17 साल पहले डकैतों ने किया था अपहरण, पिता को मारी थी गोली, अब वकील बन आरोपियों को दिलाई उम्रकैद की सजा

10 फरवरी 2007 को खेरागढ़ कस्बे में रवि गर्ग के 7 वर्षीय बेटे हर्ष गर्ग का अपहरण हो गया था. रवि गर्ग के विरोध करने पर उन्हें भी डकैतों ने गोली मार दी थी. आरोपियों ने 55 लाख रुपये की फिरौती की मांग की थी. 26 दिन बाद हर्ष को पुलिस ने छुड़ाया था. अब हर्ष ने वकील बनकर आरोपियों को सजा दिलाई है.

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वकील बनकर खुद लड़ा अपनी किडनैपिंग का केस. (सांकेतिक तस्वीर) वकील बनकर खुद लड़ा अपनी किडनैपिंग का केस. (सांकेतिक तस्वीर)

अरविंद शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:13 AM IST

उत्तर प्रदेश के आगरा से एक खबर सामने आई है, जहां 17 साल पहले फिरौती के लिए जिस बच्चे का अपहरण हुआ था. उसी ने अब कानून की पढ़ाई करके अपहरण करने वालों को उम्रकैद की सजा दिलाई है. इस मामले में कोर्ट ने आरोपी गुड्डन काछी,राजेश शर्मा, राजकुमार, फतेह सिंह उर्फ़ छिग्गा, अमर सिंह, बलवीर, रामप्रकाश ओर भिकम उर्फ़ भिखारी को आजीवन करावास की सजा सुनाई है. दोषियों पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. 

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17 साल पहले हुआ था अपहरण

बता दें कि 10 फरवरी 2007 को खेरागढ़ कस्बे के अविनाश गर्ग ने मुकदमा दर्ज कराया था.एफआईआर मे बताया गया था कि वे अपने भाई रवि गर्ग के साथ मेडिकल स्टोर पर बैठे हुए थे. रवि गर्ग के साथ उनका 7 वर्षीय बालक हर्ष गर्ग भी मौजूद था. उसी दौरान शाम करीब 7 बजे एक राजस्थान नंबर की जीप आकर रुकी. जीप से गुड्डन काछी अपने अन्य साथियों के साथ दुकान पर आ गया. हथियारों के बल पर उन्होंने हर्ष का अपहरण कर लिया.पिता रवि गर्ग के विरोध करने पर उन्हें गोली मारकर घायल कर दिया. इसके बाद आरोपियों ने 55 लाख रुपये की फिरौती की मांग की थी. पुलिस ने तहरीर के आधार पर गुड्डन काछी सहित 14 लोगो के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज किया था.

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एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस की अलग-अलग टीमें हर्ष की बरामदगी के लिए सर्च अभियान चलाने लगी. इसी बीच आगरा और मध्य प्रदेश पुलिस ने हर्ष को ढूंढने के लिए सयुंक्त अभियान चलाया. मप्र के शिवपुरी कस्बे में 6 मार्च 2007 को पुलिस ने हर्ष को छुड़ा लिया था. बाद मे पुलिस ने गुड्डन काछी, राजकुमार, फतेह सिंह, अमर सिंह, बलवीर, राजेश शर्मा, भीकम सिंह ओर राम प्रकाश को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था.

पहले पिता ने लड़ा केस

हर्ष ने बताया कि उनकी गवाही 2014 से शुरू होकर 2018 तक चली. पिता रवि गर्ग वकील थे.रवि गर्ग ने शुरुआत मे बेटे का केस खुद लड़ा. हर्ष न्यायालय मे वकीलों को बहस करते हुए देखते थे. ग्रेजुएशन के बाद साल 2022 मे हर्ष ने आगरा कॉलेज से एलएलबी कर ली. 2023 मे हर्ष ने बार काउंसिल मे अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया. हर्ष अपने मुकदमे की सुनवाई मे अभियोजन के साथ खुद भी शामिल होने लगे. आखिरकार कोर्ट ने आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. हर्ष ने कहा कि करीब 26 दिनों तक वह डकैतों के कब्जे में रहे थे. 

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