राकेश टिकैत बोले- ना पंच बदलते हैं ना मंच, कानून निरस्त होने के बाद ही होगी घर वापसी

किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कहा कि कृषि कानून निरस्त होने के बाद ही प्रदर्शनकारी किसानों की घर वापसी होगी. केंद्र चाहे तो आज बात कर ले या 10 दिनों में या अगले साल, हम तैयार हैं. हम दिल्ली से कील हटाए बिना नहीं जाएंगे.

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किसान नेता राकेश टिकैत (फाइल फोटो) किसान नेता राकेश टिकैत (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • बहादुरगढ़,
  • 12 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST
  • हम पंचायती सिस्टम को मानने वाले लोग हैंः टिकैत
  • बहादुरगढ़ में किसान महापंचायत बुलाई गई
  • कानून रद्द होने के बाद ही घर वापसी-टिकैत

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान नेता आंदोलन को धार देने के लिए महापंचायत कर रहे हैं. इस कड़ी में शुक्रवार को हरियाणा के बहादुरगढ़ में किसान महापंचायत बुलाई गई. 

यहां किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम पंचायती प्रणाली को मानने वाले लोग हैं. हम फैसलों के बीच में ना पंच बदलते हैं और न ही मंच बदलते हैं. हमारा दफ्तर सिंघु बार्डर पर ही रहेगा और हमारे लोग भी वहीं रहेंगे. जो सरकार की लाइन थी बातचीत करने की उसी लाइन पर वह बातचीत कर लें. 

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There will be 'Ghar Wapsi' only after #FarmLaws are repealed. Our 'manch & panch' will be the same. Singhu border will remain our office. Whether Centre wants to talk today, in 10 days or next yr, we're ready. Won't go without removing metal spikes from Delhi: Rakesh Tikait, BKU pic.twitter.com/ycnepmp7hI

— ANI (@ANI) February 12, 2021

राकेश टिकैत ने साफ कहा कि कृषि कानून निरस्त होने के बाद ही प्रदर्शनकारी किसानों की घर वापसी होगी. केंद्र चाहे तो आज बात कर ले या 10 दिनों में या अगले साल, हम तैयार हैं. हम दिल्ली से कील हटाए बिना नहीं जाएंगे. टिकैत ने कहा कि हम राष्ट्रव्यापी मार्च करेंगे, गुजरात जाएंगे. यह केंद्र द्वारा नियंत्रित है. भारत आजाद है, लेकिन गुजरात के लोग कैद हैं. अगर वे आंदोलन में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें जेल हो जाती है. 

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बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को और तेज करने ऐलान किया है. इसके लिए आने वाले दिनों में देशभर में किसान महापंचायत आयोजित की जाएगी. संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों का साफ कहना है कि जब तक विवादित तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता एवं उनकी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी नहीं दी जाती तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा. 


 

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