किस वजह से उड़ते ही क्रैश हुआ होगा विमान? पढ़ें- कमर्शियल पायलट का विश्लेषण

लैंडिंग गियर को उड़ान के कुछ सेकंड बाद, जब विमान ठीक से टेक ऑफ करना शुरू करता है, तब बंद कर दिया जाता है, जो कि 600 फीट से पहले होता है. जो वीडियो-फोटो सामने आए हैं, उनसे पता चलता है कि पायलट ने लैंडिंग गियर को थोड़ा बंद करने की कोशिश की, लेकिन तुरंत फिर बाहर कर दिया.

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अहमदाबाद एयरपोर्ट के ठीक बाहर क्रैश हुआ एअर इंडिया का प्लेन अहमदाबाद एयरपोर्ट के ठीक बाहर क्रैश हुआ एअर इंडिया का प्लेन

नागार्जुन

  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:52 PM IST

अहमदाबाद से उड़ान भरते ही एयर इंडिया AI171 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. शुरुआती जांच में विमान की सेटिंग और आखिरी पलों में तकनीकी खराबी को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. सामने आया है कि बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के उड़ान भरते समय इसका लैंडिंग गियर बाहर ही रहा और विंग फ्लैप्स पूरी तरह बंद थे. यह शुरुआती टेक ऑफ के लिए बहुत असामान्य स्थिति है. 
आमतौर पर, 787 के नियमों में उड़ान के लिए फ्लैप्स को 5 या उससे ज्यादा पर सेट करना होता है, और इन्हें धीरे-धीरे तब बंद किया जाता है जब विमान तेजी से ऊंचाई लेता है.

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टेक ऑफ करते ही क्या हुआ होगा?
लैंडिंग गियर को उड़ान के कुछ सेकंड बाद, जब विमान ठीक से टेक ऑफ करना शुरू करता है, तब बंद कर दिया जाता है, जो कि 600 फीट से पहले होता है. जो वीडियो-फोटो सामने आए हैं, उनसे पता चलता है कि पायलट ने लैंडिंग गियर को थोड़ा बंद करने की कोशिश की, लेकिन तुरंत फिर बाहर कर दिया. शायद उन्हें लगा कि विमान की ताकत या थ्रस्ट कम हो रही है. हो सकता है उड़ान के तुरंत बाद विमान को पावर की कमी हो गई.

मशीनी खराबी में क्या हुआ होगा?
एक और संभावना है कि लैंडिंग गियर किसी मशीनी या हाइड्रोलिक खराबी की वजह से नीचे अटक गया. ऐसे में, पायलट ने हवा का प्रतिरोध कम करने और गति बढ़ाने के लिए फ्लैप्स को जल्दी बंद किया होगा, क्योंकि गियर और फ्लैप्स दोनों बाहर होने से बहुत ज्यादा प्रतिरोध होता है, जिससे विमान की चढ़ाई मुश्किल हो जाती है. लेकिन, कम ऊंचाई और कम गति पर फ्लैप्स जल्दी बंद करना बहुत खतरनाक होता है, क्योंकि इससे विमान को ऊपर उठाने वाली ताकत (लिफ्ट) कम हो जाती है और विमान के रुकने (स्टॉल) का खतरा बढ़ जाता है.

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इन सबके बावजूद, विमान ज्यादा हिलता-डुलता नहीं दिखा, यानी पायलटों का कुछ हद तक नियंत्रण था. कुछ लोग कह रहे हैं कि दाएं रडार का इस्तेमाल हुआ, जो बाएं इंजन की खराबी का संकेत हो सकता है. लेकिन यह अकेले इस अजीब स्थिति- गियर बाहर और फ्लैप्स बंद- की वजह नहीं बताता. सामान्य स्थिति में इतनी कम ऊंचाई पर गियर और फ्लैप्स का इस तरह होना नहीं चाहिए.

क्या कोई तकनीकि खामी थी?
600 फीट पर गियर बाहर और फ्लैप्स बंद होना बहुत गलत है. यह शायद एक के बाद एक तकनीकी खराबी या पायलटों की आपातकालीन कोशिशों की वजह से हुआ. आखिर में, विमान की ऊंचाई कम हुई और वह स्टॉल हो गया, क्योंकि लिफ्ट कम थी और प्रतिरोध ज्यादा था. इस वजह से पायलट टक्कर से पहले विमान को बचा नहीं पाए. अब आगे जांच होगी तब फ्लाइट डेटा और कॉकपिट रिकॉर्डिंग की जांच में इन गलतियों पर और निगाह जाएगी.

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