असम और मिजोरम के बीच जारी सीमा विवाद अब आरोप-प्रत्यारोप के बाद बातचीत की तरफ बढ़ गया है. दोनों असम और मिजोरम की तरफ से बातचीत के जरिए समाधान निकालने पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी एक ट्वीट किया है. उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट की अस्मिता को जिंदा रखने पर जोर दिया है.
बातचीत के जरिए समाधान- हिमंता
हिमंता ने ट्वीट में लिखा है कि हमारा मुख्य उदेश्य नॉर्थ-ईस्ट की अस्मिता को जिंदा रखना है. असम-मिजोरम सीमा पर जो भी कुछ हुआ वो दोनों राज्यों को स्वीकार नहीं है. मेरी मिजोरम के मुख्यमंत्री से बात हुई है. जब उनका क्वारंटीन खत्म होगा, वे मुझसे बात करेंगे. सिर्फ बातचीत के जरिए ही सीमा विवाद को सुलझाया जाएगा. अब सीएम हिमंता की तरफ से बातचीत की पैरवी तब की गई है जब मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने वर्तमान परिस्थितियों पर चिंता जाहिर की और बर्लिन जैसी स्थिति उत्पन्न ना होने पर जोर दिया.
बर्लिन का जिक्र क्यों?
आजतक से बात करते हुए मिजोरम सीएम ने कहा था कि असम ने मिजोरम के खिलाफ नाकाबंदी कर दी है. केंद्र सरकार को तुरंत इसमें दखल देना चाहिए. ये दूसरा बर्लिन नहीं बनना चाहिए. वहीं उन्होंने बताया कि सीमा विवाद में सिर्फ असम के पुलिसकर्मी चोटिल नहीं हुए हैं, बल्कि मिजोरम एसपी ने भी मुश्किल से अपनी जान बचाई है. ये भी कहा गया कि मिजोरम के दो लोग घायल हुए. अभी के लिए दोनों राज्य की तरफ से बातचीत की पैरवी हो रही है, लेकिन कार्रवाई भी होती दिख रही है.
नाकाबंदी क्यों की गई?
जानकारी मिली है कि असम सरकार की तरफ से सीमावर्ती इलाकों में ब्लॉकेड लगा दिए गए हैं. इस वजह से मिजोरम में लोगों को जरूरी सामान भी नहीं मिल पा रहा है. अब पेट्रोल और डीजल लेने पर भी लिमिट लगा दी गई है. सभी सिर्फ एक तय लिमिट तक ही पेट्रोल ले सकते हैं. कई जगहों पर 'नो डीजल- नो पेट्रोल' के पोस्टर भी लगा दिए गए हैं. इस स्थिति के बाद ही मिजोरम के मुख्यमंत्री ने बर्लिन का जिक्र किया और केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग की.
बता दें कि इससे पहले सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की तरफ से भी सीमा विवाद मामले में तटस्थ एजेंसी से जांच की मांग की गई है. जिक्र तो NIA का भी आया है, लेकिन औपचारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया. वहीं मिजोरम की तरफ से ऐसे किसी भी फैसले की जानकारी ना होने की बात कही गई है.
इंद्रजीत कुंडू