ठाणे: नसबंदी ऑपरेशन से पहले महिला की मौत, परिजनों ने अस्पताल पर लगाया लापरवाही का आरोप

ठाणे में नसबंदी से पहले 30 वर्षीय महिला की मौत हो गई. वह KDMC के शाक्तिधाम अस्पताल में भर्ती थीं. ऑपरेशन से पहले एनेस्थीसिया देने के बाद हालत बिगड़ी और निजी अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई. परिजनों ने मेडिकल लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि प्रशासन ने कहा कि इलाज उचित था और महिला ने नसबंदी के लिए सहमति दी थी.

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AI जेनरेटेड (सांकेतिक तस्वीर). AI जेनरेटेड (सांकेतिक तस्वीर).

aajtak.in

  • ठाणे ,
  • 08 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है. यहां 30 वर्षीय एक महिला की मौत नसबंदी ऑपरेशन से पहले हो गई. यह मामला कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC) द्वारा संचालित शक्तिधाम अस्पताल का है. जहां कल्याण (पूर्व) के खाडेगोलावली इलाके की निवासी शांति देवी की इलाज के दौरान मौत हो गई.

दरअसल, महिला को 4 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती किया गया था. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, शांति देवी की हालत भर्ती के समय कमजोर थी, इसलिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया. स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार होने के बाद 7 अप्रैल (सोमवार) को नसबंदी ऑपरेशन की तैयारी की गई. लेकिन ऑपरेशन से पहले जब महिला को एनेस्थीसिया दिया गया और अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई. 

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इसके बाद डॉक्टरों ने तुरंत उसे नजदीकी निजी अस्पताल में रेफर किया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. वहीं, महिला के पति अखिलेश मौर्य ने अस्पताल प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, मेरी पत्नी को किडनी में पथरी थी और उसे जबरन नसबंदी के लिए भर्ती किया गया. डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उसकी जान गई है. उन्होंने मांग की कि दोषी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की जाए.

अस्पताल प्रशासन का पक्ष

KDMC की मेडिकल हेल्थ ऑफिसर डॉ. दीपा शुक्ला ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, शांति देवी को ASHA कार्यकर्ताओं के माध्यम से नसबंदी के लिए सहमति के साथ भर्ती किया गया था. उसे उचित इलाज दिया गया और अचानक तबीयत बिगड़ने पर बेहतर इलाज के लिए उसे शिफ्ट किया जा रहा था. डॉ. शुक्ला ने यह भी स्वीकार किया कि अस्पताल में आईसीयू की सुविधा नहीं है, लेकिन जरूरी आपातकालीन इंतज़ाम किए गए थे.

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जांच और कार्रवाई की मांग

अब इस पूरे मामले को लेकर KDMC प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि जब अस्पताल में ICU नहीं था, तो गंभीर हालत की मरीज को भर्ती क्यों किया गया? क्या नसबंदी जैसे ऑपरेशन से पहले सभी जरूरी जांच और सावधानियां बरती गई थीं? परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं और इस मामले में मेडिकल विभाग से पारदर्शी जांच की उम्मीद की जा रही है.

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