'आलम साहब की कृपा से 2 साल चली मेरी बेल अर्जी, गुजरात से बाहर...', नए बिल को डिफेंड करते शाह ने सुनाया पुराना किस्सा

गिरफ्तार PM-CM को 30 दिन बाद हटाने से जुड़े संविधान संशोधन बिल की जोरदार पैरवी करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष उन्हें नैतिकता का पाठ न पढ़ाए. अमित शाह ने कहा कि गुजरात में जब उन पर केस चल रहा था तो उन्हें 96वें दिन बेल मिला था. फिर भी वे शपथ लेकर फिर से गृहमंत्री नहीं बने. इतना ही नहीं जबतक मैं उनके ऊपर लगे आरोप खत्म नहीए हुए उन्होंने किसी भी संवैधानिक पद पर शपथ नहीं ली.

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अमित शाह ने कहा कि जस्टिस आलम उनके घर नहीं आए थे. (Photo: PTI) अमित शाह ने कहा कि जस्टिस आलम उनके घर नहीं आए थे. (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:13 PM IST

गृह मंत्री अमित शाह ने गिरफ्तार हुए PM-CM को 30 दिनों तक बेल मिलने पर पद से हटाये जाने वाले संविधान संशोधन बिल की जोरदार पैरवी की है. अमित शाह ने कहा कि उनका, उनकी पार्टी का मानना है कि चाहे इस का सीएम हो, पीएम हो अथवा कोई और मंत्री जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकता है. पहले भी मोरल ग्राउंड पर कई नेताओं ने इस्तीफा दिया था, इनमें लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीस जैसे नेता शामिल थे. हाल में हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया था. अब हमने इसका कानूनी प्रावधान कर दिया है. 

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गृह मंत्री ने कहा कि जब संविधान बना होगा तो संविधान निर्माताओं ने ऐसी निर्लज्जता की कल्पना नहीं की होगी कि कोई भी मुख्यमंत्री जेल में जाएगा और अंदर से मुख्यमंत्री बना रहेगा. ऐसी घटनाएं हाल में हुई है. हमें नैतिक मूल्यों के स्तर को गिरने नहीं देना चाहिए. यह कानून नैतिक स्तर के मूल्यों को एक आधार देगा. 

इस बिल पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री ने उस समय को याद किया जब गुजरात का गृह मंत्री रहते हुए उनके खिलाफ एक मुकदमे की जांच चल रही थी. दरअसल अमित शाह ने लोकसभा में इस बिल को पेश करते हुए कहा था कि कांग्रेस इस मामले में नैतिकता की दुहाई नहीं दे. 

अमित शाह ने इंटरव्यू में कहा, "मेरे ऊपर आरोप लगा और जैसे ही मुझे समन आया, अरेस्ट छोड़ दीजिए, सीबीआई ने मुझे समन किया. मैंने दूसरे ही दिन इस्तीफा दे दिया. अरेस्ट तो मेरी बाद में हुई. और केस चला. जजमेंट भी आया कि ये राजनीतिक बदले की भावना (Political vendetta) का केस था. और मैं पूर्णतया निर्दोष हुआ."

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गृह मंत्री ने कहा कि, "वो जजमेंट बाद में आया बेल मेरी पहले हो गई थी. इस जजमेंट में कहा कि कहीं भी दूर-दूर तक मेरा इस केस में इनवॉल्वमेंट नहीं है, और मुझे शंका के आधार पर बरी नहीं किया गया था. मुझे बेल मिला था 96वें दिन पर, फिर भी मैं शपथ लेकर गृहमंत्री नहीं बना. इतना ही नहीं जबतक मैं मेरे ऊपर लगे आरोप क्वैश नहीं हुए तबतक मैंने किसी भी संवैधानिक पद पर शपथ नहीं ली थी. तो मुझे क्या विपक्ष नैतिकता के पाठ पढ़ाता है."

इंटरव्यू के दौरान जब अमित शाह से पूछा गया कि आप बार-बार न्यायपालिका का हवाला देते हैं लेकिन उस वक्त भी जस्टिस आफताब आलम आपके घर आए थे आपसे सिग्नेचर लेने के लिए आप गुजरात से बाहर चले जाएं. 

इस पर अमित शाह ने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं हुआ है. आफताब आलम साहब कभी मेरे घर पर नहीं आए, ऐसी जरूरत भी नहीं पड़ी, इन्होंने यहां रविवार के दिन स्पेशल कोर्ट बिठाकर मेरी बेल एप्लीकेशन को सुना, इन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अमित शाह गृह मंत्री रहते हुए साक्ष्य को प्रभावित कर सकते हैं, तो मेरी जो वकील थीं उन्होंने कहा कि आपको अगर भय है तो जबतक बेल एप्लीकेशन डिसाइड नहीं होता, हमारे क्लाइंट गुजरात के बाहर रहेंगे. वो मैंने स्टेटमेंट दिया है. दो साल मैं बाहर रहा. निश्चित रूप से बाहर रहा. क्योंकि... भारत के इतिहास में कभी भी किसी की बेल एप्लीकेशन दो साल तक नहीं चली, आलम साहब की कृपा से मेरी बेल एप्लीकेशन दो साल चली, ज्यादा से ज्यादा बेल अर्जी 11 दिन तक चली है. "

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गृह मंत्री अमित शाह ने हाल के दिनों में हुई नेताओं की गिरफ्तारियों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर इस तरह से सामाजिक नैतिकता का स्तर गिरा देंगे तो हम इससे सहमत नहीं हैं.

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