44 प्लॉट, एक KG सोना, 2 किलो चांदी, सवा करोड़ का बैंक बैलेंस... सरकारी कर्मचारी की संपत्ति देख फटी रह गईं आंखें

सतर्कता विभाग ने मोटर वाहन निरीक्षक के घर छापेमारी में कुल 44 प्लॉट, एक किलो सोना, 2.126 किलो चांदी, और 1.34 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक जमा राशि का खुलासा किया है. यही नहीं जांच टीम को 2.38 लाख कैश, और एक डायरी भी मिली है जिसमें कथित तौर पर बेनामी संपत्ति के लेन-देन का पूरा ब्यौरा दर्ज है.

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ओडिशा में सरकारी कर्मचारी के पास अकूत संपत्ति मिली है (File Photo) ओडिशा में सरकारी कर्मचारी के पास अकूत संपत्ति मिली है (File Photo)

aajtak.in

  • भुवनेश्वर,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:09 AM IST

सरकारी नौकरी करने वाला एक सामान्य कर्मचारी कितना कमा सकता है ? क्या कोई मोटर वाहन निरीक्षक (MVI) अपनी सैलरी से 44 प्लॉट, एक किलो सोना, दो किलो चांदी और सवा करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस जोड़ सकता है ? ओडिशा का सतर्कता विभाग बौध जिले में तैनात गोलाप चंद्र हांसदा के पास मिली अकूत संपत्तियों के बाद इन्हीं सवालों का जवाब तलाश रहा है.

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विभाग ने एक गोपनीय शिकायत पर कार्रवाई करते हुए हांसदा के छह ठिकानों पर छापेमारी की, जिसके बाद उनकी वास्तविक संपत्ति सामने आई. सरकारी दस्तावेजों और फिजिकल वेरिफिकेशन में जो आंकड़े सामने आए, उसे देखकर छापा मारने वाले अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह गईं.

जांच में क्या-क्या मिला

न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक सतर्कता विभाग ने छापेमारी में हांसदा और उनके परिवार के पास कुल 44 प्लॉट, एक किलो सोना, 2.126 किलो चांदी, और 1.34 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक जमा राशि का खुलासा किया है. यही नहीं जांच टीम को 2.38 लाख कैश, और एक डायरी भी मिली है जिसमें कथित तौर पर बेनामी संपत्ति के लेन-देन का पूरा ब्यौरा दर्ज है. डायरी में एक और चौंकाने वाली बात यह मिली कि उन्होंने अपनी बेटी की मेडिकल की पढ़ाई पर 40 लाख रुपए खर्च किए हैं.

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43 प्लॉट तो एक ही शहर में 

हांसदा के नाम और उनके परिजनों के नाम पर मिले 44 प्लॉट से 43 प्लॉट बारिपदा शहर और उसके आसपास के इलाके में हैं. एक भूखंड बालासोर के बाहरी हिस्से में पाया गया है. इन सभी जमीनों की रजिस्ट्री कीमत 1.49 करोड़ आंकी गई है, लेकिन रियल मार्केट वैल्यू इससे कहीं अधिक हो सकती है. इसके अलावा, हांसदा के पास 3300 वर्गफुट का एक दोमंजिला मकान भी है, जो बारिपदा में स्थित है. मकान की बनावट और भव्यता यह बताने के लिए काफी है कि इसमें लाखों रुपये खर्च किए गए होंगे.

1991 से कर रहा नौकरी

गोलाप चंद्र हांसदा ने 1991 में सरकारी सेवा में प्रवेश किया था. शुरुआत में उन्होंने संभलपुर और देवगढ़ के जिला उद्योग केंद्र (DIC) में काम किया. वर्ष 2003 में उन्हें जूनियर एमवीआई के तौर पर प्रमोट किया गया और कई जिलों में तैनाती मिली. 2020 में वह पूर्ण एमवीआई के रूप में बौध आरटीओ ऑफिस में तैनात हुए, जहां अब तक कार्यरत हैं. उनका मासिक वेतन ₹1.08 लाख है, यानी सालाना आय लगभग ₹13 लाख के आसपास होती है. लेकिन इस आय से इतने भूखंड, गहने और बैंक बैलेंस कैसे बना, यह अब एक बड़ी जांच का विषय बन गया है.

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तकनीकी टीम कर रही है आकलन

सतर्कता विभाग की टेक्निकल विंग ने हांसदा के सभी प्लॉट और भवनों की माप और मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह देखा जा रहा है कि इन संपत्तियों की बाजार कीमत कितनी है और इन्हें किन स्रोतों से खरीदा गया है. अधिकारियों के अनुसार, बेनामी लेन-देन की आशंका के चलते उनके करीबी रिश्तेदारों, पत्नी और अन्य परिजनों के खातों की भी जांच की जा रही है.

डायरी बनी सबूतों का पुलिंदा

छापे के दौरान जब्त की गई डायरी इस पूरे मामले का अहम हिस्सा बन सकती है. इसमें उन तमाम लेन-देन का विवरण मिला है जो संभवतः किसी और के नाम से की गई संपत्ति खरीद और निवेश से जुड़े हैं. डायरी में दर्ज रकम और तारीखें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह कोई अकेले की कारगुजारी नहीं, बल्कि एक सुनियोजित और लंबे समय से चल रहा नेटवर्क हो सकता है.

आगे और खुलासों की संभावना

विजिलेंस विभाग का कहना है कि यह शुरुआती चरण की कार्रवाई है, और आगे की जांच में और भी संपत्तियां या लेन-देन सामने आ सकते हैं. यदि हांसदा दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में कानूनी कार्यवाही, संपत्ति जब्ती और निलंबन तक की कार्रवाई संभव है.

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