स्टडी में खुलासा- महामारी के काल में कोरोना से लड़ते रहे अस्पताल, दूसरे मरीजों को हुई दिक्कत

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की एक टीम ने करीब छह लाख केसों का एक अवलोकन अध्ययन किया. स्टडी में महामारी की शुरुआत के बाद से स्वास्थ्य सेवा और ऑपरेशन के मामलों को लेकर कोरोना के प्रभाव पर गहन अवलोकन शामिल है.

Advertisement
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)

स्नेहा मोरदानी

  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 12:44 AM IST
  • महामारी के दौर में गैर-कोरोना मरीजों के इलाज पर पड़ा असर
  • प्रतिबंधों से स्वास्थ्य सेवा व ऑपरेशन के मामलों में असर पड़ा
  • अस्पताल की ओर से 6 लाख से अधिक केसों पर हुआ अध्ययन

कोरोना संकट काल में गैर कोरोना मरीजों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है और उनका इलाज प्रभावित हुआ है. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल साइंसेज (IJMS) में प्रकाशित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स की एक स्टडी से पता चलता है कि कोरोना पर ध्यान केंद्रित करने के दौरान देशभर में गैर कोरोना मरीजों का उपचार प्रभावित हुआ है.

नई दिल्ली स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स की एक स्टडी में कहा गया है कि कोरोना महामारी (COVID-19 pandemic) ने दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवा को बाधित कर दिया. इस अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी के प्रसार से निपटने के लिए हेल्थ केयर वितरण की सुविधाओं को भी एक बदलाव से गुजरना पड़ा है. स्टडी में कहा गया है कि अनिवार्य यात्रा प्रतिबंधों और लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों की वजह से सभी स्वास्थ्य सेवाओं और ऑपरेशन के मामलों में हेल्थ केयर वितरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है.

Advertisement

6 लाख मरीजों पर अध्ययन
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की एक टीम ने करीब छह लाख केसों पर वृहद अध्ययन किया. स्टडी में महामारी की शुरुआत के बाद से स्वास्थ्य सेवा और ऑपरेशन के मामलों को लेकर कोरोना के प्रभाव पर गहन अवलोकन शामिल है, और इसकी तुलना महामारी से पहले की अवधि (1 जून, 2019 से 31 मार्च, 2020) के साथ की गई.

स्टडी में क्या सामने आया  

कोरोना की वजह से अन्य मरीजों को खासी दिक्कत हुई है. नए और पुराने (फॉलोअप केस) दोनों मामलों की उपस्थिति में 57.65% की गिरावट आई है. आउट पेशेंट (outpatient) मामलों की उपस्थिति में 89.2% की बड़ी कमी देखी गई, इसके बाद ऑपरेशन के मामलों में 80.75% की कमी देखी गई. इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के प्रबंध निदेशक पी शिवकुमार ने कहा कि स्टडी में पिछले 2 सालों में महामारी के दौरान और महामारी से पहले के 6,77,237 केसों (599,281 आउट पेशेंट और 77,956 अस्पताल में भर्ती) के आंकड़ों का मूल्यांकन किया गया.

Advertisement

इसे भी क्लिक करें --- EXPLAINER- क्या है डेल्टा प्लस वैरिएंट, एक्सपर्ट इसे क्यों बता रहे संभावित तीसरी लहर की वजह
 
प्रमुख मेडिकल और शल्य चिकित्सा पर असर

अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर, और इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉक्टर अनुपम सिब्बल कहते हैं कि कोरोना के कारण अकेले रेस्परटोरी मेडिसिन में ही मरीजों की संख्या में 314.04% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. बेरिएट्रिक सर्जरी (87.5%) और आफ्थमालजी (नेत्र विज्ञान, 65.45%) के साथ, सभी मामलों में सर्जिकल के मामले काफी कम हो गए. सबसे अधिक और जनरल सर्जरी (32.28%) प्रभावित हुई.

'मरीजों की देखभाल में देरी नहीं करनी चाहिए'

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजू वैश्य जिन्होंने स्टडी तैयार करने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि जिन मरीजों की देखभाल की तलाश नहीं की गई, उनको अब बैकलॉग संबोधित किया जाएगा और मरीजों के देखभाल में अब और देरी नहीं करनी चाहिए.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement