Boxing Federation of India case: बीजेपी नेता और पूर्व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने आगामी बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (BFI) के आगामी अध्यक्ष पद के चुनाव से बाहर किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अनुराग का आरोप है कि बिना कोई नोटिस या सुनवाई के उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया गया. मामले की सुनवाई 19 मई (सोमवार) को सूचीबद्ध है.
क्या है पूरा मामला?
अनुराग ठाकुर ने बीएफआई के अध्यक्ष पद के चुनाव से बाहर किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. यह याचिका हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देती है, जिसने पहले दिए राहत आदेशों को स्थगित कर दिया था.
अनुराग ठाकुर ने याचिका में क्या कहा?
अनुराग ठाकुर ने बताया कि बीएफआई के अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी उन्होंने हिमाचल प्रदेश बॉक्सिंग एसोसिएशन (HPBA) का कार्यकारी सदस्य के तौर पर भरा था. यह संस्था बीएफआई से मान्यता प्राप्त है.
हिमाचल प्रदेश बॉक्सिंग एसोसिएशन ने ही अनुराग को अध्यक्ष पद के लिए नामित किया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि 18 मार्च 2025 को उनकी उम्मीदवारी बिनी किसी सुनवाई या नोटिस के खारिज कर दिया गया.
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किसने किया था उम्मीदवारी खारिज?
7 मार्च 2025 को जारी एक नोटिफिकेशन के अनुसार, BFI के पूर्व अध्यक्ष अजय सिंह के निर्देश पर अनुराग ठाकुर की उम्मीदवारी खारिज की गई.
अनुराग ठाकुर ने क्या आरोप लगाए?
अनुराग ठाकुर का कहना है कि जब यह नोटिफिकेशन जारी किया गया था तब अजय सिंह का कार्यकाल समाप्त हो गया था. उन्होंने इस नोटिफिकेशन को मनमना बताते हुए इसे बीएफआई के संविधान के खिलाफ बताया था.
हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल
अनुराग ठाकुर ने हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि चुनावी प्रक्रिया को रोककर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डाली गई. एचपीबीए बीएफआई की एक मान्यता प्राप्त राज्य इकाई है. इसलिए कार्रवाई का कारण राज्य में होना चाहिए. इसी आधार पर हाईकोर्ट को इस पर सुनवाई करने का पूर्ण अधिकार है. हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय अधिकारिता के मुद्दे को गलत तरीके से मुख्य आधार बनाया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के कई मामले बताती हैं कि अगर मामला आंशिक कारण राज्य में हो तो हाईकोर्ट को सुनवाई करने का अधिकार है.
सृष्टि ओझा