असम सरकार के किस फैसले से हज़ारों लोगों पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक गई: दिन भर, 3 फरवरी

अदाणी ग्रुप के शेयर में भूचाल आया हुआ है, लेकिन कुछ इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसियों का भरोसा अभी भी क्यों बना हुआ है? असम सरकार ने बाल विवाह क़ानून में क्या बदलाव किए हैं, कर्नाटक और गोवा की बीजेपी सरकारें आपस में क्यों उलझ गई हैं और बार बार क्यों बढ़ रहे हैं दूध के दाम, सुनिए आज के 'दिन भर' में नितिन ठाकुर से.

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कुमार केशव / Kumar Keshav

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  • 03 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से ही स्टॉक मार्केट में खलबली मची है. अदाणी ग्रुप के शेयर भरभरा गए हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने से  अब तक अदाणी को 10 हज़ार करोड़ डॉलर से ज़्यादा का नुक़सान हो चुका है. दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में भी अडानी ने बड़ा गोता लगाया है और वह टॉप 20 से बाहर हो गए हैं. अडाणी प्रकरण पर संसद के दोनों सदनों में आज फिर से हंगामा हुआ और इनकी कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी.

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अदाणी के लिए राहत की बात क्या है? 

विपक्ष लगातार इस पर चर्चा करने और जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी या सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जांच कराने की मांग कर रहा है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अडाणी मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तीखे हमले किए. वहीं अडाणी ग्रुप को लोन देने के लिए SBI और LIC ऑफिसों के सामने कांग्रेस सोमवार को देशव्यापी प्रदर्शन करेगी. सियासी खींचतान के अलावा बाज़ार में भी अदाणी को झटके लगे. लगातार गिरते अदाणी समूह के शेयर की क़ीमतों के बीच नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने कल ग्रुप की तीन कंपनियों को एडिशनल सर्विलांस मेज़र फ़्रेमवर्क यानी एएसएम की सूची में डालने का फैसला किया है. ग्रुप की इन तीन कंपनियों में अदाणी एंटरप्राइज़ेज़, अदाणी पोर्ट और अंबुजा सीमेंट का नाम शामिल है. तो ये एडिशनल सर्विलांस मेज़र फ़्रेमवर्क लिस्ट क्या है और इसमें किसी कंपनी का नाम डालने से क्या फ़र्क़ पड़ता है? इस बीच गोल्डमैन सैक्स, जेपी मॉर्गन और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों का भरोसा अदाणी ग्रुप पर अभी भी बने रहने के पीछे क्या वजह है, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

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सख़्त क़ानून से ही रुकेगा बाल विवाह?

असम में बाल विवाह की घटनाओं के ख़िलाफ़ सरकार सख़्त हो गई है और प्रोहिबिशन ऑफ़ चाइल्ड मैरिज एक्ट के साथ POCSO एक्ट के तहत भी कार्रवाई करने का फैसला किया है. पिछले महीने की 23 तारीख़ को सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ऐलान किया कि उनकी सरकार बाल विवाह के ख़िलाफ़ एक राज्यस्तरीय अभियान चलाएगी और ऐसे लोग जिन्होंने 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी की है, उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट लगाकर कार्रवाई होगी. इसके अलावा 14 से 18 साल की लड़कियों से शादी करने वाले लोगों के खिलाफ प्रोहिबिशन ऑफ़ मैरिज एक्ट के तहत  एफ़आईआर होगा.  

राज्य में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह को रोकने के लिए कैबिनेट ने क़रीब 2200 ग्राम पंचायत सचिवों को 'बाल विवाह रोकथाम अधिकारी' के रूप में नामित करने का फ़ैसला किया है. नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक़, भारत में 10 में से दो से ज़्यादा लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है. लेकिन बकौल असम सीएम, राज्य में 11 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएँ ऐसी हैं, जिन्होंने कम उम्र में माँ बनने का बोझ उठाया है. इसका मतलब यह है कि असम में बाल विवाह अब भी बड़ी तादाद में हो रहे हैं. आज एक ट्वीट में उन्होंने बताया कि सरकार के इस फैसले के बाद अब तक 1800 से ज़्यादा लोग गिरफ़्तार हो चुके हैं और आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी. लेकिन देश में जब बाल विवाह को रोकने के लिए पहले से क़ानून था, तो असम सरकार को इसमें पॉक्सो एक्ट जोड़ने की ज़रूरत क्यों पड़ी और इस क़ानून को रेट्रोस्पेक्टिवली लागू करने के पीछे क्या तर्क हैं, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

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गोवा और कर्नाटक क्यों भिड़े?

अभी महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद सुलझा नहीं था कि कर्नाटक महादयी नदी के साढ़े तीन दशक पुराने झगड़े में फिर से गोवा के साथ उलझ गया है. खास बात ये है कि इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार है. हुआ ये कि पिछले महीने कर्नाटक के सीएम बोम्मई ने विधानसभा को बताया कि महादयी पर दो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट्स को केंद्रीय जल आयोग से उन्हें मंज़ूरी मिल गई है. ये सुनते ही गोवा ने घोषणा कर दी कि वो एक ऑल पार्टी डेलिगेशन लेकर पीएम और अन्य मंत्रियों से मिलकर इस परियोजना को रुकवाएंगे.

पिछले हफ्ते गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक के बेलगावी में बीजेपी की जनसंकल्प यात्रा को संबोधित करते हुए कहा था कि बीजेपी ने दोनों प्रदेशों के बीच लंबित इस विवाद का समाधान करते हुए पानी कर्नाटक को दिया है. इस पर गोवा के मंत्री नीलेश कबराल ने पत्रकारों के सामने ना सिर्फ शाह के बयान का खंडन किया बल्कि कहा कि मुझे नहीं मालूम कि केंद्रीय गृहमंत्री इस बारे में क्या कह रहे हैं. और तो और उन्होंने दो टूक कह दिया कि यदि केंद्रीय नेतृत्व वाला विकल्प काम नहीं करता तो प्रदेश के सामने कानूनी विकल्प भी है, तो ये समस्या है क्या जिसने दो भाजपा शासित प्रदेशों को आमने सामने ला खड़ा किया है और बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के लिए इसे सुलझाना कितना मुश्किल रहने वाला है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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दूध की क़ीमत बढ़ जाती है, घटती क्यों नहीं?

खाने पीने की जितनी भी चीज़ें हैं, दूध उनमें अलग अहमियत रखता है. बच्चे से लेकर बूढ़ों तक के लिए प्रोटीन का बहुत बढ़िया श्रोत है दूध. सरकार भी दूध पीने को लेकर प्रचार प्रसार करवाती है. लेकिन दूध के बढ़ते दाम ने गिलास खाली कर दिया है. आज खबर आई की दूध के दाम में 3 रुपय की बढ़ोतरी हो गई है. ये पहला मौका नहीं है जब दूध के दाम बढ़ोतरी हुई है .बीते साल दूध के दाम में प्रति लीटर 8 रुपये तक की बढोतरी हुई थी. 

पिछले साल फ़रवरी में अमूल ब्रांड फुल क्रीम दूध के दाम दिल्ली में 58 रुपये पर लीटर थे जो अब बढ़कर 66 रुपये हो गए हैं. वहीं मदर डेयरी फुल क्रीम की कीमत मार्च से दिसंबर 2022 के बीच 57 रुपया से 66 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गया. कांग्रेस सांसद और लोक सभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि – अगर दूध के दाम बढ़ेंगे तो इसका असर सबसे ज्यादा देश के गरीबों पर होगा. लेकिन दूध के दामों में लगातार क्यों बढोतरी हो रही है, इसके पीछे कारण क्या हैं और एक बार दाम बढने के बाद इसमें कमी देखने को क्यों नहीं मिलती, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.

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