बिहार में चल रही दिलचस्प चुनावी राजनीति में हर छोटे बड़े मुद्दे पर सियासी स्कोरिंग की कोशिश हो रही है. इसकी मिसाल आज फिर मिली है, जब लालू यादव अपना 78वां जन्मदिन मना रहे थे तो समर्थकों की ओर से लाया गया 78 किलो का केक उन्होंने तलवार से काटा. चुनावी सीजन में बीजेपी को वो तलवार चुभ गई. बीजेपी ने लालू की तलवार को लेकर दो सवाल खड़े किए.
एक तो तलवार वाले संस्कार का सवाल. दूसरा दलितों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों के हकों पर तलवार का आरोप. बीजेपी ने ये सवाल ऐसे माहौल में खड़ा किया है जब बिहार में अपराध को लेकर सियासी आक्रोश बढ़ता जा रहा है. पटना में पिछले 72 घंटों में हुई 5 हत्याएं इसकी मिसाल हैं. आज फिर पटना में एक हत्या हुई है.
तेजस्वी यादव ने बिहार में अपराध पर उठाए सवाल
तेजस्वी यादव लगातार नीतीश राज में बढ़ते अपराध का सवाल उठा रहे हैं. साथ ही चुनावी राजनीति में बिहार में एक और मुद्दा सबसे ऊपर नजर आ रहा है. वो है एससी, एसटी, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक यानी जाति और आरक्षण का मुद्दा. कुल मिलाकर दोनों पक्षों की ओर से चुनावी सियासत का तरकश सजाया जा रहा है.
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एनडीए के तरकश में सुशान और विकास का तीर है तो विपक्ष के पास आरक्षण और अपराध का मुद्दा. यही वजह है कि पिछले दिनों दरभंगा दौरे पर गए राहुल गांधी कभी पीएम को चिट्ठी लिखकर आंबेडकर हॉस्टल के हालात सुधारने की मांग करते हैं, तो कभी तेजस्वी यादव सीएम नीतीश को चिट्ठी लिखकर विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाकर आरक्षण की सीमा 85 फीसदी करने का नया कानून पास करने की मांग करते हैं.
पटना में लालू के घर के बाहर से अंदर तक जश्न था, कहीं शहनाइयों पर सोहर की धुन सुनाई पड़ रही थी, कहीं बैंड बाजे पर जश्न के गीत बजाये जा रहे थे, कहीं ढोल वाले भांगड़ा की ताल पीट रहे थे - ये सब हो रहा था क्योंकि ये लालू यादव के अवतरण का दिवस यानी जन्मदिन था.
लालू यादव अपने घर पर बैठे हुए थे. आरजेडी के समर्थक कार्यकर्ता एक एक करके आते जा रहे थे. फोटो खिंचा कर लौट रहे थे, तभी सड़कों पर एक काफिला दिखा. इसमें रेहड़ी पर 78 किलो का लड्डू वाला केक था. पीछे 78 फलों के टोकरे थे. बैंड बाजा के साथ ये काफिला लालू यादव के सामने तक पहुंचा और फिर लालू यादव ने समर्थकों की मांग पर अपना बर्थडे केक काटा और इसी पर विवाद हो गया.
लालू यादव के तलवार से केक काटने पर विवाद क्यों?
विवाद, क्योंकि लालू यादव को केक काटने के लिए उन्हें म्यान से निकालकर एक तलवार दी गई. उसी भारी तलवार से सुरक्षाकर्मी की मदद से लालू यादव ने केक काटा. तलवार वापस अपने म्यान में रख दी गई, लेकिन जन्मदिन पर लालू ने तलवार क्या पकड़ ली सियासत की तलवार म्यान से बाहर आ गई. सबसे पहले बीजेपी ने ऐतराज जताया.
बीजेपी की तरफ से कहा गया कि लालू 78 साल के हो गए लेकिन उनकी आदतें अभी भी नहीं सुधरी, केक भी काटा तो तलवार से. लालू ने बिहार के दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों के ऊपर अपने शासनकाल में जिस तरह तलवार चलाया है. उनकी आदत अभी भी बनी हुई है. लालू यादव ने तलवार और भाला चलाने की संस्कृति अपनी पार्टी और परिवार के लोगों को दी है.
लालू की तलवार पर बीजेपी का सियासी वार ऐसे समय में हुआ, जब बिहार में कानून व्यवस्था के मोर्चे पर नीतीश सरकार को लेकर तेजस्वी यादव लगातार गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं, क्योंकि बिहार में लालू भले केक काटने के लिए तलवार निकाल रहे हों लेकिन कानून व्यवस्था की हालत ये है कि पिछले 72 घंटे में पटना में 5 हत्याएं हो चुकी हैं.
11 जून को पटना के मैनपुरा इलाके में 24 साल के युवक की हत्या हो गई, 1 युवक जख्मी हो गया. 10 जून को पटना के बिक्रम इलाके में 2 युवकों की गोली मारकर हत्या हुई. 9 जून को पटना के आलमगंज इलाके में नर्स और बेटी की गोली मारकर हत्या की गई, पति जख्मी हो गया.
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विवाद के बीच लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में हर दिन मुख्यमंत्री के नाक के नीचे हत्या हो रही है अपहरण हो रहा है, लूट हो रहा है और अपराधी जो हैं बेलगाम हो चुके हैं. एक बार भी मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया आई हो आप बताइए इतने बड़े-बड़े घटनाएं हो रही हैं, एक शब्द भी मुख्यमंत्री बोलने को तैयार नहीं हैं. आखिर लॉ एंड ऑर्डर क्रिमिनल डिसऑर्डर में कैसे बदल रहा है?
लालू ने हत्याओं पर सीएम नीतीश से पूछे सवाल
बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर तेजस्वी यादव नीतीश सरकार पर जनवरी 2024 के बाद गठबंधन टूटने के बाद से ही हमलावर हैं, लेकिन लालू यादव तो पिछले 25 साल की भड़ास निकाल रहे हैं. लालू ने पोस्ट लिखकर आरोप लगाया कि अब नीतीश बताएं कि दिनदहाड़े कितनी हत्याएं हो रही हैं. लालू ने नीतीश राज में 65 हजार लोगों की हत्या का दावा किया.
दूसरी ओर तेजस्वी आरोप लगाते हैं कि पटना में पिछले चार महीनों में 115 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं. हालांकि, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, के हत्या के आंकड़ों के मामले में बिहार देश में 14वें स्थान पर है और गंभीर अपराधों के मामले में 19वें स्थान पर है, लेकिन दरअसल बिहार में सियासी लड़ाई सिर्फ कानून व्यवस्था के नाम पर नहीं चल रही है. चुनाव करीब आते आते बिहार में जाति की राजनीति भी जोर पकड़ रही है. इसमें कोई दल पीछे नहीं रहना चाहता.
नीतीश कुमार पर राहुल-तेजस्वी का जॉइंट रुख
चाहे राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव. राहुल गांधी पिछले दिनों बिहार दौरे पर गए थे औj दरभंगा में पिछड़े दलितों अल्पसंख्यकों के आंबेडकर हॉस्टल की बुरी हालत को लेकर अब राहुल ने सीधे पीएम मोदी को लेटर लिख दिया तो तेजस्वी यादव ने 5 जून को ही नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर 85 प्रतिशत आरक्षण का नया कानून पारित करने की मांग की.
बिहार चुनाव में बमुश्किल चार महीने बचे हैं. ऐसे में दोनों पक्षों की ओर से चुनावी मुद्दों की धार तैयार की जा रही है. एनडीए अपने दो दशकों के सुशासन, विकास और गरीब कल्याण के नाम पर चुनावी मैदान में उतरना चाहती है तो विपक्ष के लिए जाति गणना से लेकर आरक्षण और अब कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे को पैना किया जा रहा है.
आजतक ब्यूरो