और ‘सरकार की खुदगर्जी’ के बीच है. ये लड़ाई ‘किसानों की बेबसी’और ‘सरकार की बर्बरता’ की है. ये लड़ाई सत्ता के सिंहासन पर ‘मदमस्त सरकार’और ‘न्याय मांगते’ सड़क पर बैठे किसानों के बीच है. ये लड़ाई ‘दीया’और ‘तूफान’की है. किसान देश की उम्मीदों का दीप है और सरकार पूंजीपतियों के हित के लिए देश का सब कुछ तबाह कर देने वाला तूफान.

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कांग्रेस ने कहा, कमाल यह है कि 73 साल में यह देश की पहली सरकार है, जो अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा देश के अन्नदाताओं को कह रही है कि ‘सुप्रीम कोर्ट चले जाओ.’सरकार को जनता ने चुना है. फिर उसी जनता और अन्नदाता को सरकार कहीं और क्यों भेजना चाहती है? ये तीनों विवादास्पद कृषि कानून सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बनाए हैं. संसद में जबरन मोदी सरकार ने बनाए हैं. किस तरह बनाए, पूरे देश ने देखा. फिर सरकार अपनी जिम्मेदारी कोर्ट की तरफ क्यों टाल कर रही है. नीतिगत फैसले लेने के लिए कौन जवाबदेह है?

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रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला लिया है कि किसानों के समर्थन में हर प्रांतीय हेडक्वार्टर पर कांग्रेस 15 जनवरी को ‘किसान अधिकार दिवस’के रूप में जन आंदोलन करेगी. रैली और धरने के बाद राजभवन तक जाकर सरकार को तीनों काले कानून खत्म करने के लिए गुहार लगाएंगे. समय आ गया है कि मोदी सरकार देश के अन्नदाता की चेतावनी को समझे क्योंकि अब देश का किसान काले कानून खत्म करवाने के लिए 'करो या मरो' की राह पर चल पड़ा है.

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