गर्भवती महिलाओं पर कहर ढहा रहा है Corona! LNJP में 30 गर्भवती महिलाएं संक्रमित

महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सालय की सूति एवं स्त्रीमूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपा जोशी ने बताया कि किस तरह से गर्भवती महिलाएं इसके चपेट में आती हैं और इससे बचा जा सकता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

तेजश्री पुरंदरे

  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:57 PM IST
  • गर्भवती महिलाओं में भी दिखते हैं आम लक्षण
  • संक्रमित महिलाएं करवा सकती हैं ब्रेस्टफीडिंग

कोरोना के मामले जिस तरह से लगातार मामले बढ़ रहे हैं. अब बच्चे भी इस महामारी (Corona Pandemic) की चपेट में आ रहे हैं. कुछ वक्त पहले दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में पिछले 7 दिनों में करीब 30 गर्भवती महिलाएं पॉजिटिव पाई गई. हैरानी का बात यह है कि सभी महिलाएं सिर्फ अपनी डिलीवरी के लिए अस्पताल आई थी. लेकिन जब कोरोना के नियमों के मुताबिक उनका अस्पताल में टेस्ट किया गया तब सामने आया कि सभी महिलाएं कोरोना संक्रमित हैं. इन महिलाओं में किसी भी तरह के कोई लक्षण नहीं देखे गए.

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एलएनजेपी के डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि 30 में से 15 महिलाएं अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है. इनमें से दो महिलाओं में खून की कमी पाई गई और इसलिए उन्हें खून की जरूरत पड़ी. इसके अलावा महिलाओं के बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं. फिलहाल वर्टिकल ट्रांसमिशन जैसी कोई स्थिति देखी नहीं गई है.

इन महिलाओं में बढ़ जाता है खतरा
महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सालय की सूति एवं स्त्रीमूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपा जोशी ने बताया कि किस तरह से गर्भवती महिलाएं इसके चपेट में आती हैं और इससे बचा जा सकता है. डॉ. दीपा ने उन महिलाओं का इलाज किया है जो प्रेग्नेंट होने के साथ-साथ डिलीवरी के वक्त पॉजिटिव हो चुकी थी. उन्होंने बताया कि एक गर्भवती महिला को कोरोना संक्रमित होने का उतना ही खतरा होता है जितना एक आम व्यक्ति को होता है. लेकिन लक्षण के गंभीरता की बात करें, तो यह गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलते हैं. गंभीरता और बढ़ जाती है जब महिला की उम्र 35 वर्ष से ज्यादा हो या फिर उस से शुगर या डायबिटीज जैसी कोई और बीमारी हो. 

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प्रेग्नेंसी में महिलाओं में कौन से लक्षण दिखते हैं?
प्रेग्नेंसी में कोविड-19 के लक्षण वही होते हैं जो एक आम व्यक्ति को होते हैं. बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ होना, स्वाद का चले जाना, थकान महसूस होना. यदि इस तरह के कोई लक्षण महिला में दिखते हैं तो ऐसे में महिला को इलाज जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉक्टर दीपा जोशी ने बताया कि डिलीवरी के दौरान जो महिलाएं कोरोना संक्रमित हो गई उनमें वर्टिकल ट्रांसमिशन नहीं देखा गया. जरूरी नहीं है कि यदि मां कोरोना से संक्रमित हो तो बच्चा भी कोरोना संक्रमित ही पैदा होगा. इस तरह का का मामला देखा नहीं गया है जिसमें मां के पॉजिटिव होने के कारण बच्चे को कोरोना हुआ हो. 

क्या संक्रिमत महिला करवा सकती है ब्रेस्ट फीडिंग?
कई लोगों को डर रहता है कि मां यदि संक्रमित है तो ऐसे में डिलीवरी के बाद बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा सकती. यह सबसे बड़ा मिथक है. ब्रेस्ट फीडिंग से कभी भी वायरस ट्रांसमिट नहीं होगा. यदि मां की स्तिथि बहुत गंभीर हैं या वो वेंटीलेटर पर है तो ऐसे में बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा सकते. डॉ. दीपा जोशी ने बताया कि गर्भवती महिला पोकरणा संक्रमित होने के कारण सबसे बड़ा खतरा रहता है प्रीमेच्योर डिलीवरी का. कुछ मामलों में यदि महिला को तेज बुखार आया है तो ऐसे में उन्हें लेबर पेन वक्त से पहले ही शुरू हो जाता है. ऐसे में प्रीमेच्योर डिलीवरी के चांसेस बहुत ज्यादा होते हैं. और साथ ही साथ यह बच्चे के लिए भी बहुत बड़ा खतरा होता है क्योंकि इसमें संभावनाएं हैं कि बच्चा गर्भाशय में ही दम तोड दे.

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इन सभी चीजों से बचने के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिला भीड़भाड़ वाले इलाके में ना जाए. हर वक्त मास्क पहने रहे और साथ ही साथ समय समय पर सैनिटाइजेशन जरूर करें और यदि कोई महिला करना संक्रमित होती है तो उसे जितना हो सके उतना  लिक्विड डाइट लेना चाहिए. पानी का इंटेक बहुत ज्यादा रखना चाहिए. साथ ही साथ वे वस्तुएं ज्यादा खाए जिसमे फॉलिक एसिड और विटामिन डी हो. और समय-समय पर अपने गायनोकॉलोजिस्ट से जरूर कंसल्ट करें. गर्भवती महिला को रेगुलर वॉक पर एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए और यदि मुमकिन हो तो अपनी गाइनेकोलॉजिस्ट से ऑनलाइन ही कंसल्ट करें.


 

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