कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा कोविड-19 वैक्सीन को अचानक हुए हार्ट अटैक के मामलों से जोड़ने पर शुरू हुआ विवाद अभी थमा नहीं है. रविवार को बीजेपी ने उनसे बिना शर्त माफ़ी मांगने की मांग की. बीजेपी का कहना है कि सीएम सिद्धारमैया ने वैक्सीन को लेकर जो बयान दिया है वह बिल्कुल बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना है.
मुख्यमंत्री के बयान के बाद एक विशेषज्ञ समिति ने स्पष्ट किया है कि हार्ट अटैक से हुई मौतों के पीछे कोई एक वजह नहीं है. समिति ने इसे बहु-कारकीय (multifactorial) बताया है, जिसमें जीवनशैली, आनुवांशिकी और पर्यावरणीय कारक अहम भूमिका निभाते हैं. समिति की अध्यक्षता जयदेव इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. रविंद्रनाथ ने की थी. इसके साथ ही कमेटी ने सीएम के इस दावे को खारिज कर दिया.
एजेंसी के मुताबिक केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह बयान जानबूझकर दिया क्योंकि वैक्सीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में बनी थी. उन्होंने कहा कि जब ICMR, NCDC और AIIMS ने यह साफ कर दिया कि वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं है, इतना ही नहीं, कर्नाटक सरकार की अपनी विशेषज्ञ समिति ने भी यह कह दिया है. सिद्धारमैया को अब माफ़ी मांगनी चाहिए.
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बीजेपी प्रवक्ता और पूर्व मंत्री डॉ. सीएन अश्वथ नारायण ने भी सिद्धारमैया पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारतीय वैक्सीन की साख को खराब करने की कोशिश की है और प्रधानमंत्री को बदनाम करने की साजिश रची है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के करोड़ों लोगों की जान बचाने वाली वैक्सीन पर सवाल उठाए हैं.
बता दें कि हाल ही में सिद्धारमैया ने हसन जिले में अचानक हार्ट अटैक से हुई कई मौतों को कोविड वैक्सीनेशन से जोड़ते हुए कहा था कि वैक्सीन को जल्दबाज़ी में मंज़ूरी दी गई थी. उनके इस बयान की कड़ी आलोचना उद्योग जगत की जानी-मानी शख्सियत किरण मजूमदार-शॉ ने भी की थी.
जयदेव इंस्टिट्यूट की ओर से की गई स्टडी में यह भी सामने आया है कि कोविड संक्रमण या वैक्सीनेशन से समय से पहले हृदय रोग का कोई संबंध नहीं है. समिति ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर भी कोई ऐसा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है, जो वैक्सीनेशन को अचानक हार्टअटैक से जोड़ता हो. उलटे, वैक्सीन को दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करने वाला पाया गया है.
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