'गलतियों को समझा और उन्हें सुधारा...', ऑपरेशन सिंदूर में हुए नुकसान के सवाल पर बोले CDS जनरल अनिल चौहान

सिंगापुर में शांग्री-ला डायलॉग सुरक्षा सम्मेलन के दौरान एक इंटरव्यू में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर खुलकर बात की. उन्होंने पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के इस दावे को खारिज कर दिया कि पाकिस्तान ने चार राफेल सहित छह भारतीय विमानों को मार गिराया.

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CDS जनरल अनिल चौहान (File Photo) CDS जनरल अनिल चौहान (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:21 PM IST

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष पर खुलकर बात की. उन्होंने सिंगापुर में शांग्री-ला डायलॉग सुरक्षा सम्मेलन के दौरान ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के इस दावे को खारिज कर दिया कि पाकिस्तान ने चार राफेल सहित छह भारतीय विमानों को मार गिराया. 

दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बमबारी की. इसके बाद पाकिस्तान और भारत के बीच खुलकर संघर्ष देखने को मिला. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया, जिनमें कम से कम तीन राफेल विमान भी शामिल हैं.  

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अब जनरल चौहान ने माना कि शुरुआती दिन भारत को हवाई नुकसान उठाना पड़ा. हालांकि उन्होंने संख्या नहीं बताई. ऑपरेशन सिंदूर में भारत को हुए नुकसान को लेकर पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'महत्वपूर्ण यह नहीं है कि नुकसान कितना हुआ, बल्कि यह है कि उसे क्यों गिराया गया, क्या गलतियां की गईं. यही महत्वपूर्ण है. संख्याएं महत्वपूर्ण नहीं हैं. और उसके बाद हमने क्या किया.'

इससे पहले, सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमानों को मार गिराए जाने के बारे में सवालों को टाल दिया था. एयर ऑपरेशन्स के महानिदेशक (DGAO) एयर मार्शल ए.के. भारती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि किसी भी युद्ध परिदृश्य में नुकसान होना एक हिस्सा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि सभी भारतीय पायलट वापस आ गए हैं. 

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उन्होंने कहा था, 'हम एक युद्ध परिदृश्य में हैं और नुकसान इसका एक हिस्सा है. सवाल यह है कि क्या हमने अपना उद्देश्य हासिल कर लिया है? इसका जवाब एक दमदार हां है. इस समय, मैं उस (विमानों के नुकसान) पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा क्योंकि हम अभी भी युद्ध में हैं और विरोधी को बढ़त दे रहे हैं. हमारे सभी पायलट घर वापस आ गए हैं.'

रणनीति में बदलाव और गहरी घुसपैठ

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि सशस्त्र बलों ने रणनीतिक गलतियों का विश्लेषण करने, उन्हें सुधारने और ऑपरेशन सिंदूर के हिस्से के रूप में दो दिन बाद फिर से पाकिस्तान को निशाना बनाने में तेजी दिखाई. जनरल चौहान ने कहा, 'अच्छी बात यह है कि हम अपनी सामरिक गलती को समझने, उसे सुधारने और फिर दो दिन बाद उसे लागू करने में सक्षम हैं और अपने सभी जेट विमानों को फिर से उड़ाया, जिसमें लंबी दूरी पर निशाना लगाया गया.'

सीडीएस जनरल चौहान ने बताया कि भारत ने 7, 8 और 10 मई को बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्तान के वायु ठिकानों को गहराई तक निशाना बनाया. उन्होंने कहा, 'हमने पाकिस्तान की वायु सुरक्षा प्रणाली को भेदते हुए सटीक स्ट्राइक की. 10 मई को हमने हर प्रकार के विमान और हथियारों का इस्तेमाल किया.'

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बता दें कि भारतीय सेनाओं ने पहले ही जानकारी दी थी कि उसके ड्रोन और मिसाइलों ने पाकिस्तान के कम से कम आठ एयरबेस को निशाना बनाया. पाकिस्तान ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि उसके कुछ एयरबेस को निशाना बनाया गया. हालांकि उसका दावा था कि नुकसान बहुत कम रहा.

परमाणु युद्ध पर भी कही ये बात

जनरल अनिल चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि संघर्ष कभी भी परमाणु युद्ध के करीब नहीं पहुंचा. उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के साथ संचार की लाइनें हमेशा खुली थीं, जिससे हालात को नियंत्रण में रखा जा सका. उन्होंने कहा, 'मेरा व्यक्तिगत मानना है कि पारंपरिक सैन्य अभियानों और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बीच काफी गुंजाइश होती है. दोनों देशों के सैन्य नेतृत्व ने पूरे संघर्ष के दौरान विवेकपूर्ण और जिम्मेदार व्यवहार किया, जिससे तनाव के बावजूद हालात नियंत्रण से बाहर नहीं गए.'

चीन से नहीं मिला कोई प्रत्यक्ष समर्थन

चौहान ने कहा कि भारत को संघर्ष के दौरान चीन से किसी भी प्रकार की सैन्य चुनौती नहीं मिली. उन्होंने कहा, '22 अप्रैल के बाद से हमारी उत्तरी सीमा पर कोई असामान्य गतिविधि नहीं देखी गई.'

जब पूछा गया कि क्या चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट इमेजरी या रियल-टाइम खुफिया सूचना दी, तो चौहान ने कहा कि ऐसी सूचनाएं अब व्यावसायिक रूप से भी उपलब्ध हैं और केवल चीन से ही नहीं, अन्य स्रोतों से भी ली जा सकती हैं.

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