अस्पताल में अचानक डॉक्टर की ही थम गई धड़कन... चेन्नई में कार्डियक सर्जन की हार्ट अटैक से मौत

चेन्नई के 39 वर्षीय कार्डियक सर्जन डॉ. ग्रैडलिन रॉय की अचानक अस्पताल के राउंड के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई. सुबह की नियमित वार्ड राउंड के बीच डॉ. रॉय अचानक गिर पड़े. उनके सहयोगियों ने तुरंत बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.

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डॉ. ग्रैडलिन रॉय अपने पीछे पत्नी और एक छोटे बेटे को छोड़ गए हैं. (File Photo- ITG) डॉ. ग्रैडलिन रॉय अपने पीछे पत्नी और एक छोटे बेटे को छोड़ गए हैं. (File Photo- ITG)

अनघा

  • चेन्नई,
  • 31 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:32 AM IST

चेन्नई के सेवाथा मेडिकल हॉस्पिटल में बुधवार को एक दर्दनाक घटना हुई. 39 वर्षीय कार्डियक सर्जन डॉ. ग्रैडलिन रॉय की अचानक अस्पताल के राउंड के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई. सुबह की नियमित वार्ड राउंड के बीच डॉ. रॉय अचानक गिर पड़े. उनके सहयोगियों ने तुरंत बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.

हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि डॉ. रॉय के सहयोगियों ने पूरी ताकत से उन्हें बचाने का प्रयास किया. उन्होंने एक्स पर लिखा, “सहयोगियों ने सीपीआर, तत्काल एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग, इंट्रा-एऑर्टिक बैलून पंप और यहां तक कि ईसीएमओ जैसी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया. लेकिन 100% लेफ्ट मेन आर्टरी ब्लॉकेज के कारण हुए बड़े कार्डियक अरेस्ट से हुए नुकसान को रोकना असंभव रहा.”

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डॉ. कुमार ने चेतावनी दी कि यह कोई अकेली घटना नहीं है. हाल के वर्षों में 30 से 40 वर्ष के डॉक्टरों में अचानक हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, “विडंबना यह है कि जो लोग दूसरों के दिलों को बचाने के लिए अपनी जिंदगी समर्पित करते हैं, वे अक्सर अपनी सेहत की अनदेखी कर बैठते हैं.”

डॉ. रॉय अपने पीछे पत्नी और एक छोटे बेटे को छोड़ गए हैं.

डॉक्टरों में हार्ट अटैक के खतरे क्यों बढ़ रहे?

डॉ. सुधीर कुमार के अनुसार डॉक्टरों के बीच हार्ट डिजीज बढ़ने के कई कारण हैं. तनाव और अव्यवस्थित जीवनशैली. लगातार तनाव, रोगियों व परिजनों का दबाव, और मेडिको-लीगल चिंताएं. लंबे और अनियमित कार्य घंटे: नींद की कमी और बायोलॉजिकल क्लॉक (सर्केडियन रिद्म) का बिगड़ना. लंबे समय तक ऑपरेशन थियेटर में खड़े रहना या ओपीडी में बैठना, जिससे व्यायाम के लिए समय नहीं मिल पाता.

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उन्होंने बताया कि अस्पताल की कैंटीन पर निर्भरता, कैफीन का अधिक सेवन, समय पर भोजन न मिलना. डॉक्टर खुद की हेल्थ चेकअप को अक्सर टालते हैं और शुरुआती चेतावनी संकेतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं. अवसाद, थकान और भावनात्मक तनाव, जो हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं. डॉ. कुमार ने कहा कि यह समय है जब डॉक्टर भी अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और नियमित जांच, संतुलित जीवनशैली तथा तनाव प्रबंधन को अपनाएँ.

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