पॉश इलाके की आलीशान बिल्डिंग, बाहर से कॉलेज और अंदर रात में 'डर्टी गेम'... स्वामी चैतन्यानंद ऐसे चुनता था लड़कियां

दिल्ली के पॉश इलाके की एक कोठी, जो मठ, आश्रम और मैनेजमेंट संस्थान थी, के अंदर संचालक स्वामी चैतन्यानंद ने डर्टी गेम चलाया. छात्राओं ने उन पर अश्लील मैसेज, जबरन छूने और बदसलूकी का आरोप लगाया. फर्जीवाड़ा, लक्जरी कार और दबदबे के बावजूद अब बाबा भगोड़ा हैं. पुलिस उन्हें शहर-शहर तलाश रही है. छात्राओं की हिम्मत ने पूरे खेल को उजागर किया और कानूनी कार्रवाई को मजबूर किया.

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स्वामी चैतन्यानंद की सारी काली करतूत सबके सामने आ गई (Photo:ITG) स्वामी चैतन्यानंद की सारी काली करतूत सबके सामने आ गई (Photo:ITG)

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली ,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

राजधानी दिल्ली के एक पॉश इलाके की आलीशान बिल्डिंग… बाहर से देखो तो लगता है कोई शांत मठ हो, अंदर आश्रम और मैनेजमेंट संस्थान भी. लेकिन भीतर की हकीकत जब सामने आई तो लोगों की आंखें फटी रह गईं. ज्ञान और साधना की पाठशाला कहलाने वाली यह जगह डर्टी गेम्स की पाठशाला बन चुकी थी. 

सबसे हैरान करने वाली बात इस डर्टी गेम का प्रिंसिपल वही शख्स निकला, जिस पर पाठशाला के संचालक की जिम्मेदारी थी. स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी. अब उसकी अकड़, ठसक और रुवाब सब गायब हो चुका है अब वो वह बस भगोड़ा है और उसकी तलाश में दिल्ली पुलिस लगी हुई है.

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वायु सेना मुख्यालय तक पहुंचाई शिकायत

संस्थान में उनका दबदबा इतना था कि कोई भी विरोध नहीं कर सकता था. कई स्टाफ और कर्मचारियों ने उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार को अनदेखा किया. लेकिन छात्राओं ने हिम्मत दिखाई. उन्होंने पहले संस्थान की पीठ तक अपनी शिकायत पहुंचाई, लेकिन हालात नहीं सुधरे. जब शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो छात्राओं ने वायु सेना मुख्यालय तक शिकायत की सूची भेजी. इसके बाद ही पुलिस हरकत में आई. जांच हुई, मामले की पड़ताल हुई, और इस दौरान बाबा का एक और फर्जीवाड़ा भी सामने आया. और यह कोई नया मामला नहीं है. 2009 में भी उनके चरित्र पर सवाल उठे थे. केस दर्ज हुआ, लेकिन बाबा की ठसक कम नहीं हुई. पूरे संस्थान में उनका दबदबा था. स्टाफ और छात्राएं उनके खौफ से डरती थीं.

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फर्जीवाड़ा और लक्जरी का खेल

जांच में पता चला कि आश्रम में खड़ी लक्ज़री वोल्वो कार का नंबर प्लेट फर्जी था. नंबर था 39 UN 1. राजनयिक नंबर प्लेट. इसके अलावा बाबा का बायोडाटा भी किसी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं. उसका दावा है कि उसने उस यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए और मैनेजमेंट में पीएचडी की है जहां के दस छात्र अब तक अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं. बाबा ने कई किताबें लिखी हैं और अंतरराष्ट्रीय जर्नल में उनके शोध प्रकाशित हो चुके हैं. लेकिन कहते हैं ना, “जब मति ही मारी जाती है, तो पढ़ाई-लिखाई और डिग्री का कोई फायदा नहीं. बाबा चैतन्यानंद के साथ भी यही हुआ. अब तो उसकी डिग्री पर भी सवाल उठ रहे हैं.

ऐसे खेला डर्टी गेम्स

पूरे संस्थान में बाबा की हुकूमत ऐसी थी कि कोई भी उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था. छात्राओं को डराने-धमकाने, अश्लील मैसेज करने और गंदी भाषा इस्तेमाल करने की आदत उनकी दिनचर्या बन चुकी थी. स्टाफ भी इस डर्टी गेम का हिस्सा बन गया था. विरोध करने की कोशिश करने वालों को धमकाया जाता था. लेकिन आखिरकार छात्राओं ने हिम्मत दिखाई. एफआईआर में दर्ज छात्राओं की गवाही चौंकाने वाली है.

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62 साल के स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती देर रात छात्राओं को अपने कमरे में बुलाता और अजीबोगरीब मैसेज भेजता था. 'बेबी, आई लव यू, आई अडोर यू', 'आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो' पास आओ ना जैसे संदेश आधी रात के बाद लगातार भेजता था. छात्राओं के इनकार करने पर वह फैकल्टी सदस्यों को बीच में डालकर दबाव बनाता और धमकी देता कि अगर जवाब नहीं दिया तो अटेंडेंस काट दी जाएगी या परीक्षा में नंबर घटा दिए जाएंगे. एफआईआर में छात्रा ने कहा कि जब उसे पैर की उंगली में फ्रैक्चर हुआ और उसने एक्स-रे रिपोर्ट वॉट्सऐप पर स्वामी चैतन्यानंद को भेजी, तभी से वह आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो जैसे मैसेज भेजने लगा.

लाइन में खड़ा करवाता

एफआईआर में एक घटना का खास तौर पर जिक्र है. होली पर स्वामी चैतन्यानंद ने छात्राओं को लाइन में खड़ा करवाया और उनसे हरी ओम बोलकर उसके सामने झुकने के लिए कहा. इसके बाद उसने छात्राओं की मांग और गाल पर रंग लगाया. एक छात्रा ने आरोप लगाया कि इस दौरान उसने उसे जबरन छुआ और बार-बार बेबी कहकर पुकारा.

सीसीटीवी पर नजर रखने का खेल

जांचकर्ताओं के अनुसार, स्वामी चैतन्यानंद का दबदबा संस्थान और हॉस्टल दोनों जगहों पर इतना था कि वह छात्राओं की हर गतिविधि पर नजर रखता था. हॉस्टल की लॉबी से लेकर बाथरूम के बाहर तक लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की लाइव फुटेज वह अपने मोबाइल फोन से देखता था. आर्थिक रूप से कमजोर तबके की करीब 75 छात्राएं इस हॉस्टल में रहती हैं और उन्हें यह अंदाजा तक नहीं था कि उनकी हर हरकत पर स्वामी चैतन्यानंद की नजर रहती है.

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न हनक, न ठसक, न रुवाब

आज बाबा चैतन्यानंद के पास न ठसक है, न हनक है, न रुवाब. जो महान गुरु कभी थे, आज बस एक भगोड़ा हैं. पुलिस उन्हें खोज रही है. शहर-शहर भागते और छिपते हुए वो लगातार अपनी पहचान बदल रहा है.

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