कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर (Second Wave) की गिरफ्त में बुरी तरह से फंसी केरल की वाम मोर्चा की सरकार (Kerala Government) ने बकरीद से पहले लॉकडाउन में तीन दिनों की छूट देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है. अपने जवाब में केरल सरकार ने कहा है कि प्रतिबंध और आर्थिक मंदी लोगों के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है.
बकरीद पर अल्पसंख्यक समुदायों के लिए लॉकडाउन में रियायतें देने के संबंध में मुख्य सचिव वीपी जॉय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया गया कि लॉकडाउन को अनिश्चितकाल तक नहीं बढ़ाया जा सकता है. सरकार ने कहा है कि राज्य में तीन महीने से लगी पाबंदियों से लोग परेशान हैं. एक्सपर्ट्स की राय को ध्यान में रखते हुए छूट दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि आईएमए ने कहा था कि सख्त नियमों के कारण बीमारी का प्रसार कम नहीं होगा.
'कोरोना को रोकने को किए जा रहे उपाय'
राज्य सरकार ने कहा है कि बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं. हालांकि, सरकार की ओर से दी गई रियायतों का फायदा लोगों ने उठा लिया है. लॉकडाउन में राज्य सरकार ने 18 से 20 जुलाई तक के लिए ढील दी थी. राज्य सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
केरल में सामने आ रहे रोजाना हजारों केस
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि केरल में रोजाना कोरोना के हजारों मामले सामने आ रहे हैं, जबकि यूपी में सिर्फ 59 मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में केरल सरकार की ओर से दी गई छूट को तुरंत रोका जाए. मालूम हो कि पिछले दिनों यूपी में कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी, जिस दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणियां की थीं. इसके बाद, कांवड़ संघों और सरकार की बातचीत के बाद यात्रा को रद्द कर दिया गया था.
हर राज्यों को रहना चाहिए सतर्क: SC
केरल में छूट के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कुछ राहत प्रदान की थी. कोर्ट ने कोई आदेश नहीं पारित किया था. हालांकि, यह जरूर कहा कि कोरोना महामारी के समय हर राज्यों को सतर्क रहना चाहिए. इस मामले में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था.
संजय शर्मा