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MP के इस मंदिर की तर्ज पर 93 साल पहले बना था संसद भवन!

aajtak.in
  • 10 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नए संसद भवन की आधारशिला रखी. आजादी के 75 साल पूरे होने तक ये नई बिल्डिंग तैयार हो जाएगी. संसद भवन की नई बिल्डिंग अधिक बड़ी, आकर्षक और आधुनिक सुविधाओं वाली है. इसी बीच आइए जानते हैं पुराने संसद भवन के बारे में कुछ रोचक तथ्य...

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दरअसल, संसद भवन को 93 साल पहले अंग्रेजों ने 83 लाख रुपये में बनवाया था, जबकि नए संसद भवन पर 971 करोड़ रुपये का खर्चा आंका जा रहा है. ऐसा बताया जाता है कि अंग्रेजों ने संसद भवन का डिजाइन मध्य प्रदेश में स्थित मुरैना जिले के एक छोटे से गांव में बने बहुत पुराने मंदिर से लिया था. इस मंदिर का नाम मितावली-पड़ावली का चौसठ योगिनी मंदिर है.

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कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र है कि इसे संयोग कहें या सच कहें, ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने इस मंदिर को आधार मानकर ही संसद भवन का निर्माण कराया था. हालांकि कभी इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. लेकिन यह मंदिर अंदर और बाहर दोनों से संसद से मिलता-जुलता है.

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संसद भवन का डिजाइन उस दौर से मशहूर ब्रिटिश वास्तुविद एडविन के लुटियन ने साल 1912-13 में बनाया था. इसका निर्माण 1921 से 1927 के बीच हुआ था. 1927 में इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने किया था. भवन का निर्माण अंगेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था. आजादी के बाद यह संसद भवन बन गया.

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संसद भवन और चौसठ योगिनी मंदिर में समानता:  
चौसठ योगिनी मंदिर 101 खंभों पर और संसद भवन 144 मजबूत स्तंभ पर टिका है. दोनों ही गोलाकार संरचना के हैं. चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कक्ष हैं, संसद भवन में 340 कक्ष. जिस तरह चौसठ योगिनी मंदिर के बीच में एक विशाल कक्ष है, जिसमें बड़ा शिव मंदिर है उसी तरह संसद भवन के बीच में विशाल हॉल है.

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एक शिलालेख के अनुसार, मुरैना जिले के पड़ावली के पास मितावली गांव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 1323 ईसवी में कच्छप राजा देवपाल ने करवाया था. इसे इकंतेश्वर या इकोत्तरसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है. काफी पहले यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा ली जाती थी.

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