भारतीय सेना ने सोमवार को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिसने देश की लंबी दूरी तक सटीक प्रहार करने की क्षमता को एक बार फिर साबित कर दिया. यह परीक्षण सेना की साउदर्न कमांड की ब्रह्मोस यूनिट द्वारा किया गया, जिसमें अंडमान और निकोबार कमांड का महत्वपूर्ण सहयोग शामिल रहा.
सेना के मुताबिक, मिसाइल ने अपने लक्ष्य को पूरी सटीकता के साथ भेदा. इसके सभी नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम ने अपेक्षित प्रदर्शन किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि ब्रह्मोस यूनिट किसी भी वास्तविक समय के ऑपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं. यह परीक्षण न केवल ऑपरेशनल तैयारी को मजबूत करता है बल्कि सेना की प्रहार क्षमता में निरंतर वृद्धि का संकेत भी देता है.
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साउदर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने इस लॉन्च की सराहना करते हुए कहा कि यह परीक्षण सेना की स्ट्रैटेजिक शक्ति और युद्धक तैयारी को नई मजबूती प्रदान करता है. उनके अनुसार, यह सफलता आने वाले समय में उन सभी परिस्थितियों में निर्णायक भूमिका निभाएगी, जहां लंबी दूरी की तेज और सटीक प्रतिक्रिया आवश्यक हो.
ब्रह्मोस मिसाइल की 300 किलोमीटर रेंज
ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है, जो दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक मानी जाती है. इसकी मारक क्षमता 300 किमी से भी अधिक दूरी तक विस्तार कर चुकी है, और इसे भूमि, समुद्र तथा वायु-तीनों प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है.
'आत्मनिर्भर भारत' का एक और बड़ा कदम
परीक्षण की सफलता को भारत की आत्मनिर्भरता मिशन 'आत्मनिर्भर भारत' का एक और बड़ा कदम माना जा रहा है. हाल के वर्षों में भारत ने मिसाइल सिस्टम, रडार, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स सहित कई क्षेत्रों में स्वदेशी तकनीक के विकास को तेज किया है. सेना ने भी बयान जारी करते हुए कहा कि यह परीक्षण देश की बढ़ती 'आत्मनिर्भरता' और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने की स्पष्ट मिसाल है.
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इस सफल परीक्षण के साथ भारतीय सेना ने यह संकेत दे दिया है कि वह आधुनिक युद्धक्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी मारक क्षमता को लगातार बढ़ा रही है, और देश की रक्षा तैयारियों को नई दिशा दे रही है.
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