दलित ईसाइयों और मुस्लिमों को न मिले एससी आरक्षण का लाभ, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए तर्क

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि दलित ईसाई और दलित मुस्लिम उन लाभों का दावा नहीं कर सकते, जिनकी अनुसूचित जातियां हकदार हैं. मंत्रालय के मुताबिक, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में कोई भी असंवैधानिकता नहीं है.

Advertisement
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:56 AM IST

धर्म परिवर्तन कर इस्लाम और ईसाई बनने वालों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है. केंद्र सरकार ने अपने जवाब में दलित ईसाइयों और दलित मुसलमानों को अनुसूचित जातियों की सूची से बाहर किए जाने का बचाव करते हुए कहा कि ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि इन धर्मों में जातीय आधार पर भेदभाव नहीं है, न ही उन्हें कभी किसी पिछड़ेपन या उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. 

Advertisement

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि दलित ईसाई और दलित मुस्लिम उन लाभों का दावा नहीं कर सकते, जिनकी अनुसूचित जातियां हकदार हैं. मंत्रालय के मुताबिक, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में कोई भी असंवैधानिकता नहीं है. 

क्या कहा सरकार ने ?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक एनजीओ 'सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' ने याचिका दाखिल कर इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलित समुदायों को आरक्षण और अन्य लाभ प्रदान करने की मांग की है. इस याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा कि अनुसूचित जातियों की पहचान एक विशिष्ट सामाजिक कलंक के आसपास की गई है, जो संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में चुने गए समुदायों तक सीमित है.

केंद्र सरकार ने कहा कि दलित ईसाइयों और दलित मुस्लिमों को एससी की सूची बाहर रखा जाए, क्योंकि छुआछू और उत्पीड़नकारी व्यवस्था कुछ हिंदू जातियों के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन की वजह बनीं. जबकि ये ईसाई या मुस्लिम समाज में नहीं थीं. इसलिए अनुसूचित जाति के लोगों ने इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने का फैसला किया, ताकि उन्हें इन व्यवस्थाओं से आजादी मिल सके. इतना ही नहीं सरकार ने रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट पर भी सहमति जताने से इनकार कर दिया. मंत्रालय ने कहा कि कमीशन ने जमीनी हकीकत का अध्ययन किये बिना सभी धर्मों में धर्मांतरण कराकर गए लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की सिफारिश की थी. 

 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement