आज का दिन: इंडिया टुडे और सी वोटर के सर्वे 'मूड ऑफ द नेशन' में जानें क्या है जनता का मिजाज

पांच राज्यों में होने वाले चुनाव की कड़ी में लोगों का मूड जानने के लिए इंडिया टुडे और सी वोटर ने एक सर्वे कराया है- मूड ऑफ द नेशन. तो उन राज्यों में जहां चुनाव होने हैं वहां के लोगों की राय क्या है, क्या कोई एंटी इनकंबेंसी सत्ता को लेकर है या फिर हवा सत्ता के पक्ष में बह रही है. तो इंडिया टुडे के इसी सर्वे की क्या फाइंडिंग्स रहीं?

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

पांच राज्यों में होने वाले चुनाव की कड़ी में लोगों का मूड जानने के लिए इंडिया टुडे और सी वोटर ने एक सर्वे कराया है- मूड ऑफ द नेशन. तो उन राज्यों में जहां चुनाव होने हैं वहां के लोगों की राय क्या है, क्या कोई एंटी इनकंबेंसी सत्ता को लेकर है या फिर हवा सत्ता के पक्ष में बह रही है. तो इंडिया टुडे के इसी सर्वे की क्या फाइंडिंग्स रहीं?
 
पिछले साल दिसंबर के महीने में अचानक से टीएमसी की गोवा में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई थी, अलग-अलग पार्टी छोड़ कर नेता टीएमसी में जाने लगे था, मगर साल बदलते ही उन नेताओं ने टीएमसी का साथ छोड़ दिया और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इतना ही नहीं उन सारे नेताओं ने टीएमसी पर सांप्रदायिकता की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया. दूसरी तरफ आप देखें तो आम आदमी पार्टी भी यहां पूरी ज़ोर आजमाइश कर रही है. अमित पालेकर को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया है जो भंडारी समाज से आते हैं. यहां ये समाज 35 फ़ीसदी के आस पास है. पंजाब में भी कांग्रेस को पटखनी देने की कोशिश में लगी है.

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केजरीवाल लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं, रेत माफिया, ड्रग्स, बेरोज़गारी जैसे तमाम मुद्दे पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेर रहे हैं, और अब तो भगवंत मान को आम आदमी पार्टी का सीएम फेस भी घोषित कर दिया गया है. तो जिस दमखम के साथ दो रिजनल पार्टी, माने टीएमसी और आम आदमी पार्टी मौजूदा विधानसभा चुनाव को लेकर फ्रंट फुट पर खेलती नज़र आ रही है, उस हिसाब से दोनों लिए गोवा का चुनाव या पंजाब का चुनाव कितना अहम रहने वाला है?

पांच महीने हो गए, पड़ोसी देश अफगानिस्तान में क्या नहीं बदला. हुकूमत बदली, मिज़ाज बदल गया, दूसरे देशों से सम्बंध बने बिगड़ें लेकिन कहा गया कि पाकिस्तान पहले भी हमराह था तालिबान का, अब भी है, पहले से कुछ और अधिक. लेकिन उस क्लोजनेस में अब दरार सी पड़ती दिख रही है. दरार इतनी की पाकिस्तान के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र मोईद यूसुफ का अफगानिस्तान दौरा पहले टला और अब रद्द हो गया. दरअसल, वे एक डेलिगेशन के साथ काबुल जाने वाले थे लेकिन चूँकि इन दिनों अफगानिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ एक तरह का अलग सेंटिमेंट है सो विरोध प्रदर्शन और न बढ़ जाए इसलिए पाकिस्तान ने दौरा रद्द कर दिया. ऐसे में सवाल ये है कि जो पाकिस्तान दुनिया भर को ये मैसेजिंग दे रहा था कि तालिबान और इमरान सरकार बगलगीर हैं, वहाँ सम्बन्धों में इस तरह की खटास कैसे आ गई?

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