दिल्ली के सुब्रतो पार्क में आयोजित एक रक्षा सेमिनार में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान शामिल हुए. शुक्रवार (आज) उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है और इसलिए हमारी सैन्य तैयारी साल के 365 दिन, 24 घंटे, बेहद उच्च स्तर पर बनी रहनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भविष्य की सेनाओं को सिर्फ लड़ाके नहीं, बल्कि 'सूचना योद्धा', 'तकनीकी योद्धा' और 'विद्वान योद्धा' भी बनना होगा. आज का और आने वाले समय का सैनिक इन तीनों का समन्वय होना चाहिए – सूचना, तकनीक और विद्वता.
युद्ध में कोई रनर-अप नहीं होता
सीडीएस चौहान ने कहा कि युद्ध में कोई दूसरा स्थान नहीं होता है, सिर्फ विजेता होता है. इसलिए हमारी सैन्य तैयारियां हर समय सक्रिय और सर्वोच्च स्तर की होनी चाहिए. उन्होंने उदाहरण के तौर पर ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया, जो अभी भी जारी है.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक प्रतिक्रिया
सीडीएस चौहान ने कहा कि 7 मई को भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी. इसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड-कश्मीर (PoK) में स्थित कई आतंकी ढांचों को तबाह कर दिया था.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारत पर हमले किए, जिनका जवाब ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेनाओं ने दिया.
यह सैन्य संघर्ष 10 मई की शाम भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी समझौते के बाद थमा था. लेकिन जनरल चौहान ने साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी सक्रिय है.
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'शस्त्र' और 'शास्त्र' दोनों की जरूरत
सीडीएस चौहान ने कहा कि आज के समय में सैनिकों को न केवल शस्त्र का ज्ञान होना चाहिए. बल्कि शास्त्र का भी उतना ज्ञान होना चाहिए. एक विद्वान योद्धा वही होता है जिसके पास दोनों का ज्ञान होता है.
उन्होंने कहा कि 'तकनीकी योद्धा' को नई तकनीकों की समझ होनी चाहिए और 'सूचना योद्धा' को भारत की दृष्टिकोण को सही ढंग से प्रस्तुत करना और गलत नैरेटिव का मुकाबला करना आना चाहिए.
बदलती युद्ध की परिभाषा
सीडीएस चौहान ने कहा कि आज के संघर्ष केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है. यह सूचना, टेक्नोलॉजी और नैरेटिव की लड़ाई बन चुका है.
उन्होंने कहा कि 'भारत की संप्रभुता की रक्षा' और 'राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने' में विद्वान योद्धाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है.
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