बेंगलुरु: ओला इलेक्ट्रिक इंजीनियर की आत्महत्या, सैलरी और उत्पीड़न के आरोपों में पुलिस ने शुरू की जांच

बेंगलुरु के ओला इलेक्ट्रिक इंजीनियर के. अरविंद ने कथित मानसिक उत्पीड़न और सैलरी न मिलने के कारण आत्महत्या की. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. अरविंद के भाई ने वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. उच्च न्यायालय के आदेश के चलते किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन परिवार और पुलिस न्याय की प्रक्रिया में लगे हैं.

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(Photo: Representational) (Photo: Representational)

aajtak.in

  • बेंगलुरु,
  • 21 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:30 PM IST

बेंगलुरु में ओला इलेक्ट्रिक के 38 वर्षीय इंजीनियर के. अरविंद की आत्महत्या ने पूरे उद्योग जगत और कर्मचारियों के बीच चिंता बढ़ा दी है. पुलिस ने मंगलवार को बताया कि वह इस मामले की गहन जांच कर रही है. अरविंद ने 2022 से कंपनी के कोरामंगला स्थित मुख्यालय में होमोलोगेशन इंजीनियर के रूप में काम किया.

जानकारी के मुताबिक, अरविंद ने 28 सितंबर को अपने अपार्टमेंट, चिक्कलसंद्रा में कथित रूप से आत्महत्या का प्रयास किया. उन्हें महाराजा अग्रसेन अस्पताल में भर्ती कराया गया. मगर, उपचार के बावजूद उनकी मौत हो गई. अरविंद के भाई अश्विन कन्नन ने पुलिस को शिकायत दी, जिसमें कहा गया कि सुब्रत कुमार डैश, होमोलोगेशन इंजीनियरिंग के प्रमुख, ओला इलेक्ट्रिक के संस्थापक भाविश अग्रवाल और अन्य अधिकारियों ने अरविंद को लगातार मानसिक उत्पीड़न और सैलरी व भत्तों के भुगतान में देरी के कारण परेशान किया.

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अरविंद के कमरे से 28 पन्नों का हस्तलिखित नोट बरामद हुआ, जिसमें उन्होंने अपने वरिष्ठों पर उत्पीड़न और सैलरी न मिलने का आरोप लगाया. शिकायत में यह भी उल्लेख है कि उनके निधन के दो दिन बाद, 30 सितंबर को 17.46 लाख रुपये उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए, जिसे परिवार ने 'संदिग्ध' बताया.

कर्नाटक पुलिस ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के कारण भाविश अग्रवाल और सुब्रत कुमार डैश के खिलाफ कोई गिरफ्तारी नहीं की जा रही, लेकिन जांच जारी है. ओला इलेक्ट्रिक ने अपने बयान में कहा कि कंपनी इस एफआईआर को उच्च न्यायालय में चुनौती दे रही है और संरक्षणात्मक आदेश जारी किए गए हैं.

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कंपनी ने अरविंद की पूर्ण और अंतिम निपटान राशि उनके बैंक खाते में तुरंत जमा कर दी थी. कंपनी का कहना है कि अरविंद ने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी शिकायत या उत्पीड़न की सूचना नहीं दी थी और उनका काम शीर्ष प्रबंधन के सीधे संपर्क में नहीं था. वहीं, पुलिस मामले की पूरी गहनता से जांच कर रही है और परिवार को न्याय दिलाने की प्रक्रिया जारी है.

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